Jahnavi Sharma

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पेंटिंग

    “इटस रियली ब्यूटीफुल.....” एक लड़की खोए हुए स्वर में एक पेंटिंग के ऊपर हाथ फिरा रही थी। वह बिना पलकें झपकाए बस उसी को देख रही थी।


    तभी एक लड़के ने उसे पीछे से हग करते हुए कहा, “मुझे पता था आध्या, तुम्हें यह जरूर पसंद आएगा।”

    आध्या उससे अलग हुई और मुस्कुराते हुए उसकी तरफ मुड़ी। “यह मेरे लिए लाइफ का सबसे बेस्ट सरप्राइज है रोहन..... और तुम दुनिया के सबसे बेस्ट बॉयफ्रेंड.....” उसने कहा।

    उसकी बात सुनकर रोहन खुश हो गया। रोहन और आध्या एक बड़े से कमरे में खड़े थे, जहां दीवारों पर अलग-अलग तरह की पेंटिंग्स लगी हुई थी। आध्या जिस पेंटिंग के आगे खड़ी हुई थी,  वह वहां की सबसे बड़ी और वहां की सबसे खूबसूरत पेंटिंग थी।

    आध्या उसी पेंटिंग में खोई हुई थी जबकि रोहन इधर उधर नजर घुमाई तो उसकी नजर वहां लगी बाकी पेंटिंग्स पर गई।

    “यहां की पेंटिंग्स कुछ ज्यादा ही अजीब नहीं है? आई मीन दीवार पर खाली कैनवास कौन लगाता है? ” रोहन ने मुंह बनाकर कहा।

    वहां उस बड़ी सी पेंटिंग के अलावा गिनी चुनी कुछ और पेंटिंग्स दीवार पर लटकी थी। उसके आस पास कुछ कैनवास लगाए हुए थे।

    आध्या ने उसकी बात की तरफ ध्यान नहीं दिया और वह एकटक सामने लगी पेंटिंग की तरफ देख रही थी।

    सामने लगी पेंटिंग लगभग 6 फुट लंबी थी,  उसमे एक नाचती हुई लड़की की तस्वीर बनाई हुई थी।  वह लड़की कांच के ऊपर नाच रही थी।  कांच के ऊपर किया गया लाल रंग देख कर लग रहा था, मानो नाचते हुए उसके पैरों से खून निकल रहा हो, जो इस पेंटिंग को एक जीवंत रूप दे रहा था।

    उस पेंटिंग की खास बात यह थी कि उसे असली गहने और कपड़े पहनाए गए थे।

    “कितनी खूबसूरत पेंटिंग है, उसके बावजूद इसे म्यूजियम में लगाने के बजाय इस बंद कमरे में क्यों रखा गया है? ” रोहन ने आध्या के पास आकर पूछा।

    “हां यह पेंटिंग बहुत फेमस है। इसकी कई एग्जीबिशन में बोली भी लग चुकी है लेकिन यहां के मालिक नहीं चाहते कि इस पेंटिंग को बेचा ना जाए इसलिए उन्होंने इसे म्यूजियम से हटवा दिया, ताकि लोगों की इस पर नजर ना पड़े।”

    “चलो इन सब को छोड़ो। अब चलते हैं। बाहर और भी अच्छी अच्छी पेंटिंग्स लगी हुई है। उनको चल कर देखते हैं। ” रोहन आध्या का हाथ पकड़कर उसे वहां से ले जाने लगा।

    वह दोनों वहां से निकलने लगे। तभी आध्या को घुंघरू की आवाज सुनाई दी, मानो नाचते वक्त किसी ने अपने पैरों की थाप दी हो।

    आवाज सुनकर आध्या पेंटिंग की तरफ मुड़ी।

    “क्या तुम्हें भी घुंघरू की आवाज सुनाई दी? ” आध्या ने पूछा।

    “कौन से घुंघरू? ” कहकर रोहन ठहाके लगाकर हंसने लगा। ‌“तुम भी ना आध्या.....मैं तुम्हारा मजाक नहीं उड़ा रहा लेकिन तुम सच में थोड़ी अजीब हो। ”

