हकीकत
दुनिया में सुख बूँद है दुख है गहरा सागर,
जिंदगी कट जाती है उम्मीद है एक गागर।
शिशु जन्म होते ही माता भूल जाए सब शौक,
संकुचित हो सब इच्छाएँ छबि अपनी ही पाकर।
संतति का पालन करती है नहीं करे कुछ भेद,
जननी हिस्से कर देते हैं दोनों सुत बराबर।
पूत कामना उत्कंठित है बेटी गर्भ गिराते,
कोई डर नहीं हत्या का पाते चैन गिराकर।
सूरज रक्तिम लिए लालिमा भरे हुए हैं शोले,
सियासत गद्दी नोटों की खादी उजली चादर।
लाशों के ढेर पड़े हैं, वहाँ सोपान बनाएँ,
किसका शब है कौन मरा कोई न देखे जाकर।
कूद पड़े सब नदिया में कौन तैरना जाने,
बचने को टाँग खींचते, नहीं निकलते बाहर।
छुपी हकीकत रखते है ऊपर ओढ़ लबादा,
चेहरे "श्री" चेहरा है किसका करें उजागर।
स्वरचित- सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)
Shashank मणि Yadava 'सनम'
17-Sep-2023 08:34 AM
खूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति
Reply
Sarita Shrivastava "Shri"
17-Sep-2023 12:28 PM
🙏🙏
Reply
Gunjan Kamal
16-Sep-2023 10:26 PM
👏👌
Reply
Sarita Shrivastava "Shri"
17-Sep-2023 12:27 PM
🙏🙏
Reply
Sarita Shrivastava "Shri"
16-Sep-2023 08:32 PM
👍👍
Reply