10) नर हो न निराश करो मन को
10) विषय-नर हो न निराश करो मन
को
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नर हो,मन को न निराश करो ।
हिमालय हो,मन मजबूत करो।।
कर सकते हो,हर कठिन काज।
क्यों घबराते हो,रखो मन आस।।
टक्कर लेते हो,पाषाण से तुम।
हिम्मत रखते हो,सफल होते तुम।।
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आभा मिश्रा-कोटा
(स्वरचित एवं मौलिक रचना सर्वाधिकार सुरक्षित©®)
Shashank मणि Yadava 'सनम'
10-Sep-2023 05:58 PM
बेहतरीन
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