    रोहन की बात सुनकर आध्या ने गुस्से में उसकी तरफ देखा। “अगर इतनी अजीब ही हूं, तो प्रपोज करने की क्या जरूरत थी?” उसने कहा।

    “अरे बाबा,  तुम बेवजह नाराज हो रही हो। मैं तुमसे प्यार करता हूं इसलिए प्रपोज किया..... और अजीब इसलिए कह रहा हूं कि मुझे समझ नहीं आ रहा तुम्हें इस मंजूलिका जैसी दिखने वाली पेंटिंग में क्या अच्छा लग रहा है.....” बोलते हुए रोहन पेंटिंग के पास गया और उसी की तरह पोज बना कर खड़ा हो गया।

    “इसे देखकर ऐसा लग रहा है कि जैसे अभी गाना बजेगा और यह नाचने लगेगी..... आमी जे तोमार..... सुधु जे तोमार.....”

    “तुम्हें इस तरह इस पेंटिंग का मजाक नहीं बनाना चाहिए।  यह मंजूलिका की पेंटिंग नहीं बल्कि कामिनी की पेंटिंग है। ” बाहर से एक आदमी बोलता हुआ आया। उन्होंने उन दोनों की बातें सुन ली थी।

    “अरे मिश्रा जी..... मैं तो बस ऐसे ही टाइम पास कर रहा था, वैसे एक थैंक्यू तो आप का भी बनता है।” जैसे ही रोहन ने अपनी बात खत्म की,  आध्या ने हैरानी से पूछा, “और तुम इन्हें किस खुशी में थैंक यू बोल रहे हो? ”

    “मैडम आपका जो यह पेंटिंग देखने का सपना था,  यह इन्हीं की वजह से पूरा हो पाया है। भले ही महल को म्यूजियम में बदल दिया गया हो,  जिसकी वजह से यहां पर लोग आराम से आ जा सके है लेकिन तुम्हें नहीं पता यह रस्ट्रिक्टेड एरिया है। इस वजह यहां किसी को भी आने की इजाजत नहीं है। ” रोहन ने बताया।

    “ग्रेट.....थैंक यू सो मच..... मैं कब से इनकी पेंटिंग देखना चाहती थी। आपको इनकी कहानी के बारे में पता है? ” आध्या ने पूछा।

    “हां इनकी भी मंजुलिका जैसी कोई कहानी होगी,  जिसमें मंजुलिका महल की कोई डांसर होगी... जहां राजा मंजूलिका से प्यार करता होगा, मंजुलिका किसी और से प्यार करती होगी और राजा ने मरवा कर इसकी पेंटिंग बनवा दी होगी।” रोहन ने मजाकिया तरीके से कहा।

    आध्या को उसकी बाद पसंद नहीं आई, तो वह उसकी तरफ आंखें तरेर कर देखने लगी। जवाब में उसने अपना कान पकड़ कर बुदबुदाकर सॉरी कहा।

    “जी नहीं, रोहन बाबू..  इस बार आप गलत है। ” मिश्रा जी उन्हें कामिनी की कहानी सुनाने लगे, “पहली बात तो यह हैं कि,  कामिनी महल में नाचने वाली कोई नर्तकी नहीं थी..... वह तो खुद एक राजकुमारी थी, जिसकी जल्दी शादी होने वाली थी। ”

    आध्या और रोहन बहुत ही गौर से मिश्रा जी की कहानी सुन रहे थे। “आई विश कि कामिनी की कहानी की हैप्पी एंडिंग हुई हो।”

