Gopal Gupta

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रोटी

मच रहा  है बबाल रोटी का, 
ज़िन्दगी है सवाल रोटी का,,

ख़ुद तो  नाची हमे नचाया भी
हम ने देखा कमाल रोटी का,,

जिस्म सस्ता है रिज्क है महँगा 
उफ़ ये कैसा जलाल रोटी का,,


हक़ जताने को मेरी मेहनत पर,
लौट आया दलाल रोटी का,,

ख़ुश्क आँखों का हो गया पानी,

हर घड़ी था सिगाल रोटी का,,
गोपाल गुप्ता" गोपाल,

सिगाल-फिक्र ख़्याल

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2 Comments

Gunjan Kamal

10-Sep-2023 08:20 AM

👏👌

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Sushi saxena

09-Sep-2023 09:01 PM

Nice

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