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रक्षाबंधन





रक्षाबंधन

 रक्षाबंधन की अजब कहानी है ,
जो सब की जानी मानी है ।

सतयुग में राजा बलि ने यज्ञ रचाया था ,
तब विष्णु ने वामन रूप बनाया था ।
विष्णु ने छल से सर्वश दान लिया ,
तो बलि ने भी तो पहरेदार मांग लिया ।
परेशान लक्ष्मी तब नारद ढिग आनी है ।।

लक्ष्मी को मुनि नारद ने युक्ति बताई ,
भेष बदलकर पाताल लोक पठाई ।
ब्राह्मणी बन बलि ढिग जाओ तुम ,
तीन वचन ले रक्षा पहनाओ तुम। 
पति अपने हित छल ठानी है। ।

बलि ढिग अबला आरत वचन कहे ,
सुन बलि से बचन गए न सहे ।
बलि को भाई कह वरदान लिया,
पति पहरेदार को मांग लिया। 
तबसे रक्षा पद्धति अपनानी है ।।

द्वापर कृष्ण की उंगली में खून बहाया,
 द्रोपती ने साड़ी का तुरत चीर बंधाया ।
 दुशासन ने द्रौपदी चीर हटाया ,
 कृष्ण ने बंसी से चीर बढ़ाया। 
भाई को बहना की लाज बचानी है।।

 युगों युगों से यह चलती आई ,
ऋषि-मुनियों ने भी गाथा गाई ।
स्नेह प्यार की ये अमर कहानी ,
दादा काका कहती नानी ।
जन-जन को रटी जुबानी है।।

जो सब की जानी मानी है ,
रक्षाबंधन की अजब कहानी है ।।

स्वरचित 
डॉक्टर आर बी पटेल "अनजान "
छतरपुर मध्य प्रदेश।




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