चले यहाँ हड़ताल

चले यहाँ हड़ताल

गीत ✍️उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट

खेल घिनौना खेल रही है 
खाकी वर्दी आज
अधिवक्ताओं की ताकत का 
कहाँ उसे अंदाज।
🌹🌹
अंग्रेजी शासन जैसा अब
होता अत्याचार
मौन बनी है क्यों हापुड़ पर
यूपी की सरकार
वर्दी की बेकाबू गर्मी
हम पर रहे उतार
न्याय दिलाने वालों को तुम
समझ रहे लाचार
🌹🌹
दूर अदालत में हम करते
सदा कोढ़ में खाज
अधिवक्ताओं की ताकत का
कहाँ उसे अंदाज
 🌹🌹
रक्षक ही अब भक्षक बनकर
फैलाते हैं आग
डसते सबको आज यहाँ पर 
आस्तीन के नाग
काले धन का नीचे- ऊपर
बँटें बराबर भाग
और न जाने कितने लगते
वर्दी पर हैं दाग
🌹🌹
काली करतूतों से खाकी 
नहीं आ रही बाज
अधिवक्ताओं की ताकत का
कहाँ उसे अंदाज।
🌹🌹
बगुला भगतों बचकर रहना
बनो न इनकी ढाल
जब तक न्याय नहीं हो तब तक
चले यहाँ हड़ताल
लेंगे बदला अब चुन-चुनकर
नहीं बजाते गाल
दोषी जो हापुड़ घटना के
उधड़े उनकी खाल
🌹🌹
सच्चाई का साथ न देगा
कब तक यहाँ समाज
अधिवक्ताओं की ताकत का
कहाँ उसे अंदाज
🌹🌹
रचनाकार -✍️उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट
' कुमुद- निवास' 
बरेली (उत्तर प्रदेश)

(सर्वाधिक सुरक्षित)

   5
1 Comments

Gunjan Kamal

10-Sep-2023 07:26 AM

👏👌

Reply