स्वैच्छिक विषय मनमोहन प्यारे
मैं कबसे तुम्हें पुकार रही मनमोहन प्यारे आ जाओ।
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मैं कबसे तुम्हें पुकार रही मनमोहन प्यारे आ जाओ।
मैं कबसे तुम्हें निहार रही बृज राज दुलारे आ जाओ।
तेरे बिन रहा नहीं जाता, आगे कुछ कहा नहीं जाता,
मैं कबसे तुम्हें दुलार रही,गोकुल रखवारे आ जाओ।
इस जीवन के आधार प्रभु, जीवों के प्राणाधार प्रभु,
मैं कबसे तुम्हें संवार रही,नयनन के तारे आ जाओ।
जीवन में कृपा तुम्हारी है,जिससे यह ज़िन्दा नारी है,
मैं कबसे चरण पखार रही, मीरा रत्नारे आ जाओ।
मेरा अपराध बताओ न,यह जीवन श्राप सताओ न,
जीवन न कभी बहार रही,शबरी उद्धारे आ जाओ।
सरिता तो तेरी दासी है,अंखियां दर्शन को प्यासी हैं,
झूठी भक्तन सरदार रही,गज तारन हारे आ जाओ।
सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर
Shashank मणि Yadava 'सनम'
19-Aug-2023 08:54 AM
खूबसूरत भाव और भावनात्मक अभिव्यक्ति
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डॉ. रामबली मिश्र
18-Aug-2023 10:26 PM
🙏🏻🙏🏻
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