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बेबी...लेट मी किल यू ! ( चैप्टर - 8)

युक्ता रुद्राक्ष के कमरे में बैठी खुद पर इतरा रही थी आईने में देखते हुए। " आई बड़ी पत्नी बनने , कितनी मेहनत से दादी को फसाई थी बहू बनने वाली थी पर ये लड़की आकर सारा काम बिगाड़ दी। पर रूद्र बचकर जाएगा कहा? क्यूंकि बिजनेस के लिए मेरा साथ तो चाहिए ही , ऊपर से रुद्र इस लड़की को कभी अपनी पत्नी नही मानने वाला! युक्ता इस घर में एंट्री नही मिल पाई तो क्या , रुद्र के कमरे में तो मिल गई!"

युक्ता सब सोच मुस्कुरा रही होती है कि रुद्राक्ष कमरे में गुस्से में आता है। युक्ता उठ कर उसके कंधे पर हाथ रखती है। " डोंट वरी डियर! मैं तुम्हारी दोस्त हू , हमारी शादी नही हुई तो क्या मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं। और इस लड़की को तुम्हारे जिंदगी से दूर करने में मैं मदद करूंगी!"

रुद्राक्ष युक्ता का हाथ अपने कंधे से हटा कर बेड पर बैठता है। और सिर पकड़ कहता है - " थैंक्स युक्ता , मेरी हेल्प करने के लिए। पर आज का काम खत्म हुआ तुम्हारा , अब जा सकती हो!"

युक्ता रुद्राक्ष के बगल में बैठते हुए - " तुम बहुत अकेले हो इस वक्त , मैं तुम्हारा अकेलापन दूर करना चाहती हूं। रुद्र , आज नही तो कल हमारी शादी होनी ही है.... सो...( रूद्राक्ष के करीब जाते हुए ) सो....! रुद्राक्ष युक्ता से दूर पीछे की ओर झुकता है। " युक्ता... यू आर ओनली माय फ्रेंड ओके। डोंट डू दिस!"

तभी तेज की आवाज आती है और रुद्राक्ष के कमरे का दरवाजा खुलने के साथ जगत नारायण जी सामने गुस्से में खड़े होते है जिनके पीछे दक्षता भींगी हुई बेसहाय खड़ी होती है जिसकी आंखे लाल थी। वो युक्ता को रूद्राक्ष के इतने करीब देख आग बबूला हो जाते है , तकरीबन वो रुद्राक्ष के ऊपर ही थी।

" रुद्र....!! हमे लगा था शायद कोई गलत फहमी हुई है पर आज साबित हो गया कि गलत है आप। "

" चाचा जी..!" रूद्राक्ष युक्ता को ख़ुद से दूर करते हुए बोलता है।

" खबरदार अपने मुंह से हमे पुकारे तो। मानते है आप इस शादी को नही मानते , तो क्या एक लड़की का निरादर करेंगे..? आज हम नही देखे होते तो भरी रात में बारिश में भींगती असहाय सी लड़की जाने कहा चली गई होती। बेचारी कितना रो रही थी....वो तो हमे उसकी सिसकियों की आवाज खिड़की के पास से सुनाई दी!"

" चाचा जी ये सब नाटक है इसका!"

" हां!....नाटक ही है ,कोई लड़की बेवजह ख़ुद को भींगा कर नाटक कर रही ,तो आप क्या कर रहे यहां....!"

" चाचा जी...वो...." इसके आगे रुद्राक्ष कुछ बोलता की जगत नारायण जी गुस्से में तिलमिलाते हुए बोल पड़ते है -" अगर आप हमे इस लड़की के साथ , अपने कमरे में इस हालत में न दिखते तो शायद आज हम आप पर विश्वास करते मगर.....गलत साबित किया आपने आज हमे ,हम मारने के बाद कभी भाई साहब से नज़रे नहीं मिला पाएंगे आपकी वजह से.....!"

रुद्राक्ष जल्दी से भागते हुए जगत नारायण जी के पास आता है और उनके हाथों को पकड़ रोकते हुए बोलता है -" नहीं चाचा जी....आप गलत समझ रहे...मैं...मैं ऐसा कुछ......"

