कौन है?-
जब से मोहन के पिता काली हवेली से लौटे थे आरव उसी सोच में डूबा हुआ था कि आखिर चाचा जी उस मनहूस हवेली में क्या करने गए थे? या फिर कोई और बात है जिसकी तसल्ली वह करना चाहते थे? सोच सोच कर अरब का दिमाग परेशान हो उठा था आखिरकार उसने चाचा जी के मन को टटोलने का फैसला लिया। उसने तय कर लिया कि जो भी बात होगी वह उनसे उगलवाकर रहेगा ऐसा मन बना कर वह गौरी प्रसाद के पास आकर बैठा -बोल उठा। "चाचा जी, मुझे लगता है आप उस काली हवेली के बारे में बहुत कुछ जानते हो। प्लीज मुझे बताइए, हवेली में पनप रहे शाप का राज क्या है? कौन है जो इतने सारे लोगों की मौत का जिम्मेदार है? मेरे साथ जो कुछ भी हुआ है वह बिल्कुल भी ठीक नहीं है मैं जब तक इस राज को जान नहीं लेता कुछ भी करने से रहा। आप कुछ जानते हैं तो बताइए। काफी सोचने के बाद मैं यह नतीजे पर पहुँचा हूँ कि कोई तो बात है जिसे आप सब से छुपा रहे हैं। बताइए, वरना ऐसा ना हो कि बाद में आपको भी पछतावे का मौका ना मिले। मैं अब किसी की जान को जोखिम में नहीं डालना चाहता। मारिया और मार्गरेटा को गायब करने के पीछे किसका हाथ है? अगर कोई रूहानी ताकत है तो वह क्यों है? कौन सा राज दफन है उस काली मनहूस हवेली के नीचे?" गौरी प्रसाद आरव को टुकुर-टुकुर देखते रहे। "क्यों अपनी जान को जोखिम में डाल रहा है मेरे बच्चे। मैं अपने पुरखो से इस राज को जानने के बावजूद किसी के लिए कुछ भी नहीं कर पाया हूँ। किसी को बताना तो दूर की बात है हवेली का जिक्र करना भी जायज नहीं समझा मैने। क्योंकि उस मनहूस हवेली से जुडा खौफ ही कुछ ऐसा है।" "मगर ऐसा क्या हुआ था उस हवेली में चाचा जी? कौन सा ऐसा राज है जो आप अपने दिल में दबाए हुए बैठे हो?" "मुझे लगता है तू मानने वाला नहीं है, तो सुन।" कहकर गौरी प्रसाद आरव के सामने सीना तान कर बैठ गए। "यह उस जमाने की बात है जब राजा महाराजा अपने राज्य की सुरक्षा के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते थे। ये हवेली महाराज भानु प्रताप को विरसे में मिली थी। जिसमें भानुप्रताप अपनी खूबसूरत महारानी यशो नंदिनी और उनकी दुलारी बहनों के साथ रहा करता था। बाहरी आक्रमणकारी शासको की नजर भानुप्रताप की शानो-शौकत पर थी। लेकिन आज तक कोई नहीं हरा पाया था। उसकी माकूल वजह थी। महाराज का एक खास आदमी पंडित हुआ करता था। जिसे राज्य व्यवस्था की सुरक्षा के लिए एक अहम जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उसका काम बहुत ही घिनौना और घटिया किस्म का था। नगर में जहाँ कहीं नवजात बच्ची का जन्म होता था पंडित वहाँ पहुँच जाता था। सोची समझी साजिश के तहत वह नवजात बच्चियों की कुंडली में दोष बता कर माता पिता के मन में बच्चे के प्रति द्वेष पैदा कर देता था। कुंडली में दोष होने की वजह से अपने ही परिवार पर मुसीबत लाने वाली बच्चीयों का मां-बाप त्याग कर देते थे। पंडित वही तो चाहता था। कुंडली में दोष बताए जाने की वजह से ठुकराई गई बच्चियों