लेखनी कहानी -16-Sep-2023
विषय - स्वैच्छिक - इंसान हम इंसान सभी तरह से समझदार होते हैं । बस हम अपने अहम और वहम में जीवन यापन अपने अंहकार में करते हैं जब भक्त और भगवान या नर और नारायण नारायण के साथ साथ सच तो यह है भूमि जल वायु अग्नि आकाश के द्वारा हम सभी इंसानों का नाम और जन्म होता हैं। बस हम सभी की अपनी अपनी सोच है और मूहर्त और हकीकत में अंतर होता हैं। एक कड़वा सच जीवन क्षणभंगुर के साथ साथ एक अकेलापन का सच है। जो आज मेरे साथ कर तुम्हारे और ऐसे ही मानव जीवन का सहयोग है। सच तो यह है कि हम सभी संसारिक मोह-माया से जुड़े हैं और हमने सभी सोच अपने मन भावों से तय की है आज से हम वर्षों पुराना इतिहास मानव के पुरातत्व रहन सहन और पत्थरों से चिंगारियां निकाला कर आग जलाना सीखा था । कपड़ों की पत्तियों को पहन कर रहन सहन था। समय बदलावों के साथ साथ हम मानव के परिवर्तन हुए।और आज हम सभी एक दूसरे के जरूरत के साथ साथ जुड़े हैं। हम एक कहानी के साथ आज आपको इंसान और उसके कर्म और जन्म मृत्यु के बारे में बताते हैं यह कहानी एक गांव रामनगर से शुरू होती है रामनगर एक खुशहाल परिवार राजन का रहता था और उसे परिवार में चेरब एक पोता और दादाजी रहते थे। चेरब अक्सर दादा जी से पूछा करता था। दादाजी इंसान जन्म लेकर बड़ा होने तक बदलता जाता है ऐसा क्यों होता है दादाजी कहते हैं जब तू पैदा हुआ था छोटा सा था तब तू बहुत शरारती था परंतु अब तू पढ़ लिखकर समझदार हो गया है ऐसे ही दादाजी कहते हैं ईश्वर की हम सब संतान हैं वह हमारा पिता परमेश्वर है और हम उसी की कहे अनुसार सभी काम करते हैं हमारे अच्छे कर्म और हमारे अच्छे धर्म हमें अच्छी राह पर ले जाते हैं। और बुरे कर्म और बुरी संगत बुरी रहा का अर्थ बुरा होता है। ईश्वर कुदरत है और हम सभी को जन्म और मृत्यु उसी की मर्जी से सब होता है। दादाजी ईश्वर किसी ने देखा है क्या? दादाजी हंसते हैं और कहते हैं ईश्वर किसी ने नहीं देखा और न ही ईश्वर को देखने की कोई जरूरत है। हम सभी ईश्वर की संतान है और यहां संसार में आकर मैं तुम्हारा दादाजी और तुम्हारे माता-पिता यह सब रिश्ते ही बनते हैं और ही खत्म हो जाते हैं केवल सांसों के साथ जीवन है और सांसों के बाद हम सब ना कोई रिश्ता ना कोई पहचान रहती है। अच्छा चेरब अब तुम जाओ रात बहुत हो गई सो जाओ । अच्छा दादाजी शुभरात्रि कहकर चेरब अपने कमरे में सोने चला जाता है। सुबह दादा जी उठते हैं और फिर चेरब को आवाज लगाते हैं और कहते हैं सूर्य देव के दर्शन और नमस्कार करो यह ईश्वर का साक्षात्कार है। सच दादाजी चेरब कहकर खुशी से झूम उठता है कि आज उसने सच में ईश्वर का साक्षात्कार किया हैं। हां सच यह तो एक कहानी प्रेरणा के साथ इंसान हैं क्योंकि जीवन में हम सभी के रिश्ते नाते सच सांसों तक रहते हैं भला ही हमारा भाई बन्धु और पत्नी मांँ जो भी रिश्ता है। हम केवल अपने जीवन में अपने पराए का विचार या विरोध रखते हैं। आओ हम सभी अपनी सोच बदल कर सही इंसान से दोस्ती और रिश्तों को सहयोग कर जीवन में इंसान और इंसानियत की राह बनाते हैं।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र
Gunjan Kamal
16-Sep-2023 11:29 PM
👌👏
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