Vishal Ramawat

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फ़र्ज(भाग:-17)

आसुतोष जी अपनी फैमिली के साथ चले गए थे। जय , जगतपाल जी और सुधा जी के साथ हॉल में बैठ कर बातें कर रहे थे। और अभिमन्यु वहाँ से उठकर ऊपर एक कमरे में चला गया । कमरा बहुत ही खूबसूरत तरीके से सजाया गया था हर एक चीज सलिखे से रखी गयी थी। स्टडी टेबल के पास एक फ़ोटो लगी हुई थी । अभिमन्यु आकर बेड पर बैठ गया और उस तस्वीर को देखने लगा। जब काफी देर तक अभिमन्यु नीछे नही आया तो सुधा जी ऊपर कमरे में आई तो उन्होंने देखा अभिमन्यु सो चुका था इसलिए उसे कम्बल ओढाकर उसके सिर में हाथ फेर कर नीछे आकर सभी को बताया कि वो तो सो गया। इसलिए जय अपने कमरे पर चला गया।

अगले दिन सुबह जल्दी ही अभिमन्यु की नींद खुल गई थी  जब उसने अपने आस पास देखा तो उसे याद आया कि वो रात को यही सो गया था। वह धीरे धीरे नीछे आया और बिना किसी को परेशान करते हुए अपने कमरे की तरफ चल पड़ा। जय तब तक उठ चुका था दोनो तैयार होकर ग्राउंड में पहुंचे। कुछ देर बाद ही कैप्टन रंजीत ओर कैप्टन विकास भी आ गए। धीरे धीरे सभी जवान आने लगे और परेड शुरू हुई।

आज मीरा रोज के मुकाबले जल्दी उठी थी । कुछ याद आते ही निचे भागी आसुतोष जी नास्ते की टेबल पर ही मिले। वो न्यूज पेपर पढ़ रहे थे मीरा जाकर उनके पास बैठी। मीरा को देख कर आसुतोष जी बोले , मित्तल जी जरा बाहर आके देखिए कोन आया है। मित्तल जी बाहर आई उनके हाथ में आलू के पराठे की प्लेट थी टेबल पर रखते हुए बोली आज सूरज कहा से निकला है। मीरा बोली ऐसी कोई बात नही है मॉम मैं हमेशा जल्दी ही उठती हु। आसुतोष जी बोले सपने में यह कह कर जोर से हँस दिए। यह सुन कर मीरा मुँह फुलाकर बेठ गयी , यह देख आसुतोष जी बोले सॉरी बेटा मज़ाक कर रहा था।

मीरा बोली मैं भी मज़ाक ही कर रही थी डैड। आसुतोष जी ने उसके सिर पर हल्की चपट लगाई और बोले चल जा मुँह धोकर आ फिर नास्ता करते है। मीरा बोली आज तो नास्ता ऐसे ही होगा और एक पराठा लेकर खाने लगी। तब तक पलक भी तैयार हो कर आ गयी थी वो भी सभी के साथ नास्ता करने बैठ गयी। मीरा बोले डैड कल के लिए सॉरी , मैं नही जानती थी कि इतना कुछ हो जाएगा ओर उनको इतना हर्ट होगा। आसुतोष जी बोले देखो बेटा कुछ भी करने से पहले उसके परिणाम के बारे में सोचो । ओर तुम आज ही सबसे पहले अभिमन्यु से माफी मांगो गी। मीरा सोचने लगी वो तो सुनने को भी तैयार नही है फिर भी मैं हार नही मानने वाली बात करके ही रहूंगी।

नास्ता करके आसुतोष जी अपनी ड्यूटी पर चले गए और मित्तल जी हॉस्पिटल । मीरा पलक के साथ अपने कमरे में आई । पलक को अपने बेड पर बैठ कर बोली सॉरी यार में  उससे आज ही माफी मांग लुंगी तू तो गुस्सा न कर। पलक बोली पता है तुझे वो बहुत अच्छा लड़का है उस दिन कॉफी शॉप में उसने हमारी मदत की थी। पलक ने उसे सारी बात बता दी कि दिन क्या हुआ था। यह सब सुन कर मीरा को बहुत ही बुरा लग रहा था उसने जो किया अभिमन्यु के साथ। कुछ देर में दोनों तैयार होकर बाहर आ गयी। मीरा अभिमन्यु को ढूढ़ रही थी पर वो उसे कही दिखाई नही दे रहा था।

कुछ देर बाद उन्हें अभिमन्यु जय ओर बाकी  2 कैप्टन के साथ बात करते हुए दिखाई दिया। दोनो उस ओर बढ़ गयी। अभिमन्यु ने उन पर ध्यान ही नही दीया वो कैप्टन विकास के साथ बातो में लगा रहा। पलक जय से बातें करने लगी दोनो में अब  काफी अच्छी दोस्ती हो गई थी। अभिमन्यु पलक से भी बातें कर रहा था परन्तु मीरा की तरफ देख तक नही रहा था।  मीरा ने देखा कि अभिमन्यु उसे इग्नोर कर रहा है। मीरा लगातार अभिमन्यु को देख रही थी यह बात अभिमन्यु भी जानता था पर बोला कुछ नही। कुछ देर बाद अभिमन्यु किसी काम से दोनो कैप्टन्स के साथ मेजर सर के पास चला गया। मीरा उसे जाते हुए देखती रही। पलक , जय से बोली अभिमन्यु सर हमेशा ऐसे ही रहते है क्या। जय मीरा की तरफ देखते हुए बोला नही, वो सिर्फ ड्यूटी पर ही सिरियस रहता है बाकी टाइम तो हमेशा हँसी मजाक करता रहता हैं वो खुशमिजाज इंसान है।

