Navanita Gupta

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बदलता मिजाज मौसम

      मिजाज मौसम का



मिजाज मौसम का कभी रूठा तो कभी खुशनुमा नजर है आ रहा, 

कभी चिलचिलाती गर्मी बनकर सता रहा, 

तो कभी पानी की रिमझिम बूंदे बन लुभा रहा, 

छाया है संकट अन्न-धन पे, ऐसा मजाकिया मिजाज मौसम का किसानों को है डरा रहा। 

तो कभी गर्मी से राहत देकर लोगो को है मना रहा, 

कही बाढ़ तो कही सूखा का खौफ लोगों में समा रहा

बदलता मिजाज मौसम का कहीं खुशहाली  तो कहीं लबों की हंसी चुरा रहा, 

कहीं भूकंप, तो कहीं सुनामी बनकर कहकहा लगा रहा, 

बदलता मिजाज मौसम का खतरा बनकर सबपे मंडरा रहा। 

कही ये ओला मे ं अपना वजूद  बनाए रखा है। 

बदलते मौसम का मिजाज का बड़ा ही अद्भुत नजारा है, 

कभी पतझड़ बनकर  तन्हाई में खो जाता है। 

प्राकृतिक संपदा की करें सुरक्षा, तभी  मिजाज मौसम का होगा अच्छा। 

पेड़ों को लगाकर प्रदूषण को करें कम, 

उग्र मौसम के मिजाज को करे नम। 

बदलता मिजाज मौसम का एक कहर है, 

और किसानों के फसलों के लिए यह एक जहर है। 

वन सुरक्षा को अपना लीजिए और भीषण आपदा से खुद को बचा लीजिए।। 



लेखनी प्रतियोगिता (स्वैच्छिक) हेतु कविता


डॉ .नवनीता गुप्ता (डेंटल सर्जन) 

जमादार टोला बेतिया

वार्ड नंबर-०

पिन नंबर -845438

मोबाइल नंबर-9304421634



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4 Comments

Nice lines

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Gunjan Kamal

30-Aug-2023 07:19 AM

👏👌

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Reena yadav

29-Aug-2023 10:52 PM

👍👍

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