    “हैप्पी एंडिंग तो नहीं कह सकते। ” मिश्रा जी ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और आगे बताया, “शादी से पहले कामिनी चाहती थी कि उसका होने वाला पति उसकी यह अद्भुत नृत्य कला देखें, इसके लिए पूरी व्यवस्था भी की गई थी। कामिनी सोलह सिंगार करके अच्छे से तैयार हुई थी। बिल्कुल इसी तरह जैसे वह इस तस्वीर में दिखाई दे रही है।  कामिनी उन्हें प्रभावित करने के लिए कांच पर नृत्य कर रही थी।  नृत्य करते वक्त वह कांच उसके पैरों में चुभ गए थे, उसके बावजूद उसने नाचना नहीं छोड़ा। खून इतना बह चुका था कि कुछ ही देर में कामिनी की मौत हो चुकी थी।”

    “दैटस सो सिली..... ऐसा कौन करता है?  जब कामिनी को कांच लग रहा था तो क्या जरूरत थी राजा को इंप्रेस करने के लिए यह बेवकूफी करने की?  ” रोहन ने अपनी प्रतिक्रिया दी।

    “इसी को सच्चा प्यार करते हैं रोहन बाबू.... राजा जी उनसे बहुत प्रेम करते थे, इसलिए उन्होंने उनकी यह जीवंत तस्वीर बनवाई। आपको यकीन नहीं होगा जब तक चित्रकार ने उनका चित्र नहीं बना दिया था, तब तक उनकी लाश वही उसी दरबार में पड़ी रही।  बाद में राजा ने उन्हें वही कपड़े और उनके गहने पहना कर इस पेंटिंग को सजावाया..... इस पेंटिंग को बनाने में चित्रकार को पूरे 2 महीने का वक्त लगा था।” मिश्रा जी ने उन्हें पूरी कहानी सुना दी थी।

    “2 महीने.....” आध्या ने आंखें बड़ी करके कहा, “2 महीने में तो उसकी लाश सड़ चुकी होगी। ”

    “हो सकता है... अब चलिए....  बातें बहुत हो गई। अगर यहां पर किसी ने देख लिया तो बवाल मच जाएगा।” मिश्रा जी ने कहा और उन्हें बाहर ले जाने लगे।

    “लेकिन आपने बाकी की पेंटिंग्स के बारे में तो बताया ही नहीं? यह सब काफी अजीब है.....” रोहन ने कहा।

    अब तक आध्या की नजरें पूरी तरह कामिनी की पेंटिंग पर टिकी हुई थी, लेकिन रोहन के कहते ही उसने आसपास लगी पेंटिंग्स की तरफ देखा,  जो वाकई दिखने में काफी अजीब और डरावनी लग रही थी।

    आध्या एक पेंटिंग के पास गई और उसने उसे करीब से देखा। वह पेंटिंग एक लड़की की थी, जिसके माथे के बीच एक बड़ा सा कांच का टुकड़ा लगा हुआ था। उसके माथे पर बड़ा सा घाव था, जिस से खून की धार बह रही थी।

    इस पेंटिंग को देखने के बाद आध्या अगली पेंटिंग की तरफ बढ़ी। वह किसी लड़के की थी, जिसके सीने के बाएं तरफ कांच का टुकड़ा लगा हुआ था। उसके सीने से भी खून निकल रहा था। उसकी बड़ी आंखें पूरी खुली हुई थी।

    “यह सब पेंटिंग्स वाकई में बहुत अजीब है। ऐसे लग रहा है जैसे रियल हो..... जिसने भी यह बनाई है उसने काफी फील करके बनाई है, देखिए ना इनके चेहरे का दर्द इनके आंखों मैं साफ झलक रहा है। इनके बारे में भी कुछ बताइए ना मिश्रा जी.....” आध्या ने पूछा।

    “मिश्रा जी,  आप इतने हैरान मत होइए। एक्चुअली आध्या खुद एक पेंटर है।  इस वजह से इसे हर एक पेंटिंग को जानने की इच्छा रहती है।” रोहन ने आध्या की तरफ देख कर कहा। जवाब में वह मुस्कुरा दी।

