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कन्हैया

मथुरा में जन्मे कन्हैया, 

नंद घर बाजे बधइया,
कान्हा की लें सब बलइया।
नंद घर…

जन्मे कन्हैया खुल गए ताले,
सो गए कंस के दर रखवाले,
छिप गए मोहन छबरिया।
नंद घर…

यामा अंधेरी घिर-घिर आए,
गरजा-गरज घन मोती लुटाए,
कृष्ण मुख चूमे बिजुरिया।
नंद घर…

वसुदेव कृष्ण को लेकर आए,
बार-बार मोहन अंक लगाए,
चल दिए गोकुल नगरिया।
नंद घर…

सूर्यतनया जल कदम बढ़ाए,
रौद्र रूप यमुना ने दिखाए,
जल वेग उफने लहरिया।
नंद घर…

पल-पल लहरें बढ़ती ही जाए,
गर्दन तक नीर आकर डुबाए,
सिर पर उठाई छबरिया।
नंद घर….

कृष्णा मंशा कृष्णा ने समझी,
चरण पखार प्रभु गुत्थी सुलझी,
बाढ़ सी उतरी जमुनिया।
नंद घर….

कान्हा पहुंचे यसुदा के घर,
वासुदेव आए बेटी ले कर,
प्रभु"श्री" सबकी खबरिया।
नंद घर….

स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान) 

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10 Comments

खूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति

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सुंदर रचना

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Sarita Shrivastava "Shri"

07-Sep-2023 06:51 AM

🙏🙏

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Varsha_Upadhyay

06-Sep-2023 08:46 PM

Nice 👌

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Sarita Shrivastava "Shri"

07-Sep-2023 06:52 AM

🙏🙏

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