Vishal Ramawat

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फ़र्ज(भाग:-15)

जब दोनों मेजर से मिलने ऑफिस की तरफ गए तो मेजर सर उन्हें ऑफिस के बाहर ही मिल गए। जय ओर अभिमन्यु को देखते हुए मेजर सर बोले ब्रिगेडियर सर आ गए है मैं अभी उनसे मिलने जा रहा हु तुम दोनो भी मेरे साथ चलो। तीनो जब ब्रिगेडियर सर के ऑफिस बाहर पहुंचे तो मेजर बोले तुम दोनों यही रुको में सर को बता कर आता हूं। मेजर दोनो को वही छोड़ कर ऑफिस के अंदर गए । मेजर ने देखा कि अंदर ब्रिगेडियर जगतपाल सिंह के साथ कर्नल आसुतोष भी बैठे है जो किसी बात कर डिस्कशन कर रहे थे।  मेजर ने दोनों को सैलूट किया और ब्रिगेडियर सर से बोले सर मैने जो फाइल्स भिजवाई थी वो आपने देख लिया क्या बाहर दोनो कैप्टन्स आ गए है। ब्रिगेडियर सर बोले नही मेने अभी तक नही देखी कुछ देर में देख लुगा आप उन दोनो को अंदर बुला लीजिए ओर यह कह कर वापस अपने हाथ मे जो फ़ाइल थी उसे देखने लगे। मेजर ने दोनों को अंदर बुलाया अभिमन्यु के चेहरे पर मुस्कुराहट ओर आँखों मे ख़ुशी थी।

दोनो ने सैलूट किया जैसे ही अभिमन्यु को आवाज ब्रिगेडियर सर के कानों में पड़ी तो उन्होंने नजर उठाकर सामने देखा तो हैरान रह गए । उन्होंने जल्दी से सामने रखे टेबल वो फ़ाइल उठा कर देखी जो मेजर ने भिजवाई थी । ब्रिगेडियर अपनी चेयर से खड़े हुए और अभिमन्यु के पास जाते हुए बोले wel come back कैप्टन। ब्रिगेडियर सर ने अभिमन्यु को अपने गले लगा किया उनकी आँखों मे नमी थी वो अभिमन्यु से अलग होते हुए बोले कैसे हो मेरे शेर, अब याद आई अपने बाबा की या हमे भूल ही गए यह कहते हुए उनके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी। कर्नल आसुतोष आश्चर्य से अभिमन्यु ओर ब्रिगेडियर सर दोनो को देख रहे थे। अभिमन्यु की आंखों में भी नमी थी उसने पहले तो अपने बाबा को प्रणाम किया फिर बोला अच्छा हु आप ओर माँ कैसे है।

ब्रिगेडियर(जगतपाल सिंह):- जिसका बेटा शेर हो उसको क्या हो सकता है वैसे वो कहते है ना शेर का बाप बब्बर शेर होता है। यह कह कर हँसने लगे। आपकी माँ सुधा भी बिल्कुल ठीक बस आपका इंतजार कर रही है।

अभिमन्यु ने जब कर्नल की तरफ देखा तो ब्रिगेडियर सर बोले यह हमारे दोस्त कर्नल आसुतोष सक्सेना। अभिमन्यु ने आगे बढ़ कर उन्हें प्रणाम किया तो कर्नल आसुतोष बोले आपको देख कर अच्छा लगा काफी सुना था आपके बारे में ओर जैसा सुना था बिल्कुल ही वैसे ही  पर्सनेलिटी है आपकी। आपके बाबा हमेशा आपके बारे में बात करते है।

जब ब्रिगेडियर सर की नजर पास खड़े जय पर गयी तो वे बोले आपका नाम क्या है कैप्टन। जय बोला कैप्टन जयदेव सर। जय ने जाकर ब्रिगेडियर सर को प्रणाम किया तो ब्रिगेडियर सर ने उसे गले लगा लिया और बोले तो आप है वो महान सख्सियत । अभिमन्यु ने आपके बारे में बताया था आपसे कभी मिलना तो नही हुआ पर आपका बहुत शुक्रिया आपने हमारे बेटे का ख्याल रखने के लिए।

