स्वैच्छिक विषय कहानी बड़ी सुहानी
*कहानी बड़ी सुहानी*
(1) *कहानी*
*एक नियम*
*रात के ढाई बजे था, एक सेठ को नींद नहीं आ रही थी । वह घर में चक्कर पर चक्कर लगाये जा रहा था। पर चैन नहीं पड़ रहा था । आखिर थक कर नीचे उतर आया और कार निकाली ।*
*शहर की सड़कों पर निकल गया। रास्ते में एक मंदिर दिखा सोचा थोड़ी देर इस मंदिर में जाकर भगवान के पास बैठता हूँ। प्रार्थना करता हूं तो शायद शांति मिल जाये।*
*वह सेठ मंदिर के अंदर गया तो देखा, एक दूसरा आदमी पहले से ही भगवान की मूर्ति के सामने बैठा था । मगर उसका उदास चेहरा, आंखों में करूणा दर्श रही थी।*
*सेठ ने पूछा " क्यों भाई इतनी रात को मन्दिर में क्या कर रहे हो ?"*
*आदमी ने कहा " मेरी पत्नी अस्पताल में है, सुबह यदि उसका आपरेशन नहीं हुआ तो वह मर जायेगी और मेरे पास आपरेशन के लिए पैसा नहीं है ।*
*उसकी बात सुनकर सेठ ने जेब में जितने रूपए थे वह उस आदमी को दे दिए। अब गरीब आदमी के चहरे पर चमक आ गईं थीं ।*
*सेठ ने अपना कार्ड दिया, और कहा इसमें फोन नम्बर और पता भी है और जरूरत हो तो निसंकोच बताना।*
*उस गरीब आदमी ने कार्ड वापिस दे दिया और कहा, "मेरे पास उसका पता है " इस पते की जरूरत नहीं है सेठजी ।*
*आश्चर्य से सेठ ने कहा "किसका पता है भाई ।*
*"उस गरीब आदमी ने कहा, "जिसने रात को ढाई बजे आपको यहां भेजा उसका।"*
*इतने अटूट विश्वास से सारे कार्य पूर्ण हो जाते है ।*
*घर से जब भी बाहर जाये, तो घर में विराजमान अपने प्रभुसे जरूर मिलकर जाएं, और जब लौट कर आए तो उनसे जरूर मिले ।*
*क्योंकि, उनको भी आपके घर लौटने का इंतजार रहता है ।*
*"घर" में यह नियम बनाइए की, जब भी आप घर से बाहर निकले, तो घर में, मंदिर के पास दो घड़ी खड़े रह कर "प्रभु चलिए... आपको साथ में रहना हैं ।" ऐसा बोल कर ही निकले क्यूँकि आप भले ही "लाखों की घड़ी" हाथ में क्यूँ ना पहने हो, पर "समय" तो "प्रभु के ही हाथ" में हैं ।*
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(2) *कहानी*
*माँ की महिमा :-*
*स्वामी विवेकानंदजी से एक जिज्ञासु ने प्रश्न किया, "माँ की महिमा संसार में किस कारण से गायी जाती है ?" स्वामीजी बोले , "पांच सेर वजन का एक पत्थर ले आओ , इस पत्थर को किसी कपड़े में लपेटकर अपने पेट पर बाँध लो और चौबीस घंटे बाद मेरे पास आओ तो मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दूंगा ।"*
*स्वामीजी के आदेशानुसार उस व्यक्ति ने पत्थर को अपने पेट पर बाँध लिया और चला गया । पत्थर बंधे हुए दिनभर वो अपना काम करता रहा किन्तु हर क्षण उसे परेशानी और थकान महसूस हुई ; शाम होते-होते पत्थर का बोझ संभाले हुए चलना-फिरना उसके लिए असह्य हो गया , तब थका मांदा वह स्वामीजी के पास पंहुचा और बोला , " मै इस पत्थर को अब और अधिक देर तक बांधे नहीं रख सकूँगा । एक प्रश्न का उत्तर पाने के लिये मै इतनी कड़ी सजा नहीं भुगत सकता ।"*
*स्वामीजी मुस्कुराते हुए बोले, " पेट पर इस पत्थर का बोझ तुमसे कुछ घंटे भी नहीं उठाया गया और माँ अपने गर्भ में पलने वाले शिशु को पूरे नौ माह तक ढ़ोती है और गृहस्थी का सारा काम करती है । "संसार में माँ के सिवा कोई इतना धैर्यवान और सहनशील नहीं है इसलिए माँ से बढ़ कर इस संसार में कोई और नहीं है ।।"*
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(3) *कहानी*
*मदद*
*उस दिन सवेरे आठ बजे मैं अपने शहर से दूसरे शहर जाने के लिए निकला. मैं रेलवे स्टेशन पँहुचा, पर देरी से पँहुचने के कारण मेरी ट्रेन निकल चुकी थी. मेरे पास दोपहर की ट्रेन के अलावा कोई चारा नहीं था . मैंने सोचा कही नाश्ता कर लिया जाए .*
*बहुत जोर की भूख लगी थी . मैं होटल की ओर जा रहा था . अचानक रास्ते में मेरी नजर फुटपाथ पर बैठे दो बच्चों पर पड़ी . दोनों लगभग 10-12 साल के रहे होंगे . बच्चों की हालत बहुत खराब थी .*
*कमजोरी के कारण अस्थि पिंजर साफ दिखाई दे रहे थे . वे भूखे लग रहे थे . छोटा बच्चा बड़े को खाने के बारे में कह रहा था और बड़ा उसे चुप कराने की कोशिश कर रहा था . मैं अचानक रुक गया . दौड़ती भागती जिंदगी में पैर ठहर से गये .*
