वो अमीरों की दौलत
ओ अमीरों की दौलत
इस नई कहानी में एक आम लड़का का चरित्र चित्रण करूंगा। और किरदार और भी होगे। परंतु यह कहानी विशेष रूप से नायक की ओर ही दिखाई देगी।
वो अमीरों की दौलत
श्याम जी इस बार खेती में बहुत ही मेहनत से धान की रोपाई किये थे। तो तीन दिन से खेतों में ही दिन कट जाया करता था। लगभग एक बीघा जमीन थी तो कुछ में गेहूं बोए हुए थे। और दो खेत अपने घर के बगल में ही था , उसमें खुद से ही धान की रोपाई किये थे। बारिश इस बार धान के अनुसार शायद हो गई थी। इसलिए श्याम जी धान रोपाई कर दिये। श्याम जी के परिवार एक मध्यवर्गीय में से निचले स्तर के थे। इनका मुख्य आय खेती-बाड़ी से ही घर चलता था। मां बाप के स्वर्गवास होने पर ही श्याम जी की पत्नी बेला जी घर से बाहर निकलने लगी। इसलिए जब भी बेला जी निकलते तो मुह ढक कर ही निकती थी।
आज भी दोपहर का खाना लेकर खेत की आड़ी पर बैठी श्याम जी का इंतजार कर रही थी।
हमारे समाज में विशेष रूप से किसान लोग इस सुखद प्रेम को अनुभव करते हैं। भोजपुरी सिनेमा में इस दृश्य का बड़े ही प्यार से दिखा गया है। श्याम जी धान के खेत में लगे पानी से पैर हाथ धोने के बाद आड़ी पर बैठ गये। बगल में बांस का पेड़ की ठंडी छांव में आनंद से खाना खाने लगे। इस वक्त गेहूं की रोटी और दूध बेला लेकर आई थी। अपने गाय के दूध खाने का मज़ा ही कुछ और होता है।
बेला बोली , आप खाना खा लिजिए तब तक अपने बगल के खेत से गाय के लिए घास काट लेती हूं। खाना खाकर श्याम भी बेला को घास काटने में मदद कर रहे थे। अक्सर देखा हूं कि कहानी में यह दर्शाया जाता है कि महिलाएं ही घर से लेकर खेती-बाड़ी खुद ही संभालती है। परंतु ऐसा नहीं है। हमारे परिवेश में बहुत श्याम और बेला जैसे किसान है जो घर के साथ साथ खेती में अच्छे से हाथ बंटाते हैं।
देव ✍️✍️
RISHITA
13-Oct-2023 01:03 PM
V nice
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hema mohril
11-Oct-2023 02:38 PM
V nice
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Gunjan Kamal
08-Oct-2023 08:50 PM
👏👌
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