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500 कहानियाँ

शांति देखती हैं, धर्मेंद्र रजाई के अंदर, किसी के साथ मस्ती कर रहा है तो वह तुरंत जाकर रजाई हटाती है और देखती हैं धर्मेंद्र और लैला रोमांस कर रहे हैं फिर वह धर्मेंद्र की गर्दन दबाते हुए कहती है -"मुझे धोखा दे रहे थे, इतने दिनों से, बताओ कब से चल रहा है, तुम्हारे बीच में यह सब, नहीं तो आज मैं, तुम्हारी जान ले लूंगी"!


गला दबने से धर्मेंद्र को घुटन महसूस होती है और वह शांति को एक तमाचा जढ़ता है और कहता है-" पागल हो गयी हो क्या"? "क्यो"? फोकट में मेरा, गला दबा रही हो"? "मुझे मारना चाहती हो"!


फिर शांति कहती है -"तुम उसे कमरे में थे, इस कमरे में कैसे आए"? और वह चुड़ैल कहां गई"?


"अरे क्या"? "यह कमरा, वह कमरा, लगा रखा है और कौन सी चुड़ैल"? "दिमाग खिसक गया है तुम्हारा"!


तब शांति को समझ में आता है की वह एक सपना देख रही थी


"बताओ, तुमने, मेरा गला क्यों दबाया"? धर्मेंद्र ने गुस्से में पूछा


"शांति इधर-उधर देखती हैं, उसे कोई दिखाई नहीं देता है फिर वह कहती है -"सॉरी"! "गलती हो गई"!


फिर धर्मेंद्र उठता है और कहता है -"मैं दुकान जा रहा हूं, तुम्हारे साथ रहूंगा तो जान से हाथ धो बैठूंगा"!


फिर वह घबराया-घबराया घर के बाहर आता है तो उसे उसका दोस्त पप्पू मिलता है, उसके सिर पर पट्टी बंधी है और धर्मेंद्र उससे पूछता है -"और दोस्त, कैसे हो"?


"भाई साहब, मैंने, आपको कहीं देखा है पर याद नहीं आ रहा है"! पप्पू ने कहा

"लगता है, कल रात मेरी पत्नी ने इसके सिर पर जो बाटल मारी थी, उस से इसकी याददाश्त चली गई है"! धर्मेंद्र ने मन मे सोचा

"अरे, "हां"! "याद आया, तुम कांति काकी के देवर, बलदेव हो"! दोस्त ने कहा
"लगता है, इसका दिमाग पूरी तरह खिसक गया है, तभी यह कुछ भी अनाप-शनाप बके जा रहा है"! धर्मेंद्र ने मन में सोचा"हां,,,,,मैं वही हूं, अब यह बताओ, तुमने तुम्हारा घर देखा है"! धर्मेंद्र ने पूछा

"हां, देखा है, यह सामने वाली बिल्डिंग, मेरी ही है"! दोस्त ने कहा

"अरे पागल, वहां चले मत जाना, वह दरोगा का का घर है, बहुत पिटेगा तुझे, गलती से भी, वहां चले मत जाना"! धर्मेंद्र ने समझाते हुए कहा

"दिमाग मेरा नहीं, आपका खिसक गया है, बलदेव भाई, आप जिस दरोगा की बात कर रहे हो, वह दरोगा में ही हूं"! दोस्त ने कहा

"अरे, यह तो पूरी तरह ही खिसक गया है, अब इसके पास से निकलता हूं, नहीं तो यह मेरा दिमाग भी खिसका देगा"!


"चलता हूं


, फिर वह पागल दोस्त सोचता है "मेरा घर कौन सा है"? "ऐसा लग रह रहा है, जैसे यह सभी घर मेरे हैं, पर यह घर बहुत जाना पहचाना लग रहा है, इसी में घुस जाता हूं"!


यह सोचकर वह उस घर का दरवाजा खोलता है और घर में घुस जाता है और कहता है -"अरे पिंटू की मम्मी"! "मुझे भूख लग रही है, खाना लगा दो"!

