लेखनी प्रतियोगिता -07-Aug-2023
शीर्षक :सावन मनभावन
देखो गरजत घन नभ मन
हर्षित हुआ आज सखी री..
शीतल भये भीगे तन मन
नाचत बन मयूर सखी री..
भावों में भर आई थिरकन
चपल हुआ मन आज सखी री..
मन की मुंडेर पर दस्तक देती
पुरवाई रही है डोल सखी री..
मन चंचल बरबस चिंहुके
चाहे करे अब शोर सखी री..
पूछे कौन कहाँ पर मेरा?
भीगो अब सराबोर सखी री...
उमस भरी दोपहरिया बहकी
बरखा हिय को भाये सखी री..
रिमझिम बरस रहा मनभावन,
सावन हिय भरमाए सखी री..
तप्त धरा की बुझी प्यास है,
चहुँदिश है उल्लास सखी री..
भिगो रहीं तन शीतल बुंदिया
पिया परदेसी की आस सखी री...
देख अठखेलियाँ नन्हें मुन्नो की
बचपन आया फिर याद सखी री..
झूले की उठती पींगो ने नैहर की
यादों में नैन छलकाएसखी री..
Shashank मणि Yadava 'सनम'
08-Aug-2023 08:22 AM
बहुत सुंदर और बेहतरीन अभिव्यक्ति
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Reena yadav
07-Aug-2023 11:03 PM
👍👍
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