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नदिया के पार

नदिया के पार

ये जिंदगी का सफर भी
है कितना अजीब
सावन का महीना है
मैं हूं नदिया के पार
मन को मैं कैसे काबू करूं
सजनी है उस पार।
माफ करना मुझें
जो मैं आ न सका
घनघोर हो रही है बारिस
नदी में पूरा है आर पार।
बधाई हो बधाई
तुम्हें जन्म दिन की बधाई
सावन का महीना है
मैं हूं नदिया के पार।
मेरा मन है अशांत
तुम हो नदिया के पार
नन्हें बच्चों को पढ़ाना
मन लगाकर काम निभाना
ये हैं सोलह आने सच
बहुत कश्मकश में हूं मैं आज
सावन का महीना है
मैं हूं नदिया के पार।
एकाकी पन की खाई
होती है बहुत गहरी
मन की बेचैनियां भी
चैन से सोने नही देती
सावन का महीना है
मैं हूं नदिया के पार।

नूतन लाल साहू

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2 Comments

Reena yadav

13-Aug-2023 09:25 PM

👍👍

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