ऐसा ही हो सोंच हमारा
ऐसा ही हो सोंच हमारा
न फूटे भाग्य किसी का और प्रेम की धारा बहती रहें किसी भी की बुद्धि पत्थर न हो और न हो कोई अपनो से दूर ऐसा ही हो सोंच हमारा। मन स्वच्छ हो तन स्वच्छ हो और आचरण भी हो स्वच्छ सबका आओ हम सब मिलकर ऐसा संकल्प लें कोई न भूलें अपने माता पिता गुरु जी को ऐसा ही हो सोंच हमारा। बतलाओ तो संघर्ष कहां नही है जीवन में संघर्ष से क्या घबराना संघर्ष तो है नवसृजन की एक भूमिका जीवन है प्यारें,प्रभु जी का नजराना ऐसा ही हो सोंच हमारा। कितना सुंदर है यह जग देखोंं बस तुम सिर्फ अपनी आंखे खोलों गुरु जी ने हमें भाईचारा का ज्ञान दिया है मानवता है धर्म हमारा कोई अमीर है तो कोई गरीब है इसे तुम अपने अपने किस्मत का खेल समझना ऐसा ही हो सोंच हमारा।
नूतन लाल साहू नवीन