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जीवन है अनमोल

जीवन है अनमोल रे बन्दे, 

जीवन है अनमोल।
मत माटी में तोल रे बन्दे, 
जीवन है अनमोल। 

काम:-
प्रभु को कैसे भूल गया तू, 
काम-वासना में अटका।
मन तेरा क्यों भ्रमित हो गया,
सच्चरित्र से तू भटका।
समझ चरित्र का मोल रे बन्दे, 
जीवन है अनमोल। 

क्रोध:-
क्रोध की अग्नि ऐसी ज्वाला, 
जीवन भस्म हो जाता है।
सत्कर्मों को स्वाहा कर दे, 
धुंआ शेष रह जाता है।
मन की गिरहें खोल रे बन्दे, 
जीवन है अनमोल। 

मद:-
काया का कब मोल जगत में, 
आज रहे कल जानी है।
फर-फर अंग जले अग्नि में, 
माया संग न जानी है।
सब मिट्टी का घोल रे बन्दे, 
जीवन है अनमोल। 

लोभ:-
दो रोटी सुबह को चाहिए, 
दो चाहिए फिर शाम।
कैसा लालच लोभ रे भैया, 
क्यों जोड़े तू तमाम।
क्यों तेरा मन डोल रे बन्दे, 
जीवन है अनमोल। 

मोह:-
मोह जगत का मूल तत्व है, 
सब हुए आलिंगन बद्ध।
मोह पाश में सब जकड़े है, 
पूर्ण चराचर आबद्ध।
नाम प्रभु का बोल "श्री" बन्दे, 
जीवन है अनमोल। 

स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)

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7 Comments

खूबसूरत और संदेश देती हुई अभिव्यक्ति

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Sarita Shrivastava "Shri"

27-Sep-2023 07:18 PM

🙏🙏

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Gunjan Kamal

26-Sep-2023 06:18 PM

👏👌

Reply

Sarita Shrivastava "Shri"

27-Sep-2023 07:18 PM

🙏🙏

Reply

Reena yadav

26-Sep-2023 11:03 AM

👍👍

Reply

Sarita Shrivastava "Shri"

27-Sep-2023 07:19 PM

🙏🙏

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