"कौन पागल, घर में घुस आया है"! शांति गुस्से से घर में पड़ा बेट उठाती है और आकर देखती है, धर्मेंद्र का दोस्त पप्पू उसके बिस्तर पर लेटा है
"छछूंदर"! "तू फुदक कर फिर आ गया और तेरी इतनी हिम्मत, मेरे बिस्तर पर सो गया"! शांति ने कहा

"अरे मेरी कमाई का है, तुम्हारे बाप ने दहेज में नहीं दिया है, मेरे बिस्तर पर सोउं या गाउं, तुम्हें क्या दिक्कत है"? "जाओ, फटाफट मेरे लिए, खाना लेकर आओ, मुझे भूख लग रही है"! पागल दोस्त ने कहा

"तेरी इतनी मजाल, तूने, मुझे समझ क्या रखा है"? शांति ने पूछा

"मेरे घर की नौकरानी"! पप्पू ने कहा

"तूने, मुझे नौकरानी कहा"! शांति ने उसके पैर पर बेट मारते हुए कहा

"अरे मर गया, तूने अपने मालिक को मारा, मैं, तुझे अभी इसी वक्त नौकरी से निकालता हूं"! पागल पप्पू ने कहा

"तु"! "मुझे, मेरे घर से निकालेगा, मैं आज, तुझे इस दुनिया से ही निकाल देती हूं"! और शांति उसके सिर पर एक जोरदार बेट मार देती है


"वह वहीं ढेर हो जाता है, उसकी आंखे ओर जुबान बाहर आ गई है, उसे ऐसी दशा में देखकर शांति थोड़ा डर जाती है और उसे जगाने का प्रयास करती है'अरे बाप रे, यह तो मर गया, अब क्या होगा"? यह सब धर्मेंद्र के कारण हुआ है, उन्हें फोन लगाती हूं"!शान्ति फोन लगाकर कहती है-"तुम, अभी इसी वक्त घर आ जाओ"

"क्यो"

"सारी पंचायत, फोन पर नहीं कर सकती, मुझे, तुम से बहुत जरूरी काम है, फटाफट घर आ जाओ"! शांति ने कहा

"ठीक है, तेयार होकर, अभी आता हूं"! धर्मेंद्र ने कहा

"सुहागरात नहीं मनाना है, जो तेयार होकर आओगे, एक बहुत बड़ी मुसीबत आ गई है उसे सुलझाना है"! शांति ने कहा

"ठीक है, मैं अभी आता हूं"!कुछ देर बाद, धर्मेंद्र अपने घर पहुंचता है, तो देखता है

उसका दोस्त, बिस्तर पर पड़ा है -"इसे क्या हुआ"? धर्मेंद्र ने दोस्त को हिलाते हुए पूछा

"इसका काम तमाम हो गया है, जिजा"! कर्मवीर ने बताया

"क्या"? "गुंडे-मवाली, तूने, मेरे दोस्त की हत्या कर दी, मैं अभी पुलिस को बुलाता हूं"! धर्मेंद्र ने धमकी देते हुए कहा

"इसे कर्मवीर ने नहीं, तुमने मारा है"! शांति ने धर्मेंद्र से कहा

"अरे, पर मैं तो अभी आया हूं, यह तो पहले से ही मरा पड़ा था, तुम, मुझपे बेबुनियाद इल्जाम लगा रही हो"! धर्मेंद्र ने दोस्त की ओर आंख मारते हुए कहा

"छिछोरे जिजा, मरे हुए इंसान को लाइन मार रहा है, शर्म नहीं आती"! कर्मवीर ने कहा

"तुम्हारा यह छिछोरा दोस्त, जबरदस्ती घर में घुस आया और मुझसे उल्टी-सुल्टी बातें कर रहा था, अचानक इसका पेर फिसल गया और यह मर गया"! शांति ने बताया

"अरे, इसमें, इस बेचारे की कोई गलती नहीं थी, कल तुमने इसके सिर पर बाटल मारी थी तो इसकी याददाश्त चली गई थी, तुमने एक बेकसूर पागल की जान ली है"! धर्मेंद्र ने फिर दोस्त की और आंख मार कर कहा

"धर्मेंद्र"! "यही हमारी सच्ची मोहब्बत को साबित करने का सही मौका है, तुम यह इल्जाम, अपने सर पर ले लो और सारी दुनिया को दिखा दो कि तुम, मुझसे कितना प्यार करते हो"! शांति ने धर्मेंद्र से कहा

"मैं, अपनी गर्दन क्यों कटवाउ"? "तुम्हारे इस निकम्मे भाई से कहो, जिस पर तुम बहुत नाज करती हो, यह लेगा तुम्हारा इल्जाम इसके सिर पर"! धर्मेंद्र ने बताया

"ओ, मक्कार जिजा, मेरी तो अभी शादी भी नहीं हुई है, मैंने तो ठीक से रात का चांद भी नहीं देखा है, यह तुम दोनों, पति-पत्नी के बिच का मैटर है, मैं चला, अपने गांव"! यह कहकर कर्मवीर चला जाता है

