Add To collaction

चंद्रयान

नभ पंछी उड़ चला चांद पर,

आशा भरी उड़ान लिए।
जा पहुंचा अपनी धुरी पर,
इसरो का अभिमान लिए।

अन्वेषक ने अनुभव झोंके,
पूर्व पश्च तुलनाएं की,
तकनीकी पंखों के बल पर,
नव युग का फरमान लिए।

हर व्यक्ति का सपना है ये,
प्रगति की परिनिष्ठा हो,
वैज्ञानिक का अथक परिश्रम,
चला कई अरमान लिए।

पानी कहाँ कहाँ हैं गड्डे,
कहाँ लाल मिट्टी पीली,
अन्वेषण सतह चांद की,
उड़ा भविष्य विज्ञान लिए।

ताकते पर देशी रह गए,
स्पर्धा में सबसे आगे,
लहराने भारत का परचम, 
आन-बान सम्मान लिए।

थाह लेने उपग्रह ग्रह की,
जगह बनाई है अंतरिक्ष,
उम्मीदों के पंख लगा कर,
चमत्कार हनुमान लिए।

पृथ्वी का सम्मान बढ़ाया,
आसमान "श्री" हिंद लिखा,
कर्मठता का भान कराया,
भक्ति भाव भगवान लिए।

स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान) 

   9
5 Comments

Punam verma

26-Aug-2023 08:31 AM

Very nice

Reply

Abhinav ji

26-Aug-2023 08:10 AM

Very nice 👍

Reply

बेहतरीन अभिव्यक्ति

Reply