जय बोला कैसी बात कर रहे अंकल आप शुक्रिया कह कर  पराया मत कीजिये।  जय ने जब जाकर कर्नल को प्रणाम किया तो कर्नल की आँखों मे नमी आ गई जिसे उन्होंने सभी से छुपाते हुए साफ कर लिया पर जय ने उन्हें यह करते हुए देख लिया। जय कुछ भी नही बोला और वापस अपनी जगह पर आकर खड़ा हो गया।

ब्रिगेडियर सर, अभिमन्यु से बोले तुम अपनी माँ से कब मिल रहे हो। अभिमन्यु बोला रात को तब तक आप भी माँ को मेरे बारे में मत बताना की मैं आ गया हूं। ब्रिगेडियर सर बोले ठीक है फिर आज रात का खाना तुम दोनो घर पर ही खाओगे।

कुछ देर बात करने के बाद दोनो ब्रिगेडियर सर के ऑफिस से बाहर आ गए और किसी काम मे बिजी हो गए । इन सब के बीच जय , अभिमन्यु को मीरा ओर पलक के बारे में बताना ही भूल गया कि वो दोनो भी यही है। काम ख़त्म करके दोनो अपने कमरे पर गए और नहाकर कपड़े बदल कर बाहर आ गए। दोनो कुछ दूरी पर बने आर्मी ऑफिसर के लिए जो घर बने हुए थे उस ओर बड़े। एक घर के सामने जाकर दोनो रुक गए जहाँ नाम प्लेट लगी हुई थी जिस पर लिखा हुआ था ब्रिगेडियर जगतपाल सिंह शेखावत । अभिमन्यु ने नाम प्लेट को छुआ फिर डोरबेल बजा दी।

दरवाजा एक लड़की ने खोला जो फ़ोन पर बात कर रही थी उसने फ़ोन अपने कंधे ओर कान के बीच फ़सा रखा था। यह कोई नही मीरा ही थी जिसने लाइट ब्लू कलर की जींस ओर रेड कलर की टी शर्ट पहनी हुई थी ओर बाल खुले हुए थे जिसे देख कर एक पल अभिमन्यु भी नजर ठहर गई थी। अभिमन्यु मीरा को अपने घर मे देख कर हैरान था। अभिमन्यु को देख कर मीरा ने फ़ोन पर किसी से कहा कि थोड़ी देर बाद बात करती हूं जिसे सुन के अभिमन्यु को होश आया ओर उसने अपनी नजर गुमा ली। अभिमन्यु को सुबह की बात याद आ गई और वो मीरा से माफी मांगने के लिए जैसे ही कुछ बोलने को हुआ कि मीरा ने उसे चुप रहने का इशारा किया। मीरा बोली कुछ भी बोलना मत जब भी मुँह खोलते हो हमेशा गुस्सा ही करते हो और सुबह छोटी सी गलती के लिए लम्बा छोड़ा लेक्टर दे दिया गलती अकेली मेरी नही थी तुम्हारी भी उतनी ही गलती थी तुम भी तो देख कर नही चल रहे थे पर आप कहा अपनी गलती मानने वाले ।  मीरा बोले जा रही थी और अभिमन्यु की नजरें मीरा के मासूम चेहरे पर आकर रुक गयी मीरा का चेहरा गुस्से में बहुत प्यारा लग रहा था । जय बस दोनो को ही देख रहा था आज पहली बार था जब किसी ने अभिमन्यु को इस तरह चुप करवाया था जय ने अभिमन्यु की नजरों को देख लिया था।

अभिमन्यु का ध्यान पलक के की आवाज से टूटा जो  मीरा से पूछ्ने आई थी कि कौन आया है पर अभिमन्यु ओर जय को देख कर वही रुक गयी। वह मीरा को देख कर पहले से ही हैरान था और पलक को देख कर ओर भी ज्यादा हैरान गया वो कुछ पूछता उसे किसी चीज की सुगंध आ रही थी। उसने मीरा को हाथ से एक तरफ किया और घर के अंदर चला आया मीरा कुछ बोलती उससे पहले ही पलक, जय को देख कर  बोली आरे आप बाहर क्यू खड़े है अंदर आइए ना। जय दोनो के साथ अंदर आया।