"देखा ऐसे लोग हैं, तुम्हारे खानदान में, जो मुसीबत में साथ छोड़कर भाग जाते हैं"!तभी पुलिस के सायरन की आवाज सुनाई देती है, जिसे सुनकर शांति डर जाती है और धर्मेंद्र से कहती है -"धर्मेंद्र मुझे बचा लो, तुम जो कहोगे, मैं वह सब करूंगी"!शांति की यह बात सुनकर धर्मेंद्र जोर जोर से हंसने लग जाता है "हाहाहाहा"! "


मुझे तकलीफ में देखकर, बहुत हंसी आ रही है, देखना, जब मैं जेल चली जाऊंगी तो तुम्हें, यह घर काटने को दौड़ेगा"! शांति ने कहा


"काटने दो, घर का कांटा, में सह लूंगा"! धर्मेंद्र ने हंसते हुए कहा

"तुम, कुछ करते क्यों नहीं"? शांति ने धर्मेंद्र की छाती पर मारा और भीगी आंखों से बोली -"में जा रही हूं, अपना ख्याल रखना"!

फिर धर्मेंद्र शांति के आंसू पोछता है और कहता है -"ओ, कुंभकरण की औलाद, उठ जा, मेरी बीवी रोने लग गई है, मैं इसकी आंखों में आंसू नहीं देख सकता"!

धर्मेंद्र की आवाज सुनकर पप्पू फटाक से उठ जाता है फिर धर्मेंद्र और पप्पू दोनों एक साथ हंसते हैं यह देखकर शांति धर्मेंद्र को मारती है और कहती है -"तुमने,,मुझे बेवकूफ बनाया"!

"अरे यार, मारो मत, अभी तुमने कहा था कि मेरी हर बात मानोगी, जाओ, हमारे लिए चाय बना कर लाओ"! धर्मेंद्र ने कहा

"मे इस घर की रानी हूं, कोई नौकरानी नहीं हूं, चल उठ और चाय बना कर ला, नहीं तो अब सच में मार डालूंगी"! शांति ने पप्पू से कहा

"अरे, भाभी जी, कल आपने बाटल मारी थी तो मेरी याददाश्त चली गई थी, आज बेट मारा तो याददाश्त वापस आ गई, अब वापस मत मारना, नहीं तो फिर याददाश्त चली जाएगी, मैं चाय बना कर लाता हूं"! यह कह कर वह चाय बनाने चला गया

तभी वहां कर्मवीर वापस आ जाता है और कहता है -"दीदी"! "मैंने बाहर जाकर, बहुत सोचा, भले इस कंजूस जीजा का मुझ पर चवन्नी का अहसान नहीं है पर तुम्हारा बहुत एहसान है, इसलिए मैं हाफ मर्डर का इल्जाम ले सकता हूं, हाफ मर्डर का इल्जाम, कंजूस जीजा को लेना पड़ेगा"! "अरे, उसकी बॉडी कहां गई"? कर्मवीर ने पूछा

"पीछे पलट कर देख"! शांति ने कहा

कर्मवीर ने पीछे पलट कर देखा, उसके सामने, पप्पू चाय के कप लेकर खड़ा है"भूत"! यह कह कर कर्मवीर वहीं बेहोश हो जाता है

फिर सभी हंसते हैं

कुछ देर बाद पप्पू चला गया है, कर्मवीर वहीं बेहोश पड़ा है, धर्मेंद्र पोछा लगा रहा है और शांति बिस्तर पर बैठे मोबाइल चला रही है

"धर्मेंद्र"! "बर्तन और कपड़ों से पूरा घर भर गया है, पहले उन्हें धो-दो"! शांति ने कहा

"कपड़ों का सीजन चल रहा है और मेरी, पत्नी मुझसे दुकान बंद करवा कर, घर का पोछा लगवा रही है, पहले पोछा तो मार लेने दो और इस निक्कमे कर्मवीर को उठाकर भगाओ"! धर्मेंद्र ने कर्मवीर के मुंह पर पोछा मारते हुए कहा

"बेचारा"! "बेहोश पड़ा है, जब होश में आएगा तो चला जाएगा"! शांति ने कहा

"तुम्हारा बेचारा, बेहोश नहीं है, सो रहा है कामचोर"! धर्मेंद्र ने पोछे के गंदे पानी की बाल्टी कर्मवीर पर ढोलते हुए कहा

