Vishal Ramawat

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फ़र्ज(भाग:-16)

मीरा की आवाज सुन कर सुधा जी बोली क्या हुआ बेटा। मीरा ने ना में गर्दन हिलाई। सुधा जी एक बार फिर से अभिमन्यु को गले लगाया और बोली यह मीरा , आसुतोष जी ओर मित्तल जी की बेटी और यह पलक मीरा की दोस्त। सभी डायनिग टेबल की ओर बड़े। जगतपाल जी बोले आज सुधा ने खाना लाजवाब बनाया है।

"फिर तो मैं आज दबाकर खाने वाला हूँ" अभिमन्यु बोला। सुधा जी  ने पलक ओर मीरा की मदद से डायनिंग पर खाना लगवा दिया। सभी आकर बैठ गए। अभिमन्यु  अपने बाबा जगतपाल जी की बगल में बेठा था उनका लाडला जो था । सुधा जी  भी आ बैठी और सबकी प्लेटो में खाना परोसा। दाल, मिक्स चावल, भिंडी की तरकारी, आलू की झोल वाली सब्जी , रोटी,  गर्मागर्म पूरी और साथ में बूंदी का रायता । ये सब देखकर ही अभिमन्यु के मुंह में पानी आ गया उस पर खुशबु इतनी अच्छी की ढक्कन हटाते ही पूरा घर खाने की खुशबू से महक उठा। अभिमन्यु ने जैसे ही खाने के लिए हाथ बढ़ाया सुधा जी ने रोक दिया और एक निवाला तोड़कर अपने हाथ से खिलाने लगी।अभिमन्यु भी उन्हें अपनी प्लेट से खाना खिलाने लगा।

सुधा जी को खाना खिलाते समय अभिमन्यु की नजर जब सामने पड़ी तो उसने देखा की मित्तल जी जय को अपने हाथ से खाना खिला रही थी। यह देख अभिमन्यु मुस्कराते खाना खाने लगा। मीरा की नजर भी इस समय जय ओर मित्तल जी पर थी पर वो कुछ बोली नही। अभिमन्यु खाना खाते हुए बोला अगर माँ आपको मेरे आने का पता नही था तो फिर आपने सारा खाना मेरी पसंद का कैसे बनाया। सुधा जी बोली कल रात से ही तेरी बहुत याद आ रही थी ओर आज वैसे भी आसुतोष जी और मित्तल जी आने वाले थे इसलिए सारा खाना तेरी पसंद का ही बनाया है मैंने। तभी सुधा जी को कुछ याद आया और वो बोली मैं खिंचड़ी लाना तो भूल ही गयी मैं अभी लेकर आती हु।

पलक खड़ी होते हुए बोली आप रुकिए आँटी मैं जाकर लेकर आती हु। मीरा ने पलक को रोका ओर खुद किचन में गयी उसके दिमाग मे जरूर कुछ पक रहा था जिससे अभिमन्यु अभी तक अनजान था। अगले कुछ मिनट बाद उसके साथ क्या होने वाला था यह तो मीरा ही जानती थी। कुछ देर में मीरा वापस आयी और एक प्लेट अभिमन्यु के पास रखी जिसमे उसके लिए खिचडी थी। सभी अपना अपना खाना खा रहे थे मीरा की नजर बार बार अभिमन्यु की तरफ जा रही थी जो सब कुछ खा रहा था सिवाय खिंचड़ी के। मीरा को गुस्सा आ रहा था वो बड़बड़ा रही थी कि भूकड़ कुछ और भी खा ले। अभिमन्यु को ऐसे खाता देख वो खुद ही बोली आँटी खाना बहुत अच्छा बना है और खिंचड़ी तो लाजवाब बनी है।

