मुहब्बत

यूं तुम कब तक हमें दर्द देते रहोगे,

कभी तो ये आलम तुम्हारे भी होंगे।


तुम्हे सिर्फ अपना प्रेम दिखाई दिया,

वो भी तुम्हें बेइंतहा मोहब्बत करते होंगे।


तुम जोश में हो उफनते दरिया को देख,

मगर सैलाब से कई घर उजड़े भी होंगे।


कोई जो तुमको सुनते सुनते रुला दे,

उस ग़ज़ल में कुछ शेर हमारे भी होंगे।


केवल इश्क तुमने ही नही किया,

कुछ मुहब्बत के नज़ारे हमारे भी होंगे।


जिन गलियों को तुम छोड़ आए,

हमने उन राहों में तेरी राह देखे भी होंगे।


इस प्रेम को इतेफाक़ का नाम न दो,

कभी तो तुमने मेरे इशारे को समझे होंगे ।


ये सिर्फ आशिक़ों का ठिकाना नही है, 

मयकदे में कुछ मोहब्बत के मारे भी होंगे।

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3 Comments

बहुत ही सुंदर और बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Reena yadav

19-Sep-2023 09:57 PM

👍👍

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Gunjan Kamal

19-Sep-2023 09:22 PM

बहुत खूब

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