"अरे यार, चैन से सोने भी नहीं देते हैं, अब दुकान जा कर सोऊंगा"! कर्मवीर ने उठते हुए कहा

"अगर मेरी दुकान पर आलसीवाड़ा फैलाया तो जान ले लूंगा तेरी"! धर्मेंद्र ने जाते हुए कर्मवीर से कहा

"पोछा बाद में मार लेना, कपड़े और बर्तन सड़ रहे हैं, पहले उन्हें धो-दो"! शांति ने चिल्लाते हुए कहा

"चिल्ला क्यों रही हो"? "जा रहा हूं"! धर्मेंद्र पोछा फेक कर कपड़े धोने के लिए जाता है

"चिल्लाना, इसलिए पड़ता है क्योंकि तुम्हारे, बेहरे दिमाग में, कम सुनाई देता है, उन कपड़ों में कुछ साड़ी ;सिफोन की है, उन्हें आराम से धोना, कहीं फट ना जाए"! शांति ने कहा

"अब यह काम भी, मुझे, तुम सिखाओगी, तुमने धोएं है, कभी कपड़े, अरे तुम्हें, तो ठीक से मुंह धोना भी नहीं आता है और मुझे कपड़े धोना सिखा रही हो"! धर्मेंद्र ने कहा

"अरे तुम, तो कपड़े, बर्तन धोने के बहुत बड़े महारथी हो, फटाफट धोकर आओ, फिर पोछा लगाओ और मेरे पैर दर्द कर रहे हैं, काम खत्म करके इन्हें भी दबाना है"! शांति ने कहा

"तुम कितना बोलती हो, कभी तुम्हारा गला दर्द नहीं करता, कभी गला दबाने का भी कह दिया करो"! धर्मेंद्र ने कहा

"ज्यादा बोलने से, गला खराब नहीं होता है, साफ होता है"! शांति ने बताया

"बड़ा अनोखा गला है तुम्हारा, जो 24 घंटे खुला रहता है, एक गिलास फेवीकोल पी लो, थोड़ा आराम मिल जाएगा"! धर्मेंद्र ने कहा

"अपना मुंह बंद कर लो और अपने काम पर ध्यान दो, आज तुमने, मेरा मजाक उड़ा कर, इतनी बड़ी गलती की है, इतनी बड़ी गलती की है, जिसे तुम्हें जिंदगी भर भुगतना पड़ेगा"! शांति ने कहा

"वह गलती, आज नहीं, सालों पहले की थी, जब तुमसे शादी की थी"! धर्मेंद्र ने कहा

"चुप रहो, पापाजी का फोन आ रहा है, "हां"! "पापा जी बोलिए, "क्या"? आपकी तबीयत खराब है, अभी इन्हें लेकर आ रही हूं, आप की सेवा करना हमारा फर्ज है, मैं अभी इनके साथ वहां आती हूं"! शांति ने कहा"मैं पहले घर के काम करूंगा, उसके बाद बाहर का काम करूंगा, गलती से भी बाहर का काम, मत बता देना"! धर्मेंद्र ने स्पष्ट कहा


"यह सब छोड़ो और हमारा बैग तैयार करो, हमें अभी इसी वक्त, मेरे मायके चलना है, पापा की तबीयत खराब है, मां अमरनाथ गई है, ऐसे समय में, पापा की सेवा करना, हमारा फर्ज है"! शांति ने कहा"हां,,,,

"तुम, तुम्हारे मायके जाओ, मैं, मेरे मायके जाता हूं, तुम, तुम्हारा फर्ज निभाओ, मैं भी अपने गांव जाकर अपने पापा की सेवा करता हूं"! धर्मेंद्र ने कहा

"तबीयत"! "मेरे पापा की खराब है, तुम्हारे पापा की नहीं, इसलिए तुम्हें, तुम्हारे नहीं मेरे मायके चलना होगा"! शांति ने आंखें दिखाते हुए कहा



"तुम, चली जाओ, मुझे नहीं आना, क्योंकि कपड़ों का सीजन चल रहा है, ऐसे में दुकान बंद नहीं रख सकता, बहुत नुकसान हो जाएगा"! धर्मेंद्र ने चिंता जताते हुए कहा


"दुकान को मेरा होनहार भाई, "कर्मवीर"! "संभाल लेगा, उसी की सच्ची लगन और मेहनत से ही, तुम्हारी दुकान चल रही है"! शांति ने कहा