" कुछ नही सुनना हमे....बस आप गलत किए।"

" मगर चाचा जी !...मैं युक्ता को इस लिए लाया क्योंकि इसकी मदद से ( दक्षता के ओर उंगली दिखा ) इसे यहां से निकालने के लिए।"

" इसके चक्कर में आप ये सब कर बैठेंगे ,अभी आपको रिश्तों की समझ नहीं ,लेकिन मेरी एक बात हमेशा याद रखियेगा , रिश्ते बहुत अनमोल होते है जब वो हमसे दूर जाते है तब हमे इसका एहसास होता है।" और इतना बोल जगत नारायण जी वहां से चले जाते है रुद्राक्ष वहीं अवाक सा खड़ा उन्हे अपने आंखो से ओझल होते देखता रह जाता है ,युक्ता वहां उसके पास आती है और रुद्राक्ष के गले लग जाती है मगर तुरंत ही उसके झटका देकर ख़ुद से कर देता है युक्ता आंखे फाड़े रुद्राक्ष को देखने लगती है। और रुद्राक्ष अपनी लाल आंखो से उसे देख चिल्लाता है -" चली जाओ यहां से......!"

" बट रुद्र....." रुद्राक्ष गुस्से में दुबारा युक्ता पर चिल्लाता है -" जस्ट लिव में अलोन....... जस्ट गो......!"

युक्ता वहां गुस्से में खड़ी होती है और एक आखरी बार दक्षता को गुस्से में देखती है और उसे अपने कंधे से धक्का देकर चली जाती है दक्षता धक्का लगने से दीवाल से लड़ जाती है और इसको हल्की सी आह निकल जाती है जिसे सुन रुद्राक्ष अपना सिर उठा कर दक्षता को देखता है उसका गुस्सा अब सातवे आसमान तक जा चुका था वो अपनी जगह से उठता है और गुस्से में दक्षता के बाजू पकड़ कर कमरे में खिंचते हुए अंदर के ओर लेकर आता है और उसे बिस्तर पर फेंक देता है।

" क्यों कर रही तुम ये सब.....बोलो.... क्यों!" रुद्राक्ष गुस्से में चीख रहा था और दक्षता आंखो में आंसू और भींगी हुई डरी सहमी सी रुद्राक्ष के देख रही थी ,दक्षता कुछ बोलती उससे पहले ही रुद्राक्ष दक्षता को पकड़ कर उसके चेहरे के करीब आता है और बोलता है -" बोलो....यही चाहिए न? बिस्तर पर आना है मेरे......तो पहले बोल देती  ,इतना नाटक क्यों की...?" रुद्राक्ष एक एक कर अपने शर्ट के बटन खोले जा रहा था और दक्षता डर से कांपते हुए उससे दूर जाने की कोशिश कर रही थी मगर रुद्राक्ष उसे अपनी गिरफ्त में पकड़ा अपने शर्ट को निकला कर वहीं फेंक देता है और दक्षता खुद को छुड़ाने लगती है घबराहट और भींगने की वजह से डर से कांप रही थी वो। वो अपनी मासूम आंखो से रूद्राक्ष को देखती है। " करना क्या चाहती हो...? कुछ तो बताओ। बिना बताए गले पड़ गई....पत्नी बनना है न... बन जाओ पत्नी मैं भी पति बन जाता हू तुम खुश , परिवार वाले खुश सब ठीक !"

दक्षता चीखते हुए कहती है - " पत्नी बनना है , पर ऐसे नही। हम दोनो की मर्जी से। हां नही मिले थे आप मुझसे कभी बार में.... पर कभी नही मिले थे ये बात झूठ है। आप तो बारिश में भींगे होटल में आए थे मेरे रूम को अपना रूम समझ। आप जिस वक्त मेरे करीब सोए थे मेरा फियांसो मुझे आपके साथ देख लिया था। और खिंचते हुए ले गया.... मॉम डैड तो थे नही अंकल आंटी तक मुझसे नाता तोड दिए और मेरा फियांसो डेविड मुझे बदचलन बोल चला गया। मैं बहुत रोती रही अगली सुबह तुमसे जवाब लेने आई थी.... कि क्यू किए ये सब क्या मिला मेरा मुझसे सब कुछ छीन....पर तुम जा चुके थे होटल से। क्युकी तुम्हे तो वहा कोई नही दिखा था... निकल गए अगले दिन अनजान बनकर कि कुछ हुआ ही नहीं। बताओ....कौन करता मुझसे शादी..? बस इसीलिए तुम्हे भी बदचलन बनाने आ गई....पर यहां तुम सच में मुझे बदचलन ही समझ रहे..! जबकि मैं बनी तुम्हारी वजह से!"

