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नज़्म

ईश्क मे जाम जम के मिलाया करो।
हौले हौले से मुझको पिलाया करो।
🍁🌿🍁

भीगे भीगे बदन 
जैसे खिलते चमन,
तेरे आँचल कहीं 
शोखियों मे मगन,
ऐसे बारिस मे तुम रोज आया करो।
हौले हौले से मुझको पिलाया करो।
🍁🌿🍁

चाँदनी रात मे
कस्तियाँ साथ मे,
क्या सुहानी हवा 
मस्तियाँ साथ मे,
दूर साहिल पे तुम रोज आया करो।
हौले हौले से मुझको पिलाया करो।
🍁🌿🍁

धूप मे ना निकल 
ऐसे तपते बदन,
गर्मियाँ जो कहीं 
रोक ले तूँ कदम,
शाम ढलते मगर रोज आया करो।
हौले हौले से मुझको पिलाया करो।
🍁🌿🍁

राज की बात जो
मान ले तू अगर,
है सुनहरी ग़ज़ल 
जान ले तूँ मगर,
देख कर तुम जरा मुस्कराया करो।
हौले हौले से मुझको पिलाया करो।
🍁🌿🍁

ईश्क मे जाम जम के मिलाया करो।
हौले हौले से मुझको पिलाया करो।
🍁🌿🍁
राज

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7 Comments

Shilpa modi

05-May-2021 07:42 PM

Behtareen

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Rajan tiwari

19-Mar-2021 02:29 PM

बहुत खूब, बहुत उम्दा

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kapil sharma

17-Mar-2021 09:08 AM

Gazab , apne bohut achcha likha sir .

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