Yusuf

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नदी


                 ।।नदी।।

बहती कहती है नदी, रुको नहीं तुम आज।
पाना है यदि लक्ष्य तो, करो निरंतर काज।।

ठोकर खाती बह रही, सागर देख विशाल।
लगता गहरा प्रेम है, तेज नदी की चाल।।

नदी सिखाती है हमें, डरो न पत्थर देख।
राह बनाओ औ लिखो, स्वयं भाग्य का लेख।।

बनो नदी सम आप भी, चलो सदा स्वच्छंद।
किन्तु सीखने की कभी, नहीं करो गति मंद।।

शीतल जल धर बह चली, जाने कितनी दूर।
सुधा कलश होती नदी, भरा सोम भरपूर।।

पावन है बहती नदी, पावन यह पवमान।
मुफ्त मिला है जो हमें, प्रभु का है वरदान।।

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4 Comments

Tabassum

24-Sep-2023 04:35 PM

🥰🥰

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बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Varsha_Upadhyay

24-Sep-2023 06:31 AM

Nice 👍🏼

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