अभिमन्यु ने भी अपनी प्लेट से खिंचड़ी खाने लगा जैसे ही पहला निवाला अंदर गया उसने मीरा की तरफ देखा जो अभिमन्यु की ही तरफ देख रही थी। अभिमन्यु को पता चल गया यह मीरा की ही करतूतों मेसे एक है। अभिमन्यु की खिंचड़ी में ऊपर से लाल मिर्च पाउडर डाला गया था। अभिमन्यु को पहला निवाला खाते ही हिचकी आनी शुरू हो गई सुधा जी ने उसे पानी पिलाया ओर बोली क्या हुआ बेटा , अभिमन्यु कुछ बोलता उससे पहले ही मीरा बोल पड़ी खिंचड़ी अच्छी नही लगी क्या। आँटी ने इतने मन से बनाई थी।

अभिमन्यु, मीरा का चेहरा देखते हुए सोचने लगा कि कैसी लडक़ी है यार यह इसने उस दिन का बदला  इस तरह लिया। सुधा जी वापस बोली हुआ बेटा, अभिमन्यु ने ना में गर्दन हिलाई। सभी आपस मे बाते करते हुए खाना खा रहे थे। अभिमन्यु बस चुपचाप खाता जा रहा था और मीरा उसे ही देख रही थी । मीरा भी हैरान थी उसे ऐसे खाते देख मानो उसमे कुछ भी नही मिलाया गया हो। अभिमन्यु की आँखे लाल हो गई थी और आँखों से आँसू आने लगे यह देख कर मीरा को बिल्कुल भी अच्छा नही लगा और वो अपनी चेयर से उठकर अभिमन्यु के  पास आई और उसके हाथ से चम्मच ले कर बोली बस भी करो अब अपनी हालत देखो।

सभी का ध्यान जब मीरा ओर अभिमन्यु की तरफ गया तो सभी डर गए। अभिमन्यु को हिचकियाँ शुरू हो गयी थी उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे , चेहरा पूरी तरह से लाल हो  गया था। सुधा जी ने जल्दी से उसे पानी पिलाया तब भी कुछ फर्क नही पड़ा तो जगतपाल जी बोले उसे कुछ मीठा खिलाओ । मीरा जल्दी से किचन की तरफ भागी ओर जब वो वापस आई उसके हाथ मे गुड़ था उसे उसने अभिमन्यु को खिलाया।

सुधा जी को लगा कि अभिमन्यु की खिंचड़ी में कुछ है जैसे ही वो खाने लगी मीरा ने उन्हें रोक लिया और बोली इसमे लाल मिर्च का पाउडर डाला गया है। सभो की नजर हैरानी से फेल गयी सुधा जी बोली आपको कैसे पता बेटा ओर कोई क्यों अभी के खाने में मिर्च पाउडर मिलायेगा। मीरा बोली सॉरी आँटी मिर्च पाउडर मेने ही खाने में मिलाया था। मीरा भी काफी डर गई थी उसे नही पता था कि इतना कुछ हो जाएगा। यह सब सुन जय बोला यह तुमने अच्छा नही किया मीरा, उस दिन का बदला तुमने इस तरह लिया। मीरा बोली मैं तो दिल्ली वाली बात तो भूल गयी थी पर आज सुबह इन्होंने बिना मेरी बात सुने मुझे सुना दिया था सुबह मेरी अकेली की गलती नही थी इनकी भी थी ।

यह सुन आसुतोष जी गुस्से में तेज आवाज में मीरा को शांत रहने का बोला। जगतपाल जी , आसुतोष जो को शांत करवाते हुए बोले तुम चारो एक दूसरे को जानते हो। पलक बोली जी अंकल हम लोग दिल्ली में मिले थे और पलक ने सभी को सारी बाते बता दी। जगतपाल जी बोले यह मैं इतने सालों में पहली बार सुन रहा हु की अभिमन्यु काम के अलावा किसी से इतनी बात भी की हो  क्योंकि यह बन्दा लड़कियों से हमेशा दूर ही रहा था। मीरा सुधा जी के पास आई और बोली सॉरी आँटी मुझे नही पता था कि इतना सब हो जायेगा। कोई बात नही बेटा, वैसे अभी को तीखा पसन्द नही है या यू कहे की इसे ज्यादा तीखा खाने से हिचकियाँ शुरू हो जाती है।

