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कौन है?-

"यह सब आपको लक्ष्मण ने बताया?" ठकराल ने उस महिला की बात सुनकर तसल्ली के लिए पूछा। "हाँ साहब, वह बहुत डरा हुआ है। किसी से मिलना नहीं चाहता। उसने साफ साफ मना कर दिया है कि अगर कोई होटल से आता है तो उसका कमरा ना खोला जाए। एक बार तो आप कोशिश कर चुके हैं, अभी लड़के को परेशान ना करें उसका डर कम होते ही मैं खुद उसे आपके पास लेकर आऊंगी।" लक्ष्मण की मां ने ठकराल के सामने दो हाथ जोड़े। "बात ऐसी है मां कि होटल में मर्डर हुआ है---- तो लक्ष्मण का बयान लेना बिल्कुल जरूरी हो गया है। हमारी भी मजबूरी है उसका बयान लेने के बाद ही हम बाकी तहकीकात कर सकते हैं।" "आप चिंता ना करें मां, निर्मोही ने आश्वासन देते हुए कहा, ---आज के बाद लक्ष्मण का डर गायब हो जाएगा। मैं उसे समझा लूंगी। आप बस चुपचाप दरवाजा खोलिए बस उसे हमारे आने की भनक न लगे।" लक्ष्मण की मां थोड़ी उलझन में नजर आई। उनके पति ने आँखों से ही इशारा किया तब जाकर वे दरवाजा खोलने को तैयार हुई। आरव और निर्मोही की निगाहें मिली। एक पल के लिए आरव को लगा था बात बनने वाली नहीं है लेकिन निर्मोही ने होशियारी से बात संभाल ली। ठकराल के साथ दोनों लक्ष्मण की मां के पीछे एक अलहदा कमरे के बंद दरवाजे तक पहुंच गए। उन्होंने दरवाजे पर दस्तक देते हुए लक्ष्मण को पुकारा। लेकिन भीतर से कोई आवाज नहीं आई। वह बार-बार लक्ष्मण का नाम लेकर पुकारती रही। ठकराल से रहा न गया। उसने डायरेक्ट कहा, "दरवाजा तोड़ना पड़ेगा।" "मगर क्यों सर वह सो गया होगा!" लक्ष्मण की मां उलझन में नजर आई। ठकराल ने जोर से दरवाजे को लात रसीद की। लेकिन दरवाजा नहीं खुला। "क्या हुआ?" कहते हुए लक्ष्मण जी के पिता भी आ गये। "कुछ नहीं दरवाजे की मरम्मत करनी पड़ेगी कहकर ठकराल ने एक बार फिर कोशिश की।" "एक मिनट रुको सर, हम दोनों साथ मिलकर कोशिश करते हैं।"  एक ओर लात ठोकने तैयार ठकराल को रोकते हुये आरव बोला था। दोनों को लक्ष्मण के पिता ने ये कहते हुये रोका कि वह ऐसे नही खुलेगा।"  वे आगे आये और बाहर की कुंडी को हल्के से अंदर धकेला, तो जैसे चमत्कार हुआ। अंदर की साइड लगी कुंडली ऑटोमेटिक खोलने की आवाज सबने सुनी। ठकराल की आँखों में चमक उभर आई। फिर उन्होंने जैसे ही एक हल्का धक्का दिया दरवाजा खुल गया। कमरे का अंदरुनी दृश्य  देख कर उसकी मां चीख पडी।  "हाय रे मेरा बच्चा! यह क्या हो गया।" लक्ष्मण का बाप सिर पर हाथ रखकर दरवाजे पर ही फिसल पड़ा। आरव उनके पास बैठ गया। "संभालिए खुद को।" उसके मुंह से बस इतने ही बोल फूटे, क्योंकि ऐसा मंजर देखने की उसने भी उम्मीद नहीं की थी। गले में रस्सी के फंदे में लक्ष्मण का शव पंखे के नीचे झूल रहा था। आरव ने फटाफट उसके पैर पकड़ के ऊपर उठाया। इंस्पेक्टर ठकराल ने टेबल पर चढ़कर लक्ष्मण के शव को फंदे से बाहर निकाला। फिर दोनों ने मिलकर उसे बेड पर लेटाया। ठकराल ने उसकी धड़कन देखी। "यह मर चुका है।" वो सिर्फ इतना ही बोल पाए। लक्ष्मण की बड़ी-बड़ी आँखें बाहर निकल आई थी। गर्दन टूट गई हो ऐसे लुढक गई थी।  "इसने आत्महत्या कर ली है ठकराल सर!" आरव संजिंदगी भरे लफ्जों मे बोल उठा। "मगर क्यों?" ठकराल कसमसाया। माना कि उसने शैतानी रूह को हत्या करते हुए देख लिया था, जब रूह ने लक्ष्मण को होटल के कमरे में नहीं मारा तो घर पर आकर कैसे मार सकती थी? इतनी सी बात नहीं समझ पाया।" अफसोस के साथ ठकराल ने कहा था।  "रूह का आतंक इसके दिमाग पर कुछ ज्यादा ही छाया होगा सर, बाकी कोई खुद को भला खत्म क्यों करेगा?"  "मेरा बेटा मर नहीं सकता साहब, उसे जरूर शैतानी रूह ने मरने के लिए मजबूर कर दिया होगा। मेरा बेटा बार-बार यही कह रहा था कि वह मुझे मार डालेगी मां, दरवाजा बंद रखो। मुझे बहुत डर लग रहा है। शैतानी रूह मेरे बेटे को खा गई साहब और हम कुछ भी नहीं कर पाए-----कुछ भी नहीं। उसने मेरे बेटे को मुझसे क्यों छीन लिया? आखिर क्या बिगाड़ा था मेरे बच्चे ने उसका?" लक्ष्मण की मां जोर जोर से रो रही थी। हृदय को चीर देने वाला आक्रंद देखकर निर्मोही और आरव तड़प उठे थे।  इंस्पेक्टर ठकराल नें  जरूरी विधि निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।  उन्होंने लक्ष्मण के पेरेंट्स से दो हाथ जोड़कर माफी मांगी। क्योंकि उन्हें पता नहीं था कि लक्ष्मण खौफ के मारे इस दुनिया को इतना जल्दी अलविदा कर देगा। लक्ष्मण की मौत भी उनके लिए पहेली बन गई। ठकराल आरव और निर्मोही लक्ष्मण का घर छोड़ कर निकले तब तीनों के दिमाग डामाडोल थे। निर्मोही बाइक पर आरव के पीछे खोई खोई सी बैठी थी। आरव ने चुप्पी को तोड़ा, "आरव,  मुझे लगता है लक्ष्मण की मौत के जिम्मेदार हम हैं, सीधी तरह से यह भले ही आत्महत्या का केस नजर आ रहा हो लेकिन यह सब उसी रूह ने किया है।" "तुम ऐसा किस बेस पर कह रही हो?" क्योंकि लक्ष्मण की मां ने जो बातें बताई तुमने सुनी नहीं? लक्ष्मण ने उस रूह को खून करते हुए देखा था। शायद वह नहीं चाहती थी कि लड़की के केस को लेकर आगे तफ्तीश हो। इसलिए हमारे आने से पहले ही उसने लक्ष्मण को मौत के घाट उतार दिया।" "नहीं निर्मोही, तुम्हारा तर्क सही नहीं है लक्ष्मण को अगर मारना होता तो शैतानी रूह उसे होटल पर कमरे में ही मार देती। लक्ष्मण के घर आने तक का इंतजार ना करती। लक्ष्मण काफी तनाव से गुजर रहा था उसका मानसिक संतुलन बिगड़ चुका था। इसलिए उसने डर के मारे आत्महत्या कर ली है। सोचो--- जिस तरीके से होटल रूम में लक्ष्मण के सामने लडकी के चेहरे से चमड़ी उधेड़ दी गई उसकी जगह अगर हम होते तो हमारे दिमाग पर भी वही मंजर कब्जा कर लेता। लक्ष्मण के दिमाग में शैतानी रूह ठीक उसी तरह उसे भी मार सकती है जैसे मिलन होटल के रूम में उस लड़की को मारा था। वह मौत के इस खौफ को बर्दाश्त नहीं कर पाया होगा इसलिए आत्महत्या कर बैठा पगला।" "लेकिन अब हम क्या करें? मेरे मनहूस सपने की तह तक जाने की उम्मीद टूट कर चकनाचूर हो गई है।" निर्मोही हताश हो गई। अब तो मुझे भी डर लगने लगा है अगर दोबारा कोई ऐसा डरावना सपना आया तो?' "ऐसा करते हैं तुम्हारी मोम से मिलते हैं। आखिरकार वो उस लड़की के बारे में क्या जानते हैं? कोई ना कोई रास्ता जरूर निकलेगा।" निर्मोही के मन में उम्मीद की एक लहर उठी। "ठीक है चलो घर।" आरव की बात उसने मंजूर कर ली। अब उसका दिमाग मां के अजीब बर्ताव के पीछे का राज जानने को उत्सुक हो उठा।

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1 Comments

Gunjan Kamal

27-Sep-2023 08:55 AM

👏👌🙏🏻

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