हार्टलेस
तो फिर आपको इनके घर के बारे में भी पता होगा, इंस्पेक्टर तोमर ने पूछा..
नहीं ,.. इंस्पेक्टर साहब बहुत सालों पहले हम बनारस वापस आ गए थे और शेफाली और उसका परिवार कोलकाता में रह गया था और उसके बाद हमारी मुलाकात एक बार ही हुई थी इसलिए मैं कुछ भी नहीं जानता कि इसकी ऐसी हालत कैसे हुई है,.. देवाशीष ने ये बताया और वो अंदर तक हिल गया, उसको लगा जैसे किसी ने उसके दिल को पकड़ कर उसके सीने से बाहर निकाल दिया है,
तो कोलकाता में कहाँ रहते थे ये लोग, वहा का पता आप हमें दे दीजिए हो सकता है वहा से कुछ पता चल सके, इंस्पेक्टर तोमर ने पूछा, वो गौर से देवाशीष को देख रहे थे, जिसके चेहरे पर गम साफ दिख रहा था,..
ओके मैं आपको वहा का पता दे दूंगा मगर वहां से भी कुछ पता नहीं चलेगा, देवाशीष ने कहा, क्यू कि जब मैं डॉक्टर बन वापस आया तो मैं शेफाली को ढूंढने गया था कोलकाता, जहां वो लोग रहते थे, मगर तब तक ये लोग भी वहां से जा चुके थे किसी को नहीं पता था कि ये लोग कहां गए है, मैने पता करने की कोशिश भी की थी लेकिन कोई पता नहीं चल पाया, तो मुझे नहीं लगता कि वहा से भी कुछ पता चल पाएगा अब तो बस शेफाली को होश आ जाये और वो सब कुछ समझने लगे, वहीं बता सकती है सब कुछ ।
पर एक बात मेरी समझ नहीं आई कि उस दिन तो आपने ही इसका इलाज किया था फिर आपने तब कैसे नहीं पहचाना इंस्पेक्टर तोमर ने पूछा ।
मुझे अहसास तो तब ही हो रहा था इंस्पेक्टर साहब कि कोई अपना ही है पर उस समय शेफाली के चेहरे पर खारोंच और कुछ हलका घाव था और चेहरा एक तरफ से पूरा पट्टी की वजह से ढका हुआ था तो मैने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और ना ही मैं तब पहचान पाया था, देवाशीष ने दुखी होते हुवे कहा,
ओह , यह बात है, तो आप चिंता मत कीजिए मैं कोलकाता से भी पता करवाने की पूरी कोशिश करता हूं इनके परिवार के बारे में जो भी पता चलता है
ओके,,, थैंक्स
अच्छा अब मैं चलता हूं कहते हुए इंस्पेक्टर साहब खड़े हुए दोनों ने हाथ मिला अभिवादन किया और वो बाहर निकल गये,..
आखिर क्या हुआ शेफू तुमको, तुम्हारा परिवार कहां है कोई तो मिले तब ही पता चलेगा कि तुम्हारे साथ क्या हुआ है, और तुम्हारी बेटी… क्या सच में…
देवाशीष का दिल बहुत बेचैन हो रहा था वो चाहता था शेफाली को गले लगा ले और जी भर कर रो ले आखिर यह उसकी ही गलती थी जो उस ने शेफाली को अपने से दूर जाने दिया कभी उसकी खबर भी नहीं ली कि वो कैसी है, पर खबर लेता भी कैसे? कोई जरिया था ही नहीं देवाशीष के पास ,,, जब वो लोग बनारस वापस आ गए तो कितने ही सालों तक वो मिल ही नहीं पाए थे, कोई और होता तो कब का भूल जाता मगर देवाशीष के दिल में तो सिर्फ शेफाली बसी थी… शैतान ,,, मासूम और मोहक मुस्कान का सनमोहक मिश्रण था शेफाली में , जब कभी शैतानी की बात आती तो उसके मन में ऐसे ऐसे तरीके आ जाते की हर कोई उसकी शैतानी में फंस जाता था, और अगर कोई उसे दुखी या परेशान दिख गया तो फिर वो उस से ज्यादा दुखी हो जाती और कोशिश करती की कैसे भी सामने वाले का दुख दूर कर दे ।
कितनी प्यारी थी शेफाली ,,, अपनी आँखों से आँसू साफ करता हुआ, सोच कर मन ही मन मुस्कुरा उठा देवाशीष…
तभी मिस रोज़ी अंदर आयी, और उन्होंने आते ही नज़र देवाशीष पर डाली, बाहर उनको हॉस्पिटल के स्टॉफ से पहले ही सब कुछ पता चल गया था, और वो इसलिए ही आते ही देवाशीष से मिलने सीधे केबिन में आ गयी थी, मिस रोज़ी ने डाक्टर साहब को मुस्काते देखा तो बोल पड़ी क्या डॉक्टर साहब अब आप क्या सोच कर खुद ही खुद मुस्कुरा रहे हैं,
वो देवाशीष का मूड कुछ हल्का करना चाहती थीं,.. इसलिए बोली, कौन याद आ गया आपको ,,, हमे भी तो बताइए..
