लेखनी प्रतियोगिता -09-Sep-2023
#दिनांक:-9/9/2023
#शीर्षक:-कर्म करो
हे पार्थ,
धैर्यवान बन,
ना चाहत रख कुछ पाने की ,
ना किसी में खो जाने की,
सारे रिश्ते नाते मात्र मोह माया हैं,
सब के ऊपर बस प्रभु की छाया है ।
नादान, मूर्ख इंसान ,
सारा जीवन भागता रहता है,
अपनी ही दुनिया में खोया रहता है,
कोई किसी का सगा नहीं यहाँ,
फिर भी सबको अपना कहता है ,
धर्म-विरुद्ध हो कर,
अपना सब कुछ गवां देता है,
बाद में,
सिर पकड़कर पछतावा करता है ।
हे पार्थ
तुम्हारा जन्म-मरण तुम्हारे वश में नहीं,
फिर तुम अपनी खुशियों के लिए,
दूसरों पर निर्भर क्यूँ रहते हो?
अपनी इच्छाएं आप स्वयं पूरा कर सकते हो,
अपने आप को और बेहतर बना सकते हो,
विचारों पर वश, शब्दों पर वश,
कर्मों पर वश, आदतों पर वश,
चरित्र पर वश रखकर ही भाग्य बना सकते हो।
हे पार्थ,
अपना कर्तव्य निर्वाह करो,
प्रेम से प्रेम करो,
प्रभु का दूसरा नाम प्रेम है,
हर जीव-जंतु ,
समस्त के प्रति स्नेहिल बनो,
उठो अपना कर्म करो।
रचना मौलिक, अप्रकाशित, स्वरचित और सर्वाधिकार सुरक्षित है।
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई
Varsha_Upadhyay
09-Sep-2023 02:42 PM
Nice 👌
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Milind salve
09-Sep-2023 02:28 PM
Nice 👍🏼
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madhura
09-Sep-2023 01:05 PM
Very nice
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