Archana Tiwary

Add To collaction

आगे बढ़ना

माफ कर आगे बढ़ती रहे 

रास न आता  उनको देखना बढ़ना  मेरा
 ऐसा न था कि समझ न पायीतेरीचालाकियां 
पर जानबूझकर नजरअंदाज करना फितरत है मेरी 
न हो सकती कभी मैं तुम जैसी
तुम्हें तो आदत है  बीच राह हाथ झटकने की होते हैं रंग जमाने में कई 
पर हर रंग की खूबसूरती अलग होती है कोशिश तो बहुत की तुमने 
पर रंग न पाए अपने रंग में 
मानती हूँ मैं हूं कुछ अलग और हूँकुछविचित्र 
मुझे बस ऐसे ही रहने दो
गुजर गयी है जिंदगी की सुबह 
अब साँझ के इंतजार में 
लम्हा लम्हा गुजर जाने दो
अर्चना तिवारी

   6
1 Comments

kapil sharma

17-Mar-2021 09:20 AM

👍👍👍

Reply