अरे ,आप कब आई मिस रोज़ी.. देवाशीष ने चौंकते हुवे कहा,
जी अभी अभी जब आप अपने ही ख़यालो में खोए थे, मिस रोज़ी ने मुस्कान के साथ कहा,
ओह, ऐसा कुछ नहीं है बस कुछ याद आ गया था.. देवाशीष फ़ाइल उठा कर देखने लगा,
यह रही आपकी कॉफ़ी, आप बहुत थके हुए लग रहे हैं रात भर सोए नहीं क्या, उनको देवाशीष के चेहरे पर परेशानी दिख रही थी,
हां मिस रोज़ी,, आज नीद अच्छे से नहीं आई हॉस्पिटल भी जल्दी ही आ गया था, अच्छा देखो तो रूम नंबर 5 में जो पेशेंट है उसको होश आया कि नहीं,
हाँ मुझे उनके बारे में पता चल चुका है, आपकी फैमिली फ्रेंड्स में से हैं वो, हॉस्पिटल में अंदर आते ही यहाँ आने से पहले आपकी कॉफ़ी तैयार करनी होती है, और कैफ़ेटीरिया में इतनी देर में ही पूरी गप शप हो जाती है.. मिस रोज़ी ने बताया
हां, हॉस्पिटल स्टाफ के पास और कोई काम भी तो नहीं है, वैसे मेरे बचपन की दोस्त है,,, बहुत क्लोज दोस्त, आपको उसका विशेष ख्याल रखना होगा मिस रोज़ी, देवाशीष ने कहा ।
जी आप चिंता मत करिए मैं पूरा ख्याल रखूंगी आपकी दोस्त का, पर उनको हुआ क्या है ? मिस रोज़ी ने सोचते हुवे पूछा,
यही तो नहीं पता मिस रोज़ी, वो बेहोश है अभी तो नींद का इंजेक्शन दिया हुआ है वैसे, और चोट देख कर लग रहा है कि कोई ऐक्सिडेंट हुआ है,
ओह,,, तो उनके साथ कोई नहीं है क्या , उनका परिवार , पति कोई तो होगा जिसको कुछ पता हो,
नहीं अभी तक कोई भी नहीं आया है शायद उनको पता ही नहीं की यह कहां है, यही सोच कर मैं परेशान हूं कि शेफाली ऐसे अकेली क्यू है ।
अच्छा जो भी पेशंट है उनको आप डॉक्टर सुमित के पास भेज दो वो देख लेंगे, मेरे सिर में दर्द है मैं घर जा रहा हूं और हां ध्यान रखना शेफाली का उसको जैसे ही होश आता है मुझे तुरन्त बता देना उसे नीद का इंजेक्शन दे रखा है तो वो तीन चार घंटे आराम से सोएगी तो उसको आराम भी आएगा ।
ठीक है डाक्टर साहब मिस रोज़ी ने देवशीष के सामने से लिस्ट उठाते हुवे कहा कहा,
देवाशीष ने कार की चाबी उठाई और अपने घर की तरफ चल दिया, उसके दिमाग़ में बस वहीं सब चल रहा था, दिमाग़ बहुत उलझन में था, वो सीधा अपने कमरे में चला गया सरस्वती ने देखा कि देवा किसी ना किसी बात से परेशान जरूर है, नहीं तो ऐसे वो बिना किसी से कुछ बोले अपने कमरे में तो कभी नहीं जाता था सुबह नाश्ता कर के भी नहीं गया था ।
सरस्वती देवाशीष की नाश्ते की थाली लगा कर उसके कमरे में आ गयी, कमरे में पहुँच कर देखा तो देवाशीष किसी गहरी सोच में डूबा हुआ था, उसने अपना सर अपने हाथों में दबाया हुआ था और बेड पर बैठा था,
लो खाना खा लो देवा,,,.. सामने थाली रखते हुए सरस्वती ने कहा,..
जी मां आप क्यू परेशान हुई मुझे भूख नहीं है मैं बाद में खा लूंगा देवाशीष ने कहा,
मुझे कुछ नहीं सुनना,..तुम उठो और हाथ धो कर आओ नाश्ता ठंडा हो रहा है
ठीक है मां,, आप बिना खिलाए मानेगी है नहीं देवाशीष हार मानते हुवे बोला,
बिल्कुल नहीं,,,, और दोनों मुस्कुरा दिए
देवाशीष खाना खाने लगा तो सरस्वती ने पूछ ही लिया
क्या बात है देवा ,,,,बहुत परेशान दिख रहे हो तुम बेटा, हॉस्पिटल में कुछ हुआ है क्या ?
नहीं मां सब ठीक है आप चिंता मत करो
देवा,, सच बताओ क्या बात है तुम क्या छुपा रहे हो तुम ठीक नहीं हो यह तो मुझे पता है पर इस परेशानी का कारण क्या है, वही मुझे जानना है
मां आपको याद है ,,, शेफाली देवाशीष ने पूछा,..
Babita patel
04-Sep-2023 08:31 AM
Awesome
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kashish
03-Sep-2023 04:37 PM
Nice
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KALPANA SINHA
03-Sep-2023 09:35 AM
Nice
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