Kavita Jha

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एक डोर में सबको बांधती,वो हिंदी है, लेखनी कविता प्रतियोगिता# आधे-अधूरे मिसरे-25-Jul-2023


वक्त क
वक़्त को आते न जाते न गुज़रते देखा
वक्त बीत जाएगा यूं ही सबको कहते देखा
यह तो सबके लिए एक जैसा ही रहा
वो तो लोगों को ही बदलते देखा
कभी रुक जा आ बैठ वक्त बिता ले संग में
तू ही आता जाता रहा वक्त के रंग में रंग ले

कविता झा'काव्य'अविका
आधे-अधूरे मिसरे/ प्रसिद्ध पंक्तियां 

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