लेखनी कहानी -03-Jul-2023# तुम्हें आना ही था (भाग:-16)#कहानीकार प्रतियोगिता के लिए
गतांक से आगे:-
रात होने वाली थी शास्त्री जी ने एक गाय पाल रखी थी ।उसको दुहने का समय हो गया था वैसे तो बच्चे ही आगे से आगे काम कर देते थे पर जब तक शास्त्री जी उस गाय को प्यार से पुचकारते नहीं थे तब तक वो दूध नहीं देती थी । शास्त्री जी ने घड़ी में समय देखा तो तुरंत खड़े हो गये और बोले,
"क्षमा चाहता हूं ।मेरी गाय मेरे बगैर दूध नहीं देती ।मुझे जाना होगा ।मैं कल फिर से यथासमय आ जाऊंगा ।अब मुझे इजाज़त दे।"
राज और भूषण प्रसाद भी खड़े हो गये और राज ने आगे बढ़कर कहा,
"चलों मास्टर जी मैं आप को घर तक छोड़ दूं।"
शास्त्री जी भी राजी हो गये क्योंकि वैसे भी रात में उन्हें कम ही दिखाई देता था ।वो गाड़ी में बैठ गये और गाड़ी शास्त्री जी के घर की ओर चल दी।मास्टर जी को यथास्थान छोड़ कर राज अपनी गाड़ी से घर की ओर जा रहा था कि सहसा उसका मन हुआ कि थोड़ी देर रास्ते में एक बगीचा पड़ता था उसमें बैठा जाए ।वो गाड़ी साइड में लगाकर बग़ीचे में बैठ गया । थोड़ी देर बगीचे की नर्म नर्म घास पर आंखें बंद करके लेट गया और जब से यहां आया था तब से अब तक जो शास्त्री जी किताब से पढ़कर बता रहे थे वो सब सोचने लगा।
उसे सब चीजें एक दूसरे में उलझी हुई लग रही थी लड़की का बार बार दिखाई देना फिर गायब हो जाना ,लाल हवेली में अचानक से उसका ऊपर वाले कमरे में चले जाना ,उस हवेली को देखकर ऐसा लगना जैसे वो बहुत बार इसमें आ चुका है जबकि उसकी यादाश्त में वो इसके आसपास के बगीचे के अलावा हवेली के अंदर कभी नहीं आया। पहले ये लड़की क्यों नहीं दिखाई देती थी अभी क्यों ये दिखने लगी है और जब भी दिखती है वह खो सा जाता है उसकी आंखों में ।पता नहीं क्यों जी करता है उसकी पेंटिंग बनायें।
और आज अंकल को भी उस कमरे में वो गुप्त दरवाजा मिला वो रास्ता कहां जाता होगा ।फिर कमरे में नये जमाने की बालियां रखी थी जो कल तक नहीं थी वहां पर ,वो उबटन भी गीला था आखिर किसने बंद हवेली में वो उबटन इस्तेमाल किया होगा।
राज का सिर भनना उठा ।उसने अपने दोनों हाथों से अपना सिर पकड़ लिया । प्रश्न तो बहुत थे पर उत्तर एक भी हाथ नहीं लग रहा था।
तभी अचानक से उसे किसी के खुसर-पुसर करने की आवाज सुनाई दी ।उसके कान चौकन्ने हो गये उसने चांद की चांदनी में देखने की कोशिश की तो पाया एक आदमी और औरत एक पेड़ के पीछे खड़े फुसफुसा रहे हैं ।जब उसने उनकी बातों पर कान लगायें तो वो कह रहें थे,
उनमे से आदमी की आवाज जो आ रही थी वो कह रहा था,"भाग्यवान तुम्हें पक्का पता है परी इसी रास्ते से आई है ।"
"हां हां मैं झूठ थोड़ा ही बोलूंगी अभी थोड़ी देर पहले तो वो अपने से आगे आगे चल रही थी।"
तभी वह औरत हल्की सी चीखते हुए बोली,"वो देखो जी , हमारी परी वो उस चट्टान की ओर जा रही है।"
