7) विषय-घर सूना हो गया
7) विषय-घर सूना हो गया
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इंसानी फितरत कभी बदलती नहीं।
मन संतुष्ट कभी किसी का होता नहीं।।
परिवार पूरा होना चाहिए एक की कमी नहीं।
छोटा सा हमारा परिवार सुकून प्रेम है नहीं।।
माता पिता करते नौकरी बच्चों को प्यार मिलता नहीं।
बड़े होकर बच्चे वृद्ध मात पिता को रखते नहीं।।
व्यस्तता से देवों का आतिथ्य होता नहीं।
आओ चले जाओ आदर सत्कार मिलता नहीं। ।
जहाँ बड़ों,छोटों और अतिथि का सम्मान नहीं।
सूना लगता वह आँगन शुभाशीष मिलता नहीं।।
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आभा मिश्रा-कोटा
(स्वरचित एवं मौलिक रचना सर्वाधिकार सुरक्षित©®)
# आधे अधूरे मिसरे/ प्रसिद्ध पंक्तियां
Shashank मणि Yadava 'सनम'
10-Sep-2023 05:52 PM
Nice
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