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लेखनी प्रतियोगिता -26-Aug-2023 भारत माॅं की चिट्ठी आई

लावणी छंद
भारत माॅं की चिट्ठी आई, अब तो जागो रखवाले।
जंजीरों से जकड़ी माता, पड़े बदन पर हैं छाले।। 

नहीं सहन अब होती पीड़ा,ऑंचल शोणित से गीला।
करे तोप बंदूके छलनी, पड़ गया अंग अब पीला।।
सुनो वतन के आज जवानों, तोड़ो सिकड़ी के ताले।
भारत माॅं की चिट्ठी आई, अब तो जागो रखवाले।।

पृथ्वी बहना तुझे पुकारे,आकर तुम लाज बचाना।
रिपु सीने पर पैर पसारे,नित अब है मुझे डराना।।
देखो चौखट पर आकर रिपु,पत मेरी नित्य उछाले।
भारत माॅं की चिट्ठी आई, अब तो जागो रखवाले।।

अंबर भाई नीर बहाता, दूषित होता हिय मेरा।
हुई अवरुद्ध साॅंसे मेरी, मॅंडराता काल सपेरा।।
किसे सुनाऊॅं बातें मेरी, छोड़ें धूमक के भाले।
भारत माॅं की चिट्ठी आई, अब तो जागो रखवाले।।
लेखिका 
प्रियंका भूतड़ा प्रिया ✍️

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