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प्रतियोगिता# प्रणय राग

प्रणय राग

हर क्षण तुम्हें देखने को आतुर हैं मेरे नैन
तुम बिन विरह वेदना में डसती काली रैन
एक बूँद प्रेम की आस लगाए बावरा मन
तुम आओ तनिक निकट मन को आये चैन।

कब से मन का तोहफ़ा लेकर खड़े हैं तुम्हारे द्वार
एक बार आकर हमको दर्शन देदो दिलदार
तुम बिन जीवन का गुलशन  मुरझाता है ऐसे
जैसे किसी उपवन से पलायन कर गयी बहार।

गीत बनकर रहते हो तुम ही उर के देश में
लिख देते हो प्रेम की पाती नित्य संदेश में
तुमने शब्द प्रसूनों से भर दिया है आँचल मेरा
सजा लेती हूँ यही पुष्प मुदित होकर केश में।

आजीवन रहूँगी बनकर मैं प्रियवर की छाया,
पारस के स्पर्श से स्वर्ण बन गयी मेरी काया
यह जग धूप बनकर जलाता है कोमल गात
खोज रहा है अब मन अपने मीत का साया।

प्रीति चौधरी "मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित।

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3 Comments

बेहतरीन बेहतरीन बेहतरीन

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Reena yadav

07-Aug-2023 11:05 PM

👍👍

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Alka jain

07-Aug-2023 01:26 PM

Nice 👍🏼

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