दक्षता फूट फूट कर रोने लगती है। रूद्राक्ष कुछ महीनो पहले याद करता है कि वो कैसे ज्यादा नशे में बार से निकला था और होटल के पास बारिश में भींगते हुए रूम में आया था पर अगले दिन उठा तो रूम नंबर 6 की जगह 9 में था। पर वहा उसे कोई नही दिखा तो वो एक मिस्टेक समझ दोनो रूम के पैसे देकर निकल गया। रुद्राक्ष दक्षता की ओर देखता है , जिसकी हालत बहुत खराब थी वो बुरी तरह कांप रही थी। वो तुरंत उठ कर दक्षता को उठाया और बिठा कर हाथो को पकड़ बोला - " क्या सच में तुम्हारे अपने तुमसे दूर हो गए?"

दक्षता उसका हाथ झटक देती है और उठ कर अपना बैग निकाल आलमारी खोलते हुए कहती है " माफ करना....गुस्से में आकर तुम्हारी जिंदगी बर्बाद कर दी मैं।मैं चली जाऊंगी सबको सच बताकर कि मैं झूठी हू। तुम युक्ता के साथ रह सकते हो.....सॉरी मैं चाचा जी से सब कह दी क्युकी भले ही रिश्ता नही मानते हम दोनो पर पति तो हो तुम मेरे....एक पत्नी अपने पति को किसी और के साथ कमरे मे देख चैन से नहीं रह सकती!"

रूद्राक्ष दक्षता के पास आकर उसके हाथो से कपड़े छीन फेंकता है। और उसे गले लगा बोलता है - " सॉरी.... मैंने अनजाने में तुम्हारी सारी खुशियां छीन ली। पर मुझे सच में कुछ नही पता था। और युक्ता से मेरा कोई रिश्ता नहीं ,बस दादी के कहने पर मैं उससे शादी कर रहा था....क्युकी दादी जो कहती है सब भले के लिए होता है। तुम...तुम्हे नही पसंद तो मैं उससे दूर रहूंगा!"

" क्यू...... क्या लगती हू मै तुम्हारी? सिर्फ छह महीने और फिर मिल जायेंगे आपको डिवोर्स पेपर्स। परेशान मत होइएगा.... मैं डिवोर्स के लिए पैसे या प्रॉपर्टी की मांग नही करूंगी!"

रूद्राक्ष भले ही एक स्ट्रिक्ट बिजनेस मैन हो पर वो दिल से बहुत कच्चा था , बहुत जल्दी जज्बातों में बह जाता था। उसे खुद पर गुस्सा आने लगता है कि अगर उस दिन वो नशे में गलती न करता तो धरा की जिंदगी ऐसी न होती।

" मैं ऐसा बरताव किया इन दिनों , हो सकें तो माफ कर देना। तुम्हे अब कोई कुछ नही कहेगा...मैं अपनी गलती सुधारूंगा। तुम पहले कुछ दिन रिलैक्स करो फिर हम साथ में न्यू यॉर्क चलेंगे और तुम्हारी फैमिली और डेविड को समझाएंगे सब सच बताएंगे!"

" प्लीज....प्लीज शर्ट पहन लो...और इतने करीब मत आओ!" दक्षता हकलाते हुए कहती है। रूद्राक्ष तुरंत उससे दूर होता है और शर्ट पहनते हुए बालकनी में चला जाता है ताकि धरा थोड़ा कंफर्टेबल हो जाए और कपड़े चेंज कर ले। उसके जाते ही दक्षता अपने कपडे उठाती है और बाथरूम में जाती है। अपने आंसू पोंछते हुए मिरर में खुद को देखते हुए बोली - " धरा क्यों तू इतनी कमज़ोर है....बन क्यों नहीं जाती दक्षता की तरह.... बोल्ड एंड कॉन्फिडेंट। इतनी नौटंकी क्यू करती है तू..? रूद्राक्ष माहेश्वरी....सच में बहुत भोले हो... मैं जिस मिशन पर आई हू उसे पूरा किए बिना कही नही जाऊंगी!"

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