श्री गणेश
हाथ जोड़ वंदन करूँ, गौरी नंद गणेश।
भव तारण बाधा हरो, हर लो सकल क्लेश।।
स्वस्ति भजन गणेश का, जपते हैं सब देव।
मंगल पूजन अग्रिमा, देवों के हैं देव।।
विद्या-बुद्धि अरु सिद्धियां, एक दंत आधीन।
अनुग्रह हे अलम्पता, वंदन करते दीन।।
दिन चतुर्थी गणेश का, सुर नर भाव विभोर।
मन इच्छा पूर्ण करें, आनंदित है भोर।।
रिद्धि सिद्धि दो पत्नियाँ, सह विराजें गणेश।
अंगज दो शुभ-लाभ हैं, भव सागर विघ्नेश।।
चौथ भादवा मंगला, मूर्तिमान गणेश।
दस दिवस आनंद रहे, घर घर रूप गणेश।।
मात-पिता त्रिलोक हैं, दिया सुमुख संदेश।
पूजन-अर्चन तात का, आदर्शित आदेश।।
श्रीफल से पूजन करें, मोदक अर्पण भोग।
गणपति अति प्रसन्न हों, मन बांछित फल योग।।
कार्य शुभ आरम्भ हो, आदि गणेश स्थान।
आराधन स्तवन करें, कर विनायक ध्यान।।
मूषक वाहन राजता, परिक्रमा पितु मात।
सिद्धिविनायक देव हैं, फलदायक सौगात।।
दिव्य रूप अवतार है, भक्तों के साकार।
परब्रह्म आकार है, अजन्मा निराकार।।
स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)
Shashank मणि Yadava 'सनम'
21-Aug-2023 08:36 AM
खूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति
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Sarita Shrivastava "Shri"
20-Aug-2023 02:14 PM
🙏🙏
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