"उस चोर के हाथ में, अपनी दुकान की चाबी नहीं दूंगा, भले दुकान बंद रखना पड़े"! धर्मेंद्र ने स्पष्ट कहा


"तुम जानो और तुम्हारी दुकान जाने, तुम बेग तेयार करो, मैं अभी साड़ी बदल कर आई"! शांति ने जाते हुए कहा


"बीमार, बाप से मिलने जा रही हो, भाई की शादी में नहीं जा रही हो, जो नई साड़ी पहन रही हो"! धर्मेंद्र ने कहा


"जी करता है, तुम्हारे मुंह में हाथ घुसा कर जुबान निकाल लूं और उसे मिक्सर में पिस दुं, कभी अच्छी बात नहीं बोलते हो"! शांति ने कहा


"जी, तो मेरा भी बहुत कुछ करता है पर कर नहीं पाता हूं"! धर्मेंद्र ने बैग में कपड़े भरते हुए कहा


"मति, मारी गई थी मेरी, जो मैंने, तुमसे शादी की"! शांति ने दूसरे कमरे में जाते हुए कहा


कुछ देर बाद शांति सज - संवरकर, चश्मा लगाकर, कमरे से बाहर आती है और धर्मेंद्र से पूछती है "कैसी लग रही हूं, मैं"?


"मुझे नहीं पता"! धर्मेंद्र ने कहा


"कभी तो तारीफ कर दिया करो, झूठे मुह ही सही"! शांति ने कहा


"मुझे, झूठ बोलने में मजा नहीं आता"! धर्मेंद्र ने कहा


"मोहल्ले के सभी मर्द, मेरी तारीफ करते हैं, बस एक तुम ही हो जो बुराई करते हो"! शांति ने कहा


"मेरी भी मोहल्ले की सभी औरतें, तारीफ करती है, एक तुम ही हो, जो मेरी बुराई करती हो"!


"जरा, बताना तो किस, औरत ने तुम्हारी तारीफ की थी"? शांति ने गुस्से में पूछा


"अरे यार, मजाक कर रहा था"! धर्मेंद्र ने शर्माते हुए कहा


"तुम्हारा मजाक से, बड़ी भयंकर, सच की बदबू आ रही है, अब चलें, हो गए बेग तैयार"! शांति ने कड़क आवाज में पूछा


"1 मिनट, अब ससुराल जा रहा हूं तो मैं भी नए कपड़े, पहन लेता हूं"! धर्मेंद्र ने कहा


"कोई जरूरत नहीं है, वहां बन ठन कर जाने की, पुराने कपड़ों में भी पहचान लेंगे तुम्हें, चलो बैग उठाओ"! शांति ने कहा


धर्मेंद्र एक बैग उठाता है और चल देता है -"अरे, तीन बैग और लो"! शांति ने बैग दिखाते हुए कहा


"अरे इतने सारे कपड़ों का की क्या जरूरत है"? "क्या साल 2 साल के लिए जा रहे हैं वहां"! धर्मेंद्र ने बैग रखते हुए पूछा


"इनमें कपड़े नहीं है, इस बैग में कॉस्मेटिक का सामान है, दूसरे बैग में लेटेस्ट साड़ियों का कलेक्शन है और तीसरे बैग में ज्वेलरी, चूड़ियां, सैंडल, वगैरा रोजमर्रा के सामान है"! शांति ने कहा


फिर धर्मेंद्र दोनों कंधों पर एक-एक बैग लटकाता है और एक बैग सिर पर रख कर कहता है -"एक बेग तुम उठा लो"!


"अरे, मेरे हाथ में पर्स है, घर की चाबियां है, मैं कैसे उठाऊंगी"? शांति ने कहा


"तो फिर, इसे यहीं रहने दो, क्योंकि मेरे हाथ, सिर सब बिजी है, कहीं जगह नहीं है"! धर्मेंद्र जाते हुए कहा


"रुको और मुंह खोलो"!


धर्मेंद्र मुंह खोलता है तो शांति उसके मुंह में उस चौथे बेग का बेल्ट भर देती है और करती है -"तुम्हारा मुंह बिजी नहीं था, अब जाओ, बाइक निकालो, मैं ताला लगा कर आती हूं"!


फिर धर्मेंद्र घर के बाहर आता है तो कई लोग उसका मजाक उड़ाते हैं "अरे, "धर्मेंद्र भैया"! "कपड़ों का धंधा बन्द कर, बैग बेचने का बिजनेस शुरू किया है"!


