Add To collaction

किसान

*किसान*
     *अन्नदाता किसान*
हे हलधर,हे अवनि-पुत्र तुम,
लगते कितने प्यारे हो।
दाता अन्न तुम्हीं हो केवल,
सबके तुम्हीं सहारे हो।।

ले हल संग वृषभ की जोड़ी,
रोज खेत पर जाते हो।
शरद-गरम या हों बरसातें,
हिकभर फसल उगाते हो।
सना बदन कीचड़ में तेरा-
फिर भी महि  के तारे हो।।
         हे हलधर........।।

हर मौसम से तेरी यारी,
यारी है तूफानों से।
बिगड़े बोल भले हों इनके,
 डरे न उर्मि-उफ़ानों से।
सदैव परिश्रम करते रहते-
श्रम के तुम्हीं दुलारे हो।।
        हे हलधर........।।

 छोटे हो या बड़े कृषक तुम,
श्लाघनीय तेरा प्रयास।
निशि-दिन श्रम कर भूख मिटाते,
हिय में सदा भरे हुलास।
हर युग के तुम पूजनीय हो-
कवि-हिय के तुम प्यारे हो।।
         हे हलधर...........।।

तुम प्रणम्य-नमनीय सभी के,
वंदन तेरा करते हम।
क्षुधा-पीर के तुम्हीं निवारक,
अर्चन तेरा करते हम।
होगा कोई देव गगन में-
पर तुम देव हमारे हो।
     दाता अन्न तुम्हीं हो केवल,सबके तुम्हीं सहारे हो।।
                  ©डॉ0हरि नाथ मिश्र।
                   9919446372

   20
4 Comments

Gunjan Kamal

20-Sep-2023 09:52 PM

👏👌

Reply

खूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति

Reply

Reena yadav

19-Sep-2023 10:02 PM

👍👍

Reply