प्रेम जाल
आपने पढ़ा कि दीपक और नम्रता ने आलू और प्याज के पराठे बहुत शौक से खाए।
दीपक-यार मजा आ गया पराठे खा कर। नम्रता-सही कहा बहुत तेज भूख लगी थी। ऐसे लग रहा था जैसे भगवान मिल गए।
दोनों हंसने लगते हैं😄😄😄
नम्रता-चलो दीपक देर हो जाएगी निकलते हैं।
दीपक पेमेंट देकर वहां से निकल जाता है। थोड़ी देर में ही नम्रता भी वॉशरूम से बाहर आ जाती है। दोनों कार में बैठकर निकल जाते हैं।
दीपक गाड़ी में म्यूजिक चला देता है
जिंदगी एक सफर है सुहाना यहां कल क्या हो किसने जाना (दोनों ही गुनगुनाने लगते हैं)
अभी गाड़ी चलते हुए 20 मिनट ही हुए थे। दीपक-नम्रता देखो यह कितना सुंदर रेस्टोरेंट है तुम एग्जाम देकर बहुत थक गई होगी तुम कहो तो यहाँ हम लोग रेस्ट कर सकते हैं।
नम्रता ने कार का शीशा नीचे किया रेस्टोरेंट बाहर से बहुत ही सुंदर लग रहा था।
दीपक के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई। दीपक ने उसके कंधे पर बड़े प्यार से हाथ रखा चलो ना यार थोड़ा रेस्ट कर लेते है मैं तुम्हारा सिर दबा दूँगा और तुम थोड़ी देर सो जाना।
दीपक की बात सुनकर नम्रता बड़ी असमंजस में पड़ गई।
नम्रता-बहुत देर हो जाएगी।मम्मी पापा मेरा इंतजार कर रहे हैं।और मुझे अगले दिन स्कूल भी जाना है।आज नहीं फिर कभी चलेंगे और ऐसी कोई मुझे थकावट भी नहीं हुई है।
नम्रता का मूड देखते हुए दीपक को भी उसकी बात माननी पड़ी।
दीपक ने गाड़ी दौड़ा दी। दोनों के बीच शांति थी। बस म्यूजिक पर आवाज आ रही थी।
नम्रता-क्या बात है तुम नाराज हो क्या? दीपक-नहीं यार ऐसी कोई बात नहीं है बहुत ही मुश्किल से तुमसे मिलने का टाइम मिलता है। मैंने सोचा थोड़ी देर रेस्ट कर लेंगे तो इस बहाने दो चार बातें हो जाएगी।
नम्रता -जस्ट चिल यार क्या फर्क पड़ता है फिर कभी? दोनों ही नॉर्मल हो जाते हैं। फिर इधर-उधर की बातें शुरू हो जाती है।और माहौल कुछ खुशनुमा बन जाता है।
कुछ भी पल में दीपक कार को नम्रता के घर से थोड़ी दूर पहले ही रोक देता है।
दीपक-चलिए मैडम! आपका घर आ गया है। दोनों एक दूसरे को गले लगाते हैं और फिर नम्रता कार से से उतर जाती है।
पैदल का रास्ता अभी 5 मिनट का था इतने में ही मम्मी का फोन आ जाता है। नम्रता-हेलो मां मैं गेट के बाहर ही हूँ गेट खोलो मैं पहुँच गई हूँ।
जितनी देर में मम्मी गेट पर आती हैं उतनी ही देर में वह भागती हुई घर तक पहुंच जाती है।
मम्मी-आजा बेटा तूने बहुत देर लगा दी। नम्रता-मां बाहर जाकर टाइम तो लगता ही है ना?
सब एक साथ आकर बैठ जाते हैं। इतने में शेरी सबके लिए चाय बनाना आता है। नम्रता अपने एग्जाम की सारी बात बताती है।
नम्रता-मम्मी मैं खाना नहीं खाऊंगी अभी कुछ देर पहले ही खाया था मैं रेस्ट करूंगी।
थोड़ी देर में वह कपड़े बदलकर सोने चली जाती है।
फिर सुबह उठकर रोज का रूटीन पूरा करती है। लेकिन जैसे ही वह घर से बाहर निकलती है सामने स्कूल बस स्कूल हॉर्न बजाने लगते हैं। लेकिन यह क्या?? वही बुजुर्ग अंकल ड्राइवर से क्या बात कर रहे हैं? थोड़ी देर में ही बस चल पड़ती है। नम्रता ड्राइवर भैया के पास जाती है। नम्रता-भैया यह अंकल कौन है क्या बात कर रहे थे? मैंने इनको पहले भी कहीं देखा है?
ड्राइवर-कुछ नहीं मैडम जी कुछ खास नहीं पूछ रहे थे? बस यह पूछ रहे थे स्कूल कहाँ पर पड़ता है? और इन मैडम का क्या नाम है? बोल रहे थे उनको भी अपने पोते का एडमिशन करवाना है। नम्रता-ओह यह बात है चलो कोई बात नही।
नम्रता भी शांत हो गई उसे लगा कि वह कुछ ज्यादा ही सोचती है। हल्का सा सर पर चपत मरती हैऔर बच्चों के साथ बातें करने लगती है।
और डेली की वही दिनचर्या चलने लगती है।
देवपाल जी अपने कामकाज के लिए 10 दस बजे तक निकल जाते थे। दोपहर का खाना अपने मुनीम से मंगवा लेते थे। 6 से 7 तक घर आ जाते।यही उनकी की दिनचर्या थी।
शेरी अपनी बीमारी की वजह से घर का काम नहीं कर पाती थी।उसका वजन बहुत बढ़ गया था। माया जी सारे दिन काम में लगी रहती। सुबह उठकर नम्रता का नाश्ता बनाती फिर शेरी उठाकर उसको खाने को देती फिर देवपाल जी को चाय और फिर उनका नाश्ता देती।
देवपाल-माया तुमको मैं एक बात बतानी भूल गया। कल जब मैं पॉटी में था तो किसी मलखान सिंह का फोन आया था। माया-यह मलखान सिंह कौन है क्या कोई रिश्तेदार है हमारे? देवपाल-अरे नही!! हमारी नम्रता उनको बहुत पसंद है, वह अपने पोते के लिए हमारी नम्रता का हाथ मांग रहे हैं। मेरठ में उनकी बहुत बड़ी कोठी बनी हुई है। उनका पोता इंजीनियर है बहुत पैसे वाले लोग लगते हैं। संडे को वह घर पर आएंगे।वह नम्रता से मिलना चाहते हैं।राजपूत ठाकुर है, अभी अकेले ही आयेंगे। माया-चलो यह तो बहुत खुशी की बात है घर बैठे ही रिश्ता आ गया।
नम्रता के लिए यह कौन रिश्ता लाया है? क्या नम्रता का रिश्ता तय हो जाएगा? जानने के लिए पढ़ते रहिए।
Anjali korde
15-Sep-2023 12:17 PM
Fantastic
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Babita patel
15-Sep-2023 10:32 AM
Awesome
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hema mohril
13-Sep-2023 08:32 PM
Amazing
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