अभिमन्यु जब अंदर आया तो उसने देखा उसकी ममी सुधा जी खाना लगा रही थी। वो तीनो भी आकर अभिमन्यु के पास खड़े हो गए। अभिमन्यु लगातार सुधा जी को देख रहा था उसकी आँखों मे नमी आ गयी। मीरा ने अभिमन्यु की आँखों की नमी देख ली थी। सुधा जी डायनिग टेबल पर बैठे अभिमन्यु के पापा ओर मीरा के मम्मी पापा को खाना लगा रही थी। तभी जगतपाल जी की नजर अभिमन्यु पर पड़ी और वो सुधा की तरफ देख कर बोले भाग्यवान जरा पीछे देखना आपसे मिलने कोई आया है। सुधा जी ने जैसे ही पीछे देखा उनके सामने उनका बेटा खड़ा था जिसे कई महीनों बाद देखा था।

सुधा जी नम आँखों से अभिमन्यु की ओर बड़ी ओर पास जाके एक हाथ से उसके चेहरे को छूने लगी अभिमन्यु उनके गले लग गया। दोनो की आँखों मे नमी थी माहौल की हल्का करने के किये जगतपाल जी दोनो के पास आये और बोले आरे भाग्यवान बेटा इतने दिनों बाद घर आया उसे कुछ खिलाओगी या फिर आँसुओ से ही उसका पेट भरोगी। उसके आते ही रोना शूरू कर दिया अरे भाई तुमने इतना अच्छा खाना बनाया है उसे खिलाओ। सुधा जी मुस्कुराते हुए अपनी आँखों मे आयी नमी को पोछते हुए बोली माँ हुना इसकी इसलिए आ जाते है आँसू आप नही समझेगे।

जगतपाल जी बोले स्वंय भगवान नही समझ पाए औरतो को तो हम तो फिर भी इंसान है। यह कह कर जगतपाल जी हँसने लगे उनके साथ आसुतोष जी भी हँसने लगे जब मित्तल जी ने उन्हें घूरा तो वो चुप हो गए। सुधा जी जय के पास आकर बोली कैसे हो जय बेटा। जय बोला आपने मुझे कैसे पहचाना आंटी। सुधा जी बोले तुम्हारे बारे में अभी अक्सर बात करता रहता है इसलिए पहचान लिया और वो कहा है तुम्हारा तीसरा साथी। जय बोला वो अभी वही है उसकी कुछ दिनों पहले ही वहां पोस्टिंग हुई है । सुधा जी अभिमन्यु से बोली तुम दोनों कब आये हो यहाँ , अभिमन्यु कुछ बोलता उससे पहले ही जगतपाल जी बोले कल रात को ही यह दोनो आ गए थे  यहाँ ।

जैसे ही उन्हें अभिमन्यु की बात याद आयी कि उसने सुधा जी को कुछ भी बताने के लिए मना किया था वो चुप हो गए। यह सुन कर सुधा जी नाराज हो कर अभिमन्यु की तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी। यह देख अभिमन्यु पीछे से उनके गले जा लगा ओर उनके गाल पर किश करके बोला सॉरी माँ, मैं आप लोगो को रात में परेशान नही करना चाहता था ओर सुबह काम से बाहर चला गया था। अब माफ भी कर दो बहुत जोर की भूख लगी है बहुत दिनों बाद आपके हाथ का खाना खाने को मिलेगा अब ओर इंतजार नही होता। यह सुन कर मीरा  धीरे से बोली भुक्खड़ कही का , जैसे ही पास खड़ी पलक ने यह सुना तो उसने मीरा को धीरे से कोहनी मारी। मीरा जोर से बोली आउच जिससे सभी का ध्यान उसकी तरफ गया अभिमन्यु उसकी तरफ देखते हुए बोला नॉटकी कही की।

कहानी अच्छी लगे तो रेटिंग ओर समीक्षा जरूर दीजियेगा।

कमशः

।। जयसियाराम ।।

@vishalramawat

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1 Comments

Mohammed urooj khan

18-Oct-2023 02:55 PM

👌👌👌

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