बरसात की वो एक रात
बरसात की वो एक रात
इस दुनिया के मेले में आदमी कभी कभी ऐसा ही होता है परेशान एक रात की है बात कशमकश से भरा हुआ था मेरी जिंदगी मेरे दिल को सुकून मिल जाएं ऐसा सूझ न रहा था कोई उपाय याद आती है मुझकों बरसात की वो रात। दिल की धड़कने मेरी बार बार बढ़ रही थी सोंच में पड़ गया था मैं क्या करूं मैं उपाय विधाता से मैंने एक प्रश्न किया तुम तो रोते हुए को भी हंसा देते हो मुझें भी सूझा दो ऐसा कोई उपाय ताकि चैन की नींद मैं सो पाऊं याद आती हैं मुझकों बरसात की वो रात। जीवन मेरा मृग तृष्णा है रात के बाद ही सुबह होता है लेकिन अजीब सा डर सता रहा है सफर का यही फसाना है जो सोचा था मैनें वैसे बिल्कुल हुआ ही नही भाग्य का खेल निराला है याद आती है मुझकों बरसात की वो रात। हर हसीन शाम के बाद काली रात आयेगी ही आयेगी ही रिश्ते तो विश्वास पर चलते हैं यह हर युग की है बात मेरा पूरा जिस्म कांप रहा था क्या करूं क्या नही,सूझ न रहा था कोई उपाय उलझन में था मेरा मन याद आती है मुझकों बरसात की वो रात।
नूतन लाल साहू नवीन