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लेखनी प्रतियोगिता -10-Aug-2023

तमन्ना


चाह कर भी न कर पाए तमन्ना पूरी,
रह गयी सांस अधूरी,रह गयी एक तमन्ना अधूरी।
अधरों में जो न आ सका प्रेम गीत जो...
या आँखों में न समा सका प्रेम भाव जो...
चाहतों से खेलती रहीं हसरतें हमारी,
चाहकर भी न कर पाए तमन्ना पूरी।

सागर से पूछते रह गए गहराई उसकी,
न समझे चाह उसकी न बता पाए
 बात दिल की।
शब्दों के जाल में यूँ फँसी रह गयी जिंदगी,
भावों के खेल में यूँ उलझी रह गयी बंदगी,
अब अधूरी सी लगती है प्रेम कहानी पूरी,
चाहकर भी न कर पाए तमन्ना पूरी।

हम पास आकर भी पास न आ सके,
प्रेम के पुष्प दिल में न खिला सके।
बस एक ही तमन्ना थी मिल जाए साथ उनका,
सोए या जागें देखें स्वप्न उनका,
मर्यादा के तले बिखर गयी चाहतें हमारी,
चाहकर भी न कर पाए तमन्ना पूरी।

श्वेता दूहन देशवाल मुरादाबाद उत्तर प्रदेश 

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1 Comments

Milind salve

13-Aug-2023 01:04 PM

Nice 👌

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