जुदाई
सरर सर बहती पवन जा री, पिय को दे संदेश,
विरहन का मन क्लांत है री, आएँ अपने देश।
झर झर-झर लगे सावन झड़ी, ये बरसे बरसात,
दामिनी कड़के जिया धड़के, कौन छिपाए गात।
आँखों में नहीं नींद आए, चाँद बने हमराज,
पवन संदेश लेकर जाएं, पिय मुख चमके आज।
मिलन अधूरा क्यों रह गया, पूर्ण करें इस बार,
आओ पिया तुम स्वप्न में ही, दो पल साथ गुजार।
वहाँ धड़कन मेरी सुन सको, दिल से दिल की राह,
तेरा जाप हर पल रहा है, पिया मिलन की चाह।
आने का तेरा सबब नहीं, क्यों है इंतजार,
खोल दिखाऊँ अंतर कैसे, दिल में कितना प्यार।
शीतल बयारें मनचित्त छुएँ, मन भी रहे उदास,
तुझको छूकर आई जैसे, हो तेरा अहसास।
सांस सांस को भी खबर रहे, बंधन ऐसा बाँध,
उलझा मुझमें रहता जितना, झंकृत हो दिल साध।
हम दोनों यहाँ मिल गए हैं, ये किस्मत की बात,
विरह विछोह फिर कैसे हुआ, पलक न झपके रात।
छटा प्रकृति ही मन शांत करें, विरह दर्द बढ़ जाय,
दिवस यामिनी का मिलना भी, प्रीत आग लगाय।।
पावस ऋतु है घिरती घटाएँ, बारिश बरसे बूँद,
वादे किए सब ही याद है, बढ़े मिलन उम्मीद।
अधर से अधर का मिलन नहीं, इक दूजे में लीन,
सच्चा मिलन जब हुआ पिय से, जीव हो "श्री" विलीन।
स्वरचित- सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)
Shashank मणि Yadava 'सनम'
20-Aug-2023 09:42 AM
बेहतरीन
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Pooja Sarathe
19-Aug-2023 08:19 PM
Nice
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Varsha_Upadhyay
19-Aug-2023 04:21 PM
Nice one
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