नूर
गीत-कवि की न तुम कल्पना !
शायर की न शायरी !!
सूरज की न तुम किरणें !
चाँद का नूर नहीं !!
आँखे देख सब भूल गई !
किस नूर का तुम नूर हो !!
मधुशालाएं भी हो जाएं खाली !
कितनी मय तेरी आँखो मे डाली !!
छू कर तेरे लवो की लाली !
हवाएं भी हो गई देख दिवानी !!
कैसे होगा वो हैं बचा !
जिसने होगा तुझको रचा !!
आँखे देख सब भूल गई !
किस नूर का तुम नूर हो !!
कैसे मैं कोंई गीत बनाऊं !
कलम को अपनी क्या समझाऊ !!
रुप को तेरे कैसे आँके !
टूट रहे मेरे शब्दों के सांचे !!
मदहोशी में वो होगा पडा !
जिसने तेरा रूप गड़ा !!
आँखे देख सब भूल गई !
किस नूर का तुम नूर हो !!
कैसी ये महामाया !
जिसने तेरा रूप बनाया !!
कैसा होगा वो हैं सांचा !
जिसमें तेरा रूप समाया !!
चाँद नहीं तु इस जमीं का !
ये कौन सा चाँद जमीं पे आया !!
आँखे देख सब भूल गई !
किस नूर का तुम नूर हो !!
चंदन पर लिपटे भुजंग हो जैसे !
उलझे हैं तेरे गेसू ऐसे !!
खुद को तू समझ न पाया !
चंदन सी है तेरी काया !!
रूप में जो तेरे डूबा !
लौटकर न वो वापस आया !!
आँखे देख सब भूल गई !
किस नूर का तुम नूर हो !!
विपिन बंसल
ऋषभ दिव्येन्द्र
18-Oct-2021 01:19 PM
बेहद ही खूबसूरत रचना 👌👌
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Raushan
17-Oct-2021 09:45 PM
Behtareen
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Niraj Pandey
17-Oct-2021 09:41 PM
बहुत ही बेहतरीन
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