को पंडित ले जाकर उस नगरवधू के पास छोड़ आता था जो परोक्ष रूप से राज्य की सुरक्षा के लिए विषकन्याएं तैयार करने में लगी थी। इस तरह से लाई गई बच्चियों को बचपन से ही खाने में कम मात्रा में थोड़ा थोड़ा जहर दिया जाता था। उनको कला कौशल, गीत संगीत और शस्त्र विद्या में पारंगत बनाया जाता था। बचपन से तरह-तरह के जहर को पचा कर जवान होने तक जितनी भी लड़कियां बच जाती थी उन्हें दुश्मन राज्य के राजाओं और महकमे के खास ओहदेदारो को सबक सिखाने के लिए ऐसी विषकन्याओं का प्रयोग किया जाता है। विषकन्याए तैयार करने वाली नगरवधू को महाराज की तरफ से कीमती भेट सौगादों से नवाजा जाता था। छोटी उम्र में कभी-कभी अधिक मात्रा में दिया गया जहर लड़कियों के लिए जानलेवा भी साबित होता था। उस दिन भी वही हुआ था। नगरवधू मंजूलिका ने एक बडी बच्ची को ज्यादा मात्रा में जहर दे दिया। जिसके कारण उस बच्ची की मौत हो गई थी। उस लड़की का अंतिम संस्कार करने की बजाय उसकी लाश को तहखाने में बंद कर दिया गया। कहते है उसके बाद शहर में तबाही आई। दूध की जगह जहर पीकर आधी विषकन्या बन चुकी लडकी की आत्मा ने कहर ढाया। छोटी बच्चियों पर जुल्म करने वाले महाराज के साथ बाकी सब भी उसके गुस्से का शिकार हुये। यहाँ तक की पंडित की बातों में आकर अपनी बच्चियों को उसके हवाले कर देने वाले माता-पिता भी बच न सके। भानु प्रताप की हवेली में कोई जिंदा ना बच पाया। धीरे धीरे लोग शहर छोड़ कर जाने लगे। हवेली वीरान बन गई। कहते हैं मंजूलिका को मारते वक्त उस लड़की की रूहने श्राप दिया था कि जब भी तेरा दोबारा जन्म होगा तेरी बच्चियां नाग की परछाई लिए पैदा होगी। और तेरी बच्चियों को दुनिया के किसी भी कोने से ढूंढ कर मैं खत्म कर दूँगी।" इतना कहकर गौरी प्रसाद ने एक लंबी साँस ली। आरव को अब सारी बातें समझ में आ चुकी थी। निर्मोही कि माँ ने दो बच्चियों को जन्म दिया था। और दोनों बच्चियां नाग के निशान के साथ पैदा हुई। मतलब की निर्मोही की माँ अगले जन्म में नगरवधू थी। उसके कर्मों की सजा आज तक उसके बच्चे भुगत रहे हैं। सारी बातें बिल्कुल साफ हो गई थी। इसका मतलब है मिलन होटल में मरने वाली लड़की मार्गरेटा की बहन मारिया थी।" "बिल्कुल सही कहा, मारिया को मारने वाली विषकन्या की आत्मा मार्गरेटा को भी ले उड़ी है।" "इसका मतलब है मार्गरेटा मर चुकी हैं।" आरव परेशान हो उठा। "जी हाँ उसने अपना बदला ले लिया है। मार्गरेटा के बॉयफ्रेंड को उसी की नजरों के सामने मारके इत्मीनान से उसने मार्गरेटा को खत्म किया है।" "मैं सब कुछ समझ गया हूँ चाचा जी। निर्मोही उनकी सगी बेटी नही थी इसलिए उसे सिर्फ़ ख़्वाब के जरिये मौत का अहसास हुआ। जबकि मौत तो उसकी बहनो की पहले से मुक्करर थी।"
(क्रमश:)
Varsha_Upadhyay
27-Sep-2023 10:29 PM
Nice one
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Gunjan Kamal
27-Sep-2023 09:13 AM
👏👌🙏🏻
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