आगे जाकर दूसरा व्यक्ति कहता है -"धर्मेंद्र भाई, बहुत लेटेस्ट बैग है तुम्हारे, एक बैग कितने का है"?


फिर आगे एक और व्यक्ति कहता है -"अरे, धर्मेंद्र भैया, बेग बेचने का धंधा कब से शुरू किया"?


धर्मेंद्र के मुंह में बेग का बेल्ट होता है इसलिए वह किसी को कुछ नहीं कहता और अपनी बाइक के पास आकर सारे बैग रख देता है


तभी वहां शांति एकदम स्टाइलिश अंदाज में आती है, उसे देखकर धर्मेंद्र कहता है "पूरे मोहल्ले में जुलूस निकाल दिया मेरा, सभी बेग वाला, बैग वाला, बोल रहे थे"!


"लोगों की बात छोड़ो, लोगों का काम है कहना"! शांति ने कहा


"इन बैगो को बाइक पर कैसे एडजस्ट करेंगे"? धर्मेंद्र ने पूछा


"अरे, जैसे अभी किया था, वैसे ही लटका लो और प्लीज अब इस पर बहस मत करना"! शांति ने कहा


फिर धर्मेंद्र बिल्कुल उसी तरह, अपने शरीर पर बैग लटका कर, बाइक पर बैठ जाता है तभी वहां कर्मवीर आ जाता है और कहता है -"ओ कुली जीजा, यह काम कब से शुरू किया है"?


"कुली होगा तेरा बाप"! धर्मेंद्र ने मन में कहा


क्योंकि उसके मुंह में बैग का बेल्ट है


"कर्मवीर"! "पापा की तबीयत खराब है, हम उनकी सेवा करने के लिए जा रहे हैं, अब दुकान की सारी जिम्मेदारी तुम्हारे मजबूत कंधों पर है"! शांति ने कर्मवीर को दुकान की चाबी देते हुए कहा


"इस गधे को दुकान की चाबी मत दो, यह दुकान का नाम बदनाम कर देगा"! धर्मेंद्र ने मन मे कहां


"दीदी"! "देखना, मैं दुकान का नाम पूरे शहर में रोशन कर दूंगा, इस इमरान हाशमी जीजा ने दुकान पर जितने भी कलंक लगा रखे हैं, उन सब को साफ कर दूंगा"!


 "तू मेरा धंधा साफ मत कर देना निक्कमे"! धर्मेंद्र ने मन में कहा


"जीजाजी"! "के मुंह में मलेरिया हो गया है, यह कुछ बोल क्यों नहीं रहे"? कर्मवीर ने पूछा


"मैंने इनके मुंह को काम दे रखा है, इसीलिए इनका मुंह व्यस्त है, अब चलते हैं भाई"! शांति ने कहा


फिर धर्मेंद्र बाइक स्टार्ट करता है और इधर उधर लड़खड़ाते हुए आगे बढ़ता है तभी पीछे से कर्मवीर चिल्लाकर कहता है


-"मेरी, दीदी को गिरा मत देना, नहीं तो तेरे हाथ-पैर तोड़ दूंगा"!


धर्मेंद्र बाइक रोकता है ओर गुस्से से पलट कर कर्मवीर मैं को देखता है पर बेचारे के मुंह में बैग का बेल्ट है इसलिए कुछ बोल नहीं पाता


"अबे, चला जा, नहीं तो तेरी दोनों आंखें फोड़ दूंगा"! कर्मवीर ने फिर चिल्लाकर कहा


धर्मेंद्र को बहुत गुस्सा आता है, तभी पीछे बेठी शांति कहती है -"अरे, तुम उसकी बात पर ध्यान मत दो, ठीक से बाइक चलाओ, हर भाई की जिम्मेदारी होती है कि अपनी बहन की रक्षा करें, तुम इधर-उधर बाइक लहराओगे, जिस पर उसकी बहन बेटठी है तो भाई को गुस्सा आएगा ही"! शांति ने कर्मवीर का पक्ष लेते हुए कहा


फिर धर्मेंद्र इधर-उधर लहराता हुआ बाइक चलाता है,


1 घंटे बाद


धर्मेंद्र बाइक लहराता हुआ, ससुराल के सामने पहुंचता है और बैलेंस बिगड़ने के कारण शांति और धर्मेंद्र नीचे गिर जाते हैं


"बाइक भी ठीक से चलाना नहीं आता तुम्हें, मेरा पैर टूट गया है, चला भी नहीं जा रहा है, बहुत दर्द हो रहा है"! शांति ने गुस्से में कहा


"अरे यार, तुमने पूरी गाड़ी बैगो से भर दी और एक बैग मेरे मुंह में ठोस दिया, मेरे दांतो की जान निकल गई है"! धर्मेंद्र ने कहा


तभी धर्मेंद्र के ससुर अपने हाथों में एक हांकी लेकर गुस्से में कहते हैं "अबे एक हड्डी के जमाई, साइकिल तो ठीक से चलाना नहीं आता है और बाइक चलाने की कोशिश कर रहा है, मेरी फूल जैसी बेटी को गिरा दिया, अब उठाओ मेरी, बेटी को"!


