लेखनी प्रतियोगिता -03-Sep-2023 "बचपन"
"बचपन"
जब जब देखूं बच्चों को
रोते गाते हँसते खेलते
आंखों से झलकती शैतानी
कोनों में बैठकर छिप छिप कर
करते हैं वो अपनी मनमानी
मन मेरा मारे किलकारी
खो जाऊं फिर से मैं भी
बचपन की सोधी सी क्यारी में....!!
दिल की गली में होती हलचल
हर पल मांगे मुझसे फिर बचपन
वो भोलापन वो मसुमियत
वो खेल निराले नये नये
वो तपती धूप में नंगे पैर
वो जोरों से फिर चिल्लाना
फिर रो रो कर सारे घर को
सर अपने पर उठा लेना...!!
वो बारिश पानी और बूँदें
चुपके से घर से बाहर आ जाना
वह मिलकर दोस्त सभी प्यारे
बारिश की बूंदे जैसे उछले
बना की कश्ती कागज की
संग संग फिर उसके वो सरपट दौड़े
वो रंग बिरंगी कश्ती संग
ख्वाबों में अपने लेकर झूले...!!
क्या कहने हैं उस बचपन के
जिसमें ना दर्द ना चोट कोई
ना घायल दिल का रोग कोई
अपने बेगाने का ना फर्क कोई
जो लगे प्यार उसी के गले लगे
ना सीमा ना पाबंदी ना परिधि कोई
जब चाहा जिद कर ली सबसे
ना भय है ना चिंता है कल की कोई...!!
चलो लगाकर पंख अभी
लौट चलें बचपन की गली
शायद मिल जाए फिर से वो
जो छोड़ चले बचपन की लगी
वो ठहाके गली चौराहें और दोस्त सभी
वह नींद सुहानी ख्वाब हसीं
मिल जाए मां का आंचल फिर रोने और सोने दोनों को
आओ लौट चलें फिर उस प्यारे बचपन की गली...!!
मधु गुप्ता "अपराजिता"
✍️✍️✍️✍️😘😘🌹🌹
Gunjan Kamal
04-Sep-2023 04:59 PM
👏👌
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Madhu Gupta "अपराजिता"
06-Sep-2023 06:47 AM
thank u so much 🙏🙏
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
04-Sep-2023 07:18 AM
सुन्दर सृजन
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Madhu Gupta "अपराजिता"
04-Sep-2023 11:04 AM
बहुत बहुत धन्यवाद और आभार 🙏🙏
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