भद्रा...........
आज दिनांक २.९.२३ को प्रदत्त स्वैच्छिक विषय पर प्रतियोगिता वास्ते मेरी प्रस्तुति:
.........................भद्रा.................
भास्कर पुत्री भद्रा ये शनिदेव को भगिनी है,
बारह नाम से जानी जाती,ये प्रबल विनासिनी है।
धान्या,दधिमुखी,भद्रा ऋषिगण इसको कहते हैं,
महामारी, कालरात्रि ,भैरवी सुधिजन पुकारा करते हैं।
महाकाली,कुलपुत्रिका भैरवी नाम भी इस देवी के हैं,
आराधना,विष्ट भद्रा देवी गर्दभ मुख वाली के हैं।
शुक्ल पक्ष की चतुर्थी एवं एकादशी के दिन भद्रा अति सुखकारी है,
कृष्ण पक्ष की तीज और दशमी के दिन भद्रा अति शुभ फल देती है।
श्याम वर्ण,त्रिपैर ये भद्रा गर्दभ मुख अति भयंकर है,
कहते हैं अन्य काल मे शुभ कार्यों को करना शास्त्रानुसार भी वर्जित है।
आज अगस्त ३० को ही ये रक्षासूत्र पर्व सभी हैं मना पाते,
पर सुबह से रात्रि ९ बजे तक भद्रा का प्रकोप क्या सह पाते।
कल सूर्योदय में तिथि है शुक्ल पक्ष पूर्णिमा की,
इसी लिए ये पर्व मनाना उचित है तिथि मे पूनम की।
यद्यपि पूर्णिमा सुबह ७.५२ तक ही तो है उपलब्ध,
परन्तु तिथि अनुसार सारे दिन ही मनाना है उपलब्ध।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़
Gunjan Kamal
09-Sep-2023 03:53 PM
👏👌
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