मीरा बड़े ध्यान से अभिमन्यु के बारे में सुन रही थी इसीलिए जय बोला एक बात बताता हूं कैप्टन के बारे में ओर उसने पलक ओर मीरा को सोफिया के बारे में सब बता दिया। और बोला यह बात कैप्टन को पता नही चलनी चाहिए। कुछ देर बात करने के बाद मीरा वहाँ से उठ कर ग्राउंड में खाली जगह पर जाकर बैठ गयी। और जय ओर पलक उसे ही देख रहे थे पलक बोली मैंने यहां आने के बाद मीरा में कुछ बदलाव नोटिस किये है पता नही यह बदलाव आगे जाके उसकी जिंदगी में क्या खेल दिखाते है। पलक ओर जय दोनो बाते करने लगे, पलक उसे कॉलेज की बाते बताती ओर जय अपने कॉलेज के समय की बाते बता रहा था।

मीरा काफी देर तक शांत बैठी रही वह किसी सोच में मग्न थी तभी उसे महसूस हुआ कि उसके पास कोई बेठा है जब उसने अपनी दाई ओर देखा तो अभिमन्यु बेठा था। मीरा हैरानी से उसे देख रही थी और वो सामने ग्राउंड में ट्रेनिंग करते हुए जवानों को देखते हुए बोला सॉरी। मीरा कुछ बोलने को हुई तो अभिमन्यु ने उसके हाथ पर अपना हाथ रख कर बोला पहले मेरी बात सुनो । मीरा को अभिमन्यु का छूना गलत नही लगा उसे एक अलग ही अहसास हुआ ऐसा उसके साथ कभी नही हुआ था। अभिमन्यु ने बोलना जारी रखा मैं तुमसे मिलने से पहले ऐसा नही था जो छोटी छोटी बात कर लड़ने के लिए तैयार हो मेने तुम जैसी बेपरवाह लड़की पहले कभी नही देखी थी जो बिना परवाह किये उस दिन उन लड़कों से भिड़ गई  यह भी नही सोचा कि सामने कितने है। उस दिन मैं बीच मे इसलिए आया कि मैं नही चाहता था कि तुम लोग किसी ममुश्किल में पड़ जाओ । तुमने उस लड़के के चेहरे पर मारा था वो तुम पर हाफ मर्डर का केस कर सकता था जिससे तुम लोगो का भविष्य ख़तरे में पड़ जाता था।

मॉल में बात हुई उसके लिए भी सॉरी पता नही क्यों मेने ऐसा रियेक्ट किया। ओर हा कल सुबह के लिए भी सॉरी मेरा भी ध्यान नही था और में तुमसे टकरा गया पर वहाँ तुम्हारी भी गलती थी। इतना सब बोल कर अभिमन्यु चुप हो गया उसका हाथ अभी भी मीरा के हाथ पर था। मीरा लगातार अभिमन्यु को घूर रही थी अभिमन्यु सामने देखते हुए बोला अब ऐसे ही देखती रहोगी या कुछ बोलोगी भी यह सुन कर मीरा झेप गयी और सामने देखते हुए बोली कल मैंने जो कुछ भी किया उसके लिए मैं शर्मिंदा हु। मेने जितनी भी गलतियां की उन सब के लिए सॉरी । ओर हा कल। सुबह मेरी भी गलती थी मेरा ध्यान फ़ोन में था और में तुमसे टकरा गई। कल रात मेने जो कुछ नासमझी में किया हो सके तो माफ कर देना। अभिमन्यु बोला कोई बात नही उस बात को भूल जाओ मैं भी भूल जाऊँगा। मीरा बोली क्या हम सब कुछ भूलाकर एक नए रिश्ते का आग़ाज़ कर सकते हैं क्या हम दोस्त बन सकते है।

अभिमन्यु खड़ा हुआ और बोला मैं इतने जल्दी रिस्ते नही बनाता क्योंकि मुझे रिस्ते निभाना नही आता। जाते जाते रुक कर बोला

बहुत कुछ सिखाया ज़िंदगी के सफर ने अनजाने में, वो किताबों में दर्ज़ था ही नहीं जो पढ़ाया सबक ज़माने ने!

अभिमन्यु वहाँ से चला गया और मीरा उसके द्वारा कह गयी लाईनों का मतलब समझने की कोशिश करने लगी। कुछ देर बाद पलक उसके पास आई और उसे अपने साथ सुधा जी के घर ले गई। सुधा जी किचन में कुछ काम कर रही थी दोनो ने जाकर उन्हें प्रमाण किया।  मीरा को सुधा जी से बात करने में हिचकिचाहट हो रही थी मीरा  हिम्मत करके बोली कल के लिए सॉरी आँटी। सुधा जी मीरा के गाल छुटे हुए बोली कोई बात नही बेटा यह तुम दोनों के बीच का मामला है मैं बीच मे नही बोलूंगी पर इतना याद रखना हर बात के दो पहलू होते है और हा किसी को भी गलतफहमी हो सकती है इसलिए किसी भी मुद्दे पर पहुंच ने से पहले एक ओर सोच लेना चाहिए। सुधा जी ने दोनो के लिए कॉफी ओर अपने लिए चाय बनाई। तीनो सोफे पर बैठ चाय कॉफी पीने लगे।

कमशः

।। जयसियाराम ।।

@vishalramawat

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1 Comments

Mohammed urooj khan

18-Oct-2023 02:54 PM

👌👌👌👌👌

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