फिर धर्मेंद्र शांति को अपने हाथ का सहारा देकर उठाता है और कहता है -"आपकी तबीयत खराब थी पर आप तो जवान लौंडे की तरह, एकदम फिट फाट लग रहे हो, ससुर जी"!


"ससुर से जुबान लड़ाते हो, तुम्हें, मेरे हाथों में हांकी दिखाई नहीं दे रही, बड़ी कमजोरी आ गई है शरीर में, इसलिए इस हांकी का सहारा ले रहा हूं"! ससुर ने धर्मेंद्र के पिछवाड़े हांकी मारते हुए कहा


फिर तीनों घर के अंदर पहुंचते हैं शांति बहुत सारी शराब की बोतल देखकर कहती है -"पापा, इतनी सारी दवाई पी रहे हो आप"!


"अरे, आंख की अंधी, वह दवाई नहीं शराब की बोतले हैं"! धर्मेंद्र ने शांति से कहा


"मेरे सामने, मेरी बेटी से जुबान लड़ाता है, मैंने शराब की बोतलों में दवाई रखी है, नशेड़ी जमाई"!


"पापा, अब आप आराम कीजिए, आप की सेवा करना हमारा फर्ज है, अब आपका सारा काम, हम करेंगे, आप बिस्तर पर आराम कीजिए"! शांति ने कहा


"अरे, बेटी शाम को डॉक्टर ने खुले में घूमने को कहा है, मैं थोड़ा प्राकृतिक माहौल में घूम कर आता हूं, ए कामचोर जमाई, 18 नंबर बोतल उठाकर, मेरे साथ चलो, यह दवाई खुले में पीना है"!


फिर धर्मेंद्र 18 नंबर बोतल उठाकर, अपने ससुर के साथ खुले में टहलने आता है


"ससुर जी, इस दवाई का दूर-दूर तक दवाई से कोई कनेक्शन नहीं है"! धर्मेंद्र ने बोतल खोलकर सुंघते हुए कहा


"ब्लेंडर, सिग्नेचर, आर एस, आईबी, एमडी, मैजिक मोमेंट, वोडका, काम मेरा रोज का, जमाई इसे 18 कहते हैं क्योंकि इसमें 18 तरह की शराब मिली हुई है, चलो फटाफट, मेरे लिए पैक बनाओ"! ससुर ने कहा


"इस पर साफ-साफ लिखा है, शराब सेहत के लिए हानिकारक है, आपकी तबीयत खराब है और आप शराब पी रहे हो, मैं यह बात शांति को बताऊंगा"! धर्मेंद्र ने धमकी देते हुए कहा


फिर ससुर धर्मेंद्र से बोतल लेता है और जबरदस्ती धर्मेंद्र का मुंह फाड़कर उसे अआधी बोतल शराब पिला देता है और पूछता है -"अब बताओगे, शांति को"?


"अब क्या मेरी मौत आई है, जो बताऊंगा, प्लीज ससुर जी, इस बात को आप भी शांति को मत बताना"! धर्मेंद्र ने निवेदन करते हुए कहा


"अरे डरो, मत जमाई जी, नहीं बताऊंगा, ससुराल आए हो तो खाओ, पियो, मौज करो"! ससुर ने कहा


"ससुर जी, यह शराब तो बहुत तगड़ी है यार, मुझे हर चीज डबल दिखाई दे रही है"! धर्मेंद्र ने कहा


"इसके एक पैक से मेरा ठंडा खून, गर्म हो जाता है, दूसरे पैक से में फुल टल्ली हो जाता हूं और तीसरे पैक से में बेहोश हो जाता हूं और आज मैंने पांच पैक पिए हैं, पता नहीं क्या होगा"? ससुर ने कहा


"अरे यह तो नई मुसीबत हो गई है, यह बुड्ढा बेहोश हो जाए, उससे पहले, इसे घर ले चलता हूं, नहीं तो शांति मेरी जान ले लेगी"!