वो दोनों परछाईं पेड़ से निकल कर इंगित किये स्थान की ओर चल पड़ी ।राज को भी मामला कुछ गंभीर बात लगा वह भी उनके पीछे-पीछे है लिया ।उसे ये तो पता चल गया था कि ये है तो उस लड़की के मां बाप जिसका जिक्र ये अपनी बातों में कर रहे हैं ।राज भी चुपके-चुपके उनका पीछा करने लगा ।
उसने देखा एक पहाड़ी लड़की आगे आगे जा रही है वो बिल्कुल सीधा चल रही है ।ऐसा लगता है जैसे वो किसी के वश में है या फिर कोई सपना देख रही है और उसके माता-पिता उसका पीछा कर रहे हैं ।अंधेरा होने की वजह से साफ साफ मुंह किसी का दिखाई नहीं दे रहा था। लेकिन फिर भी लड़की आगे आगे उसके मां बाप पीछे पीछे और उनके पीछे राज ऐसे क्रम से सभी चले जा रहे थे ।
तभी थोड़ी दूर जाने के बाद वह लड़की एक चट्टान के पास ठिठक गयी और उसने चट्टान के पत्थर में एक दरार थी उसमें अंगुली घुसेड़ी और "खट"की आवाज से चट्टान एक तरफ सरक गई।और वो लड़की उसमें चली गई ।लपक कलड़की के माता-पिता भी उसी दरार में समा गये और पीछे पीछे राज भी ।
उन्होंने देखा उस सुरंग में एक तरफ मशाल रखी थी उस लड़की ने मशाल ऐसे जलाई जैसे कभी की अभ्यस्त हो इन सब चीजों की और वह उस सुरंग में आगे बढ़ने लगी ।वे बेख़ौफ़ चली जा रही थी पीछे पीछे वो तीनों भी पैर दबा कर चल रहे थे लड़की के माता-पिता को तो लड़की से दूरी बना कर चलना था लेकिन राज को उन तीनों से दूरी बनाकर चलना था इसलिए राज बड़ी ही सतर्कता से चल रहा था।
थोड़ी देर बाद अचानक से लड़की रुकी उसे लगा जैसे उसके पीछे कोई है उसने पीछे मुडकर देखा तो उससे पहले ही उसके मां बाप और राज तीनों चट्टान की ओट में हो गये थे।सब तरह से आश्वस्त होकर लड़की फिर अपने मार्ग की ओर बढ़ने लगी । थोड़ी देर बाद उस सुरंग के मुहाने पर उन्हें एक दरवाजा दिखाई दिया वो लड़की उस दरवाजे में चली गई । पीछे पीछे वो तीनों भी दरवाजे में चले गये ।अभी तक तो आगे आगे मशाल की रोशनी थी लेकिन अब एक बड़े से हाल नुमा कमरे में वो तीनों खड़े थे।मशाल की टिमटिमाती रोशनी इतनी भी नहीं थी कि उस जगह को पहचाना जा सके पर वो लड़की सब काम ऐसे कर रही थी जैसे कभी की अभ्यस्त हो इन सब बातों की ।वह उस कमरे में घुम घुम कर कुछ खोज रही थी तभी उसे एक फूंकनी मिली जिससे मशाल की आग कर ठीक करते हुए उस पर धीरे-धीरे फूंक मारने लगी ताकि वो भड़क कर जलने लगे
तभी वो मशाल भभका देकर जोर से जलने लगी ।मशाल की रोशनी जैसे ही तेज हुई उस रोशनी में जैसे ही उसने उस लड़की का चेहरा देखा तो वह अवाक रह गया ।ये लड़की और कोई नहीं वहीं लड़की थी जो उसे बार बार मिलती थी कभी लाल हवेली में कभी खंडहर में तो कभी उसके घर के लान में ।उसने देखा उस लड़की ने पहाड़ी कपड़े पहन रखे थे ।वह शायद उन दम्पति की बेटी थी जो उसका पीछा कर रहे थे।
मशाल की तेज रोशनी में जब उसने आस-पास का जायजा लिया तो उसके मुंह से चीख निकलते निकलते बची।
कहानी अभी जारी है..……….
KALPANA SINHA
12-Aug-2023 07:18 AM
Nice part
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Gunjan Kamal
06-Aug-2023 06:03 AM
👏👌👍🏼
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