*जीवन को देख मेरा मन भर आया . सोचा इन्हें कुछ पैसे दे दिए जाएँ . मैं उन्हें दस रु. देकर आगे बढ़ गया . तुरंत मेरे मन में एक विचार आया कितना कंजूस हूँ मैं। दस रु. का क्या मिलेगा ? चाय तक ढंग से न मिलेगी . स्वयं पर शर्म आयी फिर वापस लौटा . मैंने बच्चों से कहा - कुछ खाओगे ?*
*बच्चे थोड़े असमंजस में पड़ गए . मैंने कहा बेटा ! मैं नाश्ता करने जा रहा हूँ , तुम भी कर लो . वे दोनों भूख के कारण तैयार हो गए . मेरे पीछे पीछे वे होटल में आ गए . उनके कपड़े गंदे होने से होटल वाले ने डांट दिया और भगाने लगा .*
*मैंने कहा भाई साहब ! उन्हें जो खाना है वो उन्हें दो , पैसे मैं दूँगा . होटल वाले ने आश्चर्य से मेरी ओर देखा..! उसकी आँखों में उसके बर्ताव के लिए शर्म साफ दिखाई दी ।*
*बच्चों ने नाश्ता मिठाई व लस्सी माँगी । सेल्फ सर्विस के कारण मैंने नाश्ता बच्चों को लेकर दिया । बच्चे जब खाने लगे, उनके चेहरे की ख़ुशी कुछ निराली ही थी . मैंने भी एक अजीब आत्म संतोष महसूस किया। मैंने बच्चों को कहा बेटा ! अब जो मैंने तुम्हे पैसे दिए हैं उसमें एक रु. का शैम्पू लेकर हैण्ड पम्प के पास नहा लेना और फिर दोपहर शाम का खाना पास के मन्दिर में चलने वाले लंगर में खा लेना . और मैं नाश्ते के पैसे चुका कर फिर अपनी दौड़ती दिनचर्या की ओर बढ़ निकला।*
*वहाँ आसपास के लोग बड़े सम्मान के साथ देख रहे थे। होटल वाले के शब्द आदर में परिवर्तित हो चुके थे।*
*मैं स्टेशन की ओर निकला, थोडा मन भारी लग रहा था . मन थोडा उनके बारे में सोच कर दुखी हो रहा था .*
*रास्ते में मंदिर आया . मैंने मंदिर की ओर देखा और कहा - हे भगवान ! आप कहाँ हो ? इन बच्चों की ये हालत ! ये भूख आप कैसे चुप बैठ सकते हैं ! !!*
*दूसरे ही क्षण मेरे मन में विचार आया, अभी तक जो उन्हें नाश्ता दे रहा था वो कौन था ? क्या तुम्हें लगता है तुमने वह सब अपनी सोच से किया ? मैं स्तब्ध हो गया ! मेरे सारे प्रश्न समाप्त हो गए .*
*ऐसा लगा जैसे मैंने ईश्वर से बात की हो ! मुझे समझ आ चुका था हम निमित्त मात्र हैं । उसके कार्य कलाप वो ही जानता है , इसीलिए वो महान है ! !!*
*भगवान हमें किसी की मदद करने तब ही भेजता है , जब वह हमें उस काम के लायक समझता है। यह उसी की प्रेरणा होती है । किसी मदद को मना करना वैसा ही है जैसे भगवान के काम को मना करना ।*
*खुद में ईश्वर को देखना ध्यान है ! दूसरों में ईश्वर को देखना प्रेम है ! ईश्वर को सब में और सब में ईश्वर को देखना ज्ञान है !*
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(4) *एक बार पढ़े*
गुरु जी ने बताया कि,,,,,,,,,,,,,,,,,
🪴दिल से करे जो भक्ति भगवान को पसंद है भगवान भक्त की मुट्ठी में बंद होते है,,,,,,,,,,,,,,,,।
🪴स्वयंम को जान ने के लिए अपनी " मैं " को स्वाहा करना पड़ता है,,,,,,,,,,,,,,,।
🪴जब तक जगत में हो खुद भी जागते रहो सबको भी जगाते रहो यही सत्संग है,,,,,,,,,,,,,,।
🪴हर परिस्थिति को स्वीकार करना ही ज्ञानी होने की निशानी है,,,,,,,,,,,,,,।
🪴अपने जीवन मे शब्द विचार व्यवहार वस्त्र उच्च कोटि के रखने है,,,,,,,,,,,,,,,,।
🪴ज्ञानी शिकायती स्वभाव वाला नहीं होता ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,।
🪴ज्ञानी कंजूस नहीं होता ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,।
🪴ज्ञानी प्रेम करने में बादशाह और प्रशंसा करने में सबसे आगे होता है , क्योंकि वो सबमे परमात्मा का दर्शन करता है,,,,,,,,,,,,,,,,।
🪴गुरु के वचनों को मानकर ही हमारा जीवन बदल सकता है,,,,,,,,,,,,,,,,।
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Suni
kashish
29-Sep-2024 02:54 PM
Amazing
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madhura
14-Aug-2024 07:25 PM
V nice
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HARSHADA GOSAVI
27-Aug-2023 07:21 AM
nice
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