अब अभिमन्यु की हालत में भी सुधार आ गया था इसलिए सभी ने खाना खाया और हॉल में लगे सोफों पर बैठ गए। इस बीच मीरा ने अभिमन्यु से बात करने के भी कोशिश की पर अभिमन्यु ने मीरा को इग्नोर कर दिया। सुधा जी पलक के साथ मिलकर सभी के लिए गाजर का हलवा ले आई। जिसे देखते ही अभिमन्यु की आंखों में चमक आ गयी। अभिमन्यु बड़े चाव से हलवा खा रहा था और मीरा उसे देख रही थी सुधा जी उसके पास आई और बोली तुम भी खा लो या देख कर ही पेट भर जाएगा। यह सुन कर मीरा झेंप गयी । वह पलक के पास जाकर बैठ गयी और अपनी प्लेट से हलवा खाने लगी।

सभी लोग अपने अपने कॉलेज की बाते करने लगे बातों बातों में जगतपाल जी सभी को बताया कि जब अभिमन्यु दिल्ली कॉलेज में था । कॉलेज के पहले ही दिन इसे एक लड़की ने प्रोपोज़ कर दिया था और इन्होंने क्या कहा पता है। सुधा जी बोली यह हाथ जोड़कर बोला देवीजी रास्ता उस तरफ है। इतना सुनते सभी जोर से हँस पड़े, जब सभी की नजरे अभिमन्यु पर गयी तो सभी ने देख वो इम्तहान से अपना हलवा खा रहा था। अभिमन्यु ने सभी की बाते सुन रहा था पर वो कोई रियेक्ट नही कर रहा था।

देर रात आसुतोष जी अपने परिवार के साथ घर के लिए निकल गए। आसुतोष जी और मित्तल जी आगे चल रहे थे  दोनो ही शांत थे और उनके पीछे मीरा - पलक। पलक भी मीरा से गुस्सा थी उसके साथ मीरा जो अपने मम्मी पापा की नाराजगी के साथ खामोशी भी झेलनी पड़ रही थी। सभी घर पहुंचे आसुतोष जी तो सीधे अपने कमरे में गए क्योंकि रात भी काफी हो गई थी और सुबह ड्यूटी पर भी जाना था। पलक भी अपने कमरे में चली गयी। अब पीछे बची मीरा ओर मित्तल जी। मित्तल जी आकर हॉल में सोफे पर बैठ गयी और मीरा उनके पैरों के पास आकर बैठ जाती है । मीरा उनकी गोद मे अपना सिर रख कर बोलती है सॉरी मम्मा। आगे से ऐसी गलती नही करुँगी पक्का वाला प्रोमिस।

मित्तल जी :- कोई बात नही बेटा आगे से ध्यान रखना। अभिमन्यु बहुत ही अच्छा लड़का है उसने अपनी जिंदगी में बहुत ही मुशिबते झेली है। वह कितना भी परेशान क्यों ना हो कभी दुसरो को परेशान नही करता । हमेशा दूसरों की मददत करता है बस काम के वक़्त उसे बिल्कुल भी पंसद नही की कोई लापरवाही करे।

मीरा बोली :- जी माँ में आगे से कोई गलती नही करुँगी।

मित्तल जी :- अभिमन्यु तो ब्रिगेडियर सर का....

तभी मित्तल जी का फ़ोन बना जब उन्होंने उठाया तो पता चला हॉस्पिटल में काम है । वो जाते हुए मीरा को जल्दी सो जाने का बोल कर चली गयी।

मीरा अपने कमरे में आई और अभिमन्यु के बारे में सोचते हुए उसे कब नींद आयी पता ही नही चला।

कमशः

।। जयसियाराम ।।

@vishalramawat

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1 Comments

Mohammed urooj khan

18-Oct-2023 02:55 PM

👌👌👌

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