पुनर्जन्म - राजकुमारी का प्रेमी
“रत्ना! राजकुमारी रत्ना! तुम वहाँ कहाँ शिव मंदिर के पास ही पूजा कर के खड़ी हो गई? आगे आओ। यहाँ महल के अंदर आओ। वहाँ क्यों खड़ी हो? रत्ना मैं तुम्हारा इंतजार यहाँ, इस तरफ कर रहा हूँ! रत्ना! खड़ी न रहो, चली आओ अंदर! मैं सदियों से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ और अब जब तुम आई हो तो बस वहीं हमेशा की तरह शिव जी की आराधना कर उसी खंडहर जैसे मंदिर के दरवाजे पर रुक जाती हो। आओ रत्ना! देखो किसी अपने को यूँ इतना इंतजार कराना चोख्यो को नई! कबसे तुम्हारे इंतजार में मैं महल की इन अंधेरी चहारदीवारियों में तुम्हारे आने की बाट जोह रहा हूँ। आओ रत्ना आओ... और अपने प्रेम के चिरागों से इन महलों की अंधेरी गलियों में रोशनी बिखेर दो।“
“आगे बढ़ो रत्ना देखो महल के अंदर तुम्हारा सिंध, तुम्हारा चाहने वाला, तुम्हारा दीवाना इस वीराने महल में तुम्हारे कदमों की आहट लिए बैठा है। आओ अंदर आओ...मेरी प्यारी राजकुमारी रत्ना... रत्ना... रत्ना...”
“हाँ...” कहते हुए श्वेता अपनी आँखें खोलती है और एक झटके में बिस्तर से उठ कर बैठ जाती है। पसीने से भीगा शरीर, तेज चलती हुई सांसें, आँखों में कई सवाल और होठों पर श्री हनुमान चालीसा का जाप। श्वेता सोलह वर्ष की एक लड़की जिसने यौवन की दहलीज पर कदम ही रखा है।
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यह कहानी है राजकुमारी रत्ना की , जिसने पुनर्जन्म लिया है श्वेता नाम की एक लड़की का ,
कहानी प्लॉट - अपूर्वा सिंह
कहानी कार- अपूर्वा सिंह
एडिटर- प्रनव शशांक
प्रूफ रीडिंग- प्रनव शशांक
Gunjan Kamal
16-Sep-2023 08:13 AM
👏👌
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