वो उसका बच्चा नहीं था
वो उसका बच्चा नहीं था
जिसके लिए रातें जगकर बिताई
जिसकी खातिर पैरों में फटी बिबाई
पूरी करने को जिद, जिसपे कमाई लुटाई
वो बच्चा उसका ही था।
जिसको उठा के कंधों पे घूमे थे भाई
जिसकी फरमाइश पे हरदम खड़ी थी माई
जिसकी एक छींक पर फेरी मिर्ची और राई
वो बच्चा उसका ही था।
जिसके पढ़ने को खर्ची पाई पाई
जिसकी शादी पे सारी दौलत लुटाई
जिसकी उन्नति के लिए रब की चौखट घिसाई
वो बच्चा उसका ही था।
धुंधली नजरें न दिखती
फटी साड़ी जो न धोती भी मिलती
खाते पिज़्ज़ा और बर्गर, रोज़ पार्टी है मनती
वो बच्चा उसका नहीं था।
मां की तरसती निगाहें
बाप की सर्द आहें
फिर भी कोई परदेस से घर न आए
वो बच्चा उसका नहीं था।
कल जो सुनते कहानी
आज ना पूछें वो पानी
श्राद्ध पे जो खीर पंडितों को खिलाएं
वो बच्चा उसका नहीं था।
मां बाप हैं एक अहसास प्यारे
उनका अहसान कोई कैसे उतारे
इनके चरणों में है घर ईश्वर का
बस करो ख्याल इतना, दिल दुखे न इनका।।
आभार - नवीन पहल - २९.०८.२०२३
🙏🙏😀🌹❤️
# दैनिक प्रतियोगिता हेतु कविता
Shashank मणि Yadava 'सनम'
30-Aug-2023 08:37 AM
सुन्दर सृजन
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Gunjan Kamal
30-Aug-2023 07:17 AM
👌👏
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Reena yadav
29-Aug-2023 10:50 PM
👍👍
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