यादें
सर्वप्रथम माँ शारदे को नमन
तत्पश्चात"लेखनी" मंच को नमन
मंच के सभी श्रेष्ठ सुधीजन को नमन
शीर्षक -:यादें
दिनाँक-22-09-2023
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यादों का सिल सिला यूँ ही चलता रहा।
कब सुबह से शाम हुई पता नही लगा।।
बचपन की सखी कहूँ या कहूँ लंगोठिया यार।
घर घर खेलने से कालेज तक की यादों की बौछार।।
बहुत दिनों बाद दोनों खुलकर हँसे
अनेक बार।
एक शादी में स्टेज से गिरी रह रह कर आए याद।।
अपनी बातों में भूले बैठे घर और परिवार।
सलामत रहे दास्तान हमारा बन रहे अपना प्यार।।
आभा मिश्रा कोटा-राजस्थान
Shashank मणि Yadava 'सनम'
23-Sep-2023 07:44 AM
लंगोटिया होता है जी
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
23-Sep-2023 06:58 AM
Nice lines
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