वतन
कश्मीर से कन्याकुमारी,
फैले हिन्द की छटा न्यारी।
पवित्र गंगा यमुना सरस्वती,
धरती पर हरीतिमा बहती।
नारी का सम्मान यहाँ पर,
देवी जैसी पूज्य धरा पर।
जिस देश में नारी पूजिता,
उस देश में रमन्ते देवता।
पावन नदियां हैं खुशहाली,
हिमाद्री करता रखवाली।
अलग-अलग हैं धर्म यहाँ पर,
अलग-अलग भाषाएँ दर दर।
पहनावे में है विभिन्नता,
कोई पहने धोती-कुर्ता।
कोई बाँधे सर पर पगड़ी,
कोई पहने कटि पर तगड़ी।
रेगिस्तान स्वर्ण सा दमके,
कंटीले पौधे भी झलके।
धूप पड़े गर्मी झुलसाए,
रात शीघ्र ठंडी हो जाए।
संत महात्मा पूजित होते,
देवों जैसा आदर पाते।
वतन की खातिर जान कुर्बान,
हिन्दू मुस्लिम समता महान।
कोई भी संकट आ जाए,
पीछे कदम न हटने पाए।
हिन्द को नहीं झुकने देंगे,
मस्तक "श्री" ढेर लगा देंगे।
स्वरचित- सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)
Reena yadav
15-Aug-2023 05:42 PM
👍👍
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Gunjan Kamal
15-Aug-2023 12:29 PM
👏👌🙏🏻
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Abhinav ji
15-Aug-2023 08:47 AM
Very nice 👍
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