Navanita Gupta

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इंसानियत की बातें (स्वैच्छिक कविता प्रतियोगिता हेतु कविता)

   ‌‌‌‌‌‌   इंसानियत की बातें (स्वैच्छिक कविता प्रतियोगिता हेतु कविता) 


ना जात-पात, ना अमीरी-गरीबी की बातें जानती हूँ, 

बस इंसान हूँ, इंसानियत की बातें जानती हूँ। 

है चैन-अमन से जी रहे हम, बस सरहद के पार शहीदों की शहादत को मानती हूँ, 

इंसान हूँ इंसानियत की बातें जानती हूँ । 

ना भलाई- बुराई, बस माता- पिता की सेवा को ही सच्चा धर्म मानती हूँ , 

रुप से ना सीरत से, इंसान की पहचान होती है उसकी नीयत से । 

ये दुनिया टिकी हुई है बस इंसान के इंसानियत पे, 

अपना-पराया का भेद नहीं मानती हूँ । 

इंसान हूँ बस इंसानियत की बातें जानती हूँ, 

ना पत्थर में, ना मूरत में, भगवान बसे है हर इंसान की सूरत में । 

ना दुआ चाहिए, ना दवा चाहिए, हर जरूरतमंद की मदद कर सकूँ बस ऐसी कोई सजा चाहिए, 

ना शोहरत चाहिए ना नाम चाहिए  । 

बस इंसान हूँ किसी इंसान के काम आ सकूँ बस  ऐसा कोई अदद काम चाहिए, 

ना बरबादी चाहिए ना आबादी चाहिए, 

देश के काम आ सकूँ सीना ऐसा फौलादी चाहिए । 

ना रस्म जानती हूँ ना रिवाज जानती हूँ, 

बस इंसान हूँ इंसानियत का हिसाब जानती हूँ ।। 



डॉ. नवनीता गुप्ता (डेंटल सर्जन)

जमादार टोला बेतिया । 


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3 Comments

सुन्दर सृजन

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Punam verma

03-Sep-2023 09:11 AM

Very nice

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Abhinav ji

03-Sep-2023 08:29 AM

Very nice

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