धर्मेंद्र मन में सोचा और कहां -"ससुर जी, अब घर चलते हैं"!


"हां, आज बहुत पीली है, अब घर चलते हैं"! ससुर ने लड़खड़ाते शब्दों में कहां और उठने की कोशिश की और वही धडा़म से गिरकर बेहोश हो जाता है 


" ओ थारी जीजी की, यह बुड्ढा तो सच में बेहोश हो गया"! धर्मेंद्र ने लड़खड़ाते शब्दों में कहा


"बुड्ढा होगा तेरा बाप"! ससुर ने उठकर धर्मेंद्र की कॉलर पकड़ कर कहा और फिर बेहोश हो गया


"इस बेवड़े अंकल को क्या हुआ है"? "बेहोश क्यों पड़े हैं"? एक लड़के ने धर्मेंद्र से पूछा


"अरे यार, आज इन्होंने ज्यादा पी ली है"! धर्मेंद्र ने बताया


"अरे भैया, इनका तो रोज का काम है, बहुत ऊंचे लेवल के पियक्कड़ है, उतर जाएगी तो घर चले आएंगे, तुम चिंता मत करो"! उसे लड़के ने कहा और वहां से चला गया


धर्मेंद्र अपने ससुर को उठाने की बहुत कोशिश करता है पर वह उठते नहीं है


फिर धर्मेंद्र उन्हें वहीं बेहोश छोड़कर घर चला आता है और उस लड़के को शांति से बात करते हुए देखा फिर धर्मेंद्र छुपकर उनके पास आता है और सुनता है


"दीदी"! "तुम्हारे पापा, तुम्हारे पति के साथ शराब पीकर बेहोश हो गए हैं और कुत्ते की तरह पड़े हैं"!


"क्या"? "धर्मेंद्र ने मेरे बीमार पिता को शराब पिलाई, वह उनकी जान लेकर, उनकी जायदाद हड़पना चाहता है, ऐसे नशेड़ी पति को मारकर विधवा होना ही अच्छा है, घर आने दो आज"! शांति ने गुस्से में कहा


फिर धर्मेंद्र वापस भागता हुआ, ससुर के पास आता है और ससुर पर पानी डालकर उन्हें होश में लाता है


"अरे, उठ जाओ, एक लड़के ने शांति को जाकर सब बता दिया है, वह मेरी जान ले लेगी"! धर्मेंद्र ने कहा


"जब तुम्हें अच्छे से पता है, मेरी तबीयत खराब है तो तुमने मुझे शराब क्यों पिलाई"? ससुर ने पूछा


"मैंने तुम्हें पिलाई या तुमने मुझे पिलाई, जबरदस्ती, इस उम्र में थोड़ा कम झूठ बोलो, ससुर जी"! धर्मेंद्र ने कहा


"झूठ नहीं बोलूंगा तो शांति मुझे मार डालेगी, मैं जा रहा हूं घर, तुम्हारा नाम लूंगा, डंडे खाने के लिए तैयार हो जाओ, जमाई जी"! ससुर धमकी देकर चला जाता है


कुछ देर बाद धर्मेंद्र घर पहुंचता है और शांति से पूछता है "पापा"! "घर आ गए"!


"अरे वाह रे, भले आदमी, कितना भला बन रहा है, तुम क्या साजिश रच रहे हो, तुम, मेरे बीमार पापा को शराब पिलाकर मारना चाहते हो और उनकी जायदाद हड़पना चाहते हो"! शांति ने कहा


"मैंने, उन्हें कब शराब पिलाई, वह तो मुझे छोड़कर उनके दोस्तों के साथ चले गए थे"! धर्मेंद्र ने बताया


"अच्छा"! "रुको अभी, उस लड़के को बुला कर लाती हूं, जिसने तुम्हें, पापा के साथ शराब पीते देखा था"!


शांति यह कह कर कुछ देर में उस लड़के को बुलाकर लाती है और धर्मेंद्र के सामने उस से पूछती है -"बता, यही वह राक्षस था, जिसने मेरे, पापा को शराब पिलाई थी"!


"नहीं"! उस लड़के ने कहा


फिर धर्मेंद्र ने गुस्से से शांति की ओर देखा और शांति शर्मिंदा हुई


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4 Comments

kashish

24-Sep-2023 12:44 PM

Awesome

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madhura

24-Sep-2023 10:53 AM

Amazing

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Anjali korde

17-Sep-2023 08:16 AM

Amazing

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