    “इन सब के बारे में तो मुझे भी नहीं पता। मैं यहां पर कुछ दिन पहले ही आया हूं, तब मुझे यह इंस्ट्रक्शन दिया गया था कि कामिनी की पेंटिंग को बाहर नहीं लाया जाए।”  मिश्रा जी ने बताया।

    “क्या मैं इन पेंटिंग्स को एक बार फिर देख सकती हूं? प्लीज.....” आध्या को वहां की पेंटिंग्स बहुत अजीब लगी और वह उनके बारे में जानने को उत्सुक हो रही थी इसलिए उसने मिश्रा जी से रिक्वेस्ट की।

    “ठीक है, लेकिन ज्यादा टाइम मत लगाना।  कुछ देर बाद म्यूजियम बंद होने वाला है। ” मिश्रा जी ने कहा और वहां से चले गए।

    उनके जाते ही रोहन ने कहा, “इन अजीबोगरीब पेंटिंग्स को देखकर तुम्हारा मन नहीं भरा, जो तुम यहां रुकना चाहती हो।”

    “पता नहीं क्यों रोहन,  यह पेंटिंग्स मुझे इतनी रियल लग रही है। एक बार कामिनी की पेंटिंग देखो,  उसके चेहरे पर वह दर्द दिखाई दे रहा है जब कांच चुभने से किसी को भी हो सकता है। लेकिन बाकी लोगों की पेंटिंग्स? यह किसने बनाई होगी? ”

    “हमें क्या, बनाई होगी किसी ने भी.....” रोहन ने कंधे उचका कर जवाब दिया।

    आध्या उन पेंटिंग्स को गौर से देखने लगी। वह एक लड़की की पेंटिंग की तरफ बढ़ी, जिसके दोनों हाथ उसकी आंखों पर रखे हुए थे, उसका मुंह खुला था और उसके मुंह के बीचोबीच एक बड़ा सा कांच का टुकड़ा चुभा हुआ था। डर के मारे उसकी आंखें खुलकर बाहर की तरफ निकली हुई थी। उसे देखकर आध्या को बेचैनी होने लगी।

    “यह तस्वीरें किसी को भी विचलित कर सकती है.....” बोलते हुए आध्या ने उस पेंटिंग पर हाथ रखा।

    “आहहहह.....” अचानक आध्या दर्द से चिल्लाई। रोहन दौड़ कर उसके पास आया और उसका हाथ पकड़ कर बोला, “क्या हुआ तुम्हें, मुझे तुम्हें यहां पर लाना ही नहीं चाहिए था। यह पेंटिंग्स काफी पुरानी है। आध्या,  इनकी मेंटेनेंस ठीक से नहीं की गई है। लगता है पेंटिंग के कांच में कुछ क्रैक होगा, जिस वजह से तुम्हें यह चुभ गया। ”

    आध्या की अंगुली पर कट लगा था, जिसमें से खून बह रहा था। उसके चेहरे पर दर्द के भाव थे।

    उसे परेशान देखकर रोहन भी काफी परेशान हो गया था।  वह उसका हाथ पकड़ कर उसे वहां से ले जा रहा था लेकिन आध्या ने उसका हाथ छुड़ाकर कहा, “रोहन मैं यहां कामिनी की पेंटिंग बनाने के मकसद से आई थी। मेरी हमेशा से इच्छा थी कि मैं इस पेंटिंग को देखकर बिल्कुल इसके जैसी दूसरी पेंटिंग बनाऊं..... यह मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट था लेकिन गूगल पर ज्यादा फोटो मौजूद नहीं होने की वजह से मैं इसे नहीं बना पाई।”

    “तुम पागल तो नहीं हो गई हो आध्या? यह कमरा इतना डरावना है...  तुम यहां रात भर रुक कर इस मंजूलिका की पेंटिंग बनाना चाहती हो? आर यू आउट ऑफ योर माइंड.....“ रोहन गुस्से में चिल्लाया।

    “ हां मैं जानती हूं, यहां सब कुछ बहुत अजीब है लेकिन हमें यहां वापस आने का मौका नहीं मिलेगा। प्लीज.....” आध्या ने प्यार से कहा,  तो रोहन भी उसकी बात को टाल नहीं पाया।

    “तुम सच में बहुत अजीब हो.....मेरी अजीब सी गर्लफ्रेंड.....” बोलते हुए रोहन ने धीरे से आध्या का नाक खींचा।

    आध्या अपने साथ कलर्स और पेपर लेकर आई थी लेकिन वहां पर कैनवास मौजूद होने की वजह से उसने अपना पेपर यूज करने की बजाय कैनवास यूज करना सही समझा।

    रोहन ने उसके आगे एक कैनवास लगा दिया। आध्या वहां पर खड़े होकर कामिनी की पेंटिंग बना रही थी जबकि रोहन उसके कमरे में बाकी की तस्वीरें देखने में लगा था।

    पूरे कमरे में बिल्कुल शांति छाई हुई थी। आध्या की पेंटिंग बन कर कंप्लीट हो चुकी थी और वह बहुत खुश थी।

    “फाइनली मैंने अपना सपना पूरा कर ही लिया। ” आध्या ने कामिनी की पेंटिंग देख कर कहा। उसने कामिनी की पेंटिंग की हूबहू नकल बना ली थी।

    “पेंटिंग अभी अधूरी है.....”  पीछे से आवाज आई।

    आध्या मुड़ कर पीछे देख पाती उससे पहले एक बड़ा सा कांच का टुकड़ा हवा में उड़ता हुआ आया और उसके गले के आर पार हो गया। आध्या ने खुद को संभालने के लिए पेंटिंग को पकड़ा था कि पीछे से एक और कांच का टुकड़ा उड़ते हुए आया और उसके पीठ में जाकर लग गया।

    रोहन बाकी की पेंटिंग्स को देख रहा था। जैसे ही उसने आध्या की चीख सुनी वह उसकी तरफ मुड़ा। उसने देखा कि आध्या का एक हाथ पेंटिंग पर रखा हुआ था और दूसरा पीछे की तरफ था।

    वह दौड़ कर उसके पास जाने लगा तभी उसने देखा कि पूरे कमरे में कांच ही कांच बिखरे हुए थे। वह कुछ समझ पाता उससे पहले बहुत से कांच के टुकड़े हवा में उड़ते हुए आए और सीधे जाकर उसके चेहरे के आर पार हो गए।

    __________

    अगले दिन एक सफाई कर्मचारी उस कमरे की सफाई करने के लिए अंदर गया। कमरा पहले की तरह व्यवस्थित था। उसने देखा सामने की तरफ एक कैनवास लगा हुआ था, जिस पर एक लड़की पेंटिंग बना रही थी। उसके गले और पीठ में कांच चुभा हुआ था और उसका एक हाथ पेंटिंग के ऊपर रखा हुआ था।

    दूसरी तरफ जमीन पर एक लड़के की पेंटिंग पड़ी थी जिसके चेहरे पर बहुत से कांच लगे हुए थे।

    “इन दोनों को तो कल शाम मिश्रा जी ने चुपके से यहां भेजा था..... पता नहीं क्या खास बात है इस कमरे मे..... जो भी यहां आता है,  अपनी पेंटिंग बनाकर चला जाता है। ” सफाई कर्मचारी ने कहा और नीचे पड़ी पेंटिंग को उठाकर दीवार पर बाकी की पेंटिंग्स के साथ लगा दिया।


समाप्त

★★★★


Note: aa

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2 Comments

RISHITA

27-Aug-2023 06:21 AM

amazing

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madhura

19-Aug-2023 06:58 AM

very beautiful

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