बेटियां
कभी अपने आप में शून्य नजर आती है बेटियां !
कभी अपने आप को भीड़ में पाती है बेटियां!
कभी किसी गिरे को संभालती है बेटियां!
कभी किसी टूटी पतंग सी खुद गिर जाती है बेटियां!
कभी अपने आप को बोझ सा पाती है बेटियां!
कभी देवियों की तरह घर में पूजी जाती है बेटियां!
कभी घरों में होली सी जलाई जाती है बेटियां!
कभी लगती पतझड़ के सूखे वृक्षों सी है बेटियां!
कभी फूलों से लदी डालियों में लहराती है बेटियां!
कभी जिंदगी की जटिल उलझनों से बुझी सी है बेटियां।
कभी जिंदगी की उलझनों को सुलझाती है बेटियां!
Gunjan Kamal
24-Sep-2023 10